राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने नवरात्रि के अवसर पर ऐसा कदम उठाया है, जो न सिर्फ हैरान करने वाला है बल्कि प्रेरित भी करता है। सीएम भजनलाल शर्मा पिछले 8 महीनों से एक दाना भी नहीं खा रहे हैं और उनका आहार केवल फलाहार और जल तक सीमित है।
तप और अनुशासन का उदाहरण
राजनीति की दुनिया में अक्सर सत्ता, लालच और दिखावे की बातें सुनने को मिलती हैं, लेकिन सीएम भजनलाल शर्मा ने खुद को आत्म-नियंत्रण और तप के माध्यम से तैयार किया है। उनका मानना है कि नेतृत्व पहले खुद अनुशासित होने से ही जनता को सही दिशा दिखा सकता है।
नवरात्रि के पावन अवसर पर जहां पूरा देश देवी मां की पूजा-अर्चना में लीन है, वहीं सीएम खुद को एक सेवक और साधक के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। उनका यह उपवास केवल पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शक्ति साधना, आत्म-नियंत्रण और निस्वार्थ सेवा का संगम है।
नवरात्रि में आत्म-नियंत्रण का संदेश
भजनलाल शर्मा का यह कदम जनता और नेताओं के लिए एक संदेश है कि सच्चा नेतृत्व दिखावे और अहंकार से नहीं, बल्कि अनुशासन और भक्ति से आता है।
उनका दिन-चर्या साधना, ध्यान और मां दुर्गा की उपासना में बीतता है। न कोई शोर, न कोई प्रचार — केवल तप और सेवा ही उनके दिन का मूल आधार है।
राजनीति में प्रेरणा का उदाहरण
राजनीति में अक्सर सत्ता, लालच और अहंकार आम बात हैं। ऐसे में भजनलाल शर्मा का यह उपवास और तप का जीवन सभी नेताओं और आम जनता के लिए प्रेरणा बनता है। उनके अनुसार, स्वयं पर नियंत्रण और अनुशासन के बिना नेतृत्व का सही मायना नहीं निकल सकता।
यह कदम दर्शाता है कि राजनीतिक जीवन में न सिर्फ निर्णय लेने की क्षमता, बल्कि आत्म-नियंत्रण और निस्वार्थ सेवा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
सीएम भजनलाल शर्मा का यह 8 महीने का फलाहार और जल उपवास न सिर्फ नवरात्रि की पवित्रता को दिखाता है, बल्कि यह दर्शाता है कि सच्चा नेतृत्व तप, भक्ति और अनुशासन से ही संभव है।
इस अनोखे कदम से यह संदेश मिलता है कि शक्ति, पद और सत्ता केवल दिखावे के लिए नहीं होती, बल्कि अपने आप को नियंत्रित करने और सेवा भाव में लीन होने से ही उसका असली उपयोग होता है।