तांत्या, 14 अक्टूबर 2025: संस्थान द्वारा अपने अंगीकृत गांव तांत्या में 14 अक्टूबर को पशु स्वास्थ्य शिविर, भेड़पालकों से चर्चा और शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन संस्थान के निदेशक डॉ. अरुण कुमार के मार्गदर्शन में किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य पशुपालकों को स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराना और उन्नत पशुपालन तकनीकों से अवगत कराना था।
पशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण और उपचार
कार्यक्रम में संस्थान के अंगीकृत 16 पशुपालकों ने कुल 400 भेड़ और 150 बकरियों के साथ भाग लिया। इन पशुओं में से 100 बीमार भेड़ और 30 बकरियों का उपचार कार्यक्रम के दौरान किया गया। विशेषज्ञों ने पशुओं के लिए टीकाकरण, दवा, और स्वास्थ्य जांच की। इससे पशुपालकों को अपने पशुओं की स्वास्थ्य समस्याओं को समय पर पहचानने और उपचार करने में मदद मिली।
भेड़पालकों से संवाद और समस्याओं का समाधान
कार्यक्रम के दौरान संस्थान के वैज्ञानिकों ने अंगीकृत पशुपालकों, किसानों और अन्य ग्रामवासियों से उनकी समस्याओं के बारे में चर्चा की। वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्नत नस्ल की भेड़ पालन कैसे मुनाफा बढ़ा सकती है और इसके अन्य फायदे क्या हैं। इसके साथ ही वैज्ञानिक तरीके से पशुपालन और प्रबंधन के लाभों पर भी प्रकाश डाला गया।
शैक्षणिक भ्रमण और प्रशिक्षण
कार्यक्रम के तहत संस्थान में चल रहे 10 दिवसीय कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल 38 पशुधन सहायकों ने भी शिविर में भाग लिया। संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. राजेश बिश्नोई, वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. डी.के. शर्मा, वैज्ञानिक और श्री गौतम चौपड़ा, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी ने प्रशिक्षणार्थियों के साथ वैज्ञानिक तकनीकों पर चर्चा की। इससे प्रशिक्षणार्थियों को पशुपालन में उन्नत तकनीकें लागू करने का व्यावहारिक अनुभव मिला।
कार्यक्रम की सफलता और लाभ
इस कार्यक्रम ने स्थानीय भेड़पालकों को उनके पशुओं के स्वास्थ्य सुधार के लिए आवश्यक सेवाएँ प्रदान की। साथ ही, पशुपालन में नई तकनीकों और वैज्ञानिक प्रबंधन के महत्व को भी उजागर किया गया। भविष्य में इस तरह के आयोजन से गांवों में पशुपालन की गुणवत्ता में सुधार और किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।
संस्थान के निदेशक डॉ. अरुण कुमार ने कहा, “हमारा उद्देश्य सिर्फ उपचार देना नहीं है, बल्कि किसानों को वैज्ञानिक और आधुनिक तकनीकों से अवगत कराना है, जिससे वे अपने पशुओं का बेहतर प्रबंधन कर सकें और मुनाफा बढ़ा सकें।”
संवाददाता सुरेश भड़ला वेटेरिनरी
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