राजस्थान का सेंड माता मंदिर आस्था, इतिहास और चमत्कारों का अद्भुत संगम है। अरावली की तीसरी सबसे ऊंची चोटी पर स्थित यह शक्तिपीठ न सिर्फ श्रद्धालुओं का केंद्र है, बल्कि यह कई रहस्यों और प्रसंगों की भी मिसाल है। नवरात्रि के पावन अवसर पर लाखों भक्त यहाँ पैदल चलकर माता रानी के दर्शन के लिए आते हैं और अपनी झोली में आशीर्वाद भरते हैं।
ऊँट पर सवार माता रानी का चमत्कार
कहानी के अनुसार, एक समय राजा शिकार पर निकला था। तभी माता रानी ऊँट पर सवार होकर राजा के सामने प्रकट हुईं। माता ने राजा को आशीर्वाद दिया और कहा कि जो सच्चे मन से उनके दर्शन करेगा, उसकी झोली कभी खाली नहीं होगी। यह चमत्कार आज भी श्रद्धालुओं के विश्वास की आधारशिला बना हुआ है।
नवरात्रि का उत्सव और आस्था
नवरात्रि के दौरान सेंड माता मंदिर लाखों भक्तों से गुलजार हो जाता है। लोग घंटों पैदल चलकर चोटी तक पहुँचते हैं। कई भक्त घंटों तक तपस्या और भक्ति में लीन रहते हैं ताकि माता का शक्ति दर्शन प्राप्त कर सकें। मंदिर में भक्तों की झोली आशीर्वाद से भरती है और लोग लौटते समय अपने मन और जीवन में सुख-समृद्धि का अनुभव करते हैं।
मंदिर का स्थान और मार्ग
सेंड माता मंदिर भीलवाड़ा रोड पर मदरिया या फिर लसानी गांव के रास्ते से आसानी से पहुंचा जा सकता है। रास्ता चाहे जैसा भी हो, श्रद्धालुओं का मानना है कि मंज़िल केवल मां की कृपा से मिलती है। अरावली की ऊँचाई और प्राकृतिक सुंदरता इस तीर्थ स्थल की पवित्रता और भी बढ़ा देती है।
आस्था, इतिहास और रहस्य
सेंड माता मंदिर केवल एक तीर्थस्थल नहीं है। यह उन स्थानों में शामिल है जहां आस्था, इतिहास और चमत्कार साथ चलते हैं। मंदिर में पहुँचते ही भक्तों का मन श्रद्धा और भक्ति से झुक जाता है। यहाँ का वातावरण ऐसा है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने मन के अंदर की शांति और शक्ति को महसूस करता है।
सेंड माता मंदिर न केवल राजस्थान का धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भक्ति, तपस्या और शक्ति का प्रतीक भी है। ऊँट पर सवार माता का चमत्कार, राजा को आशीर्वाद देने की कथा, और नवरात्रि के दौरान लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ इसे और भी खास बनाती है।
जो भी यहाँ आता है, वह अनुभव करता है कि आस्था और श्रद्धा से बढ़कर कुछ नहीं। यही कारण है कि सेंड माता मंदिर की यात्रा न सिर्फ तीर्थयात्रा है, बल्कि आध्यात्मिक अनुभव और शक्ति की अनुभूति भी है।