राहुल गांधी फतेहपुर पहुंचे, हरिओम वाल्मीकि परिवार से मिलने पर सियासी घमासान

उत्तर प्रदेश के रायबरेली में दलित युवक हरिओम वाल्मीकि की हत्या के बाद शुक्रवार को कांग्रेस सांसद और नेता विपक्ष राहुल गांधी फतेहपुर पहुंचे। उनका उद्देश्य मृतक के परिजनों से मिलकर संवेदना जताना था, लेकिन इस मुलाकात को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। राहुल गांधी के पहुंचने से पहले ही गांव में पोस्टर लगाए गए जिन पर लिखा था – “दर्द को मत भुनाओ, वापस जाओ, गिद्ध बनकर मंडराते हो नफरत फैलाते हो।”

 

परिवार ने राहुल गांधी से मिलने से किया इनकार

हरिओम वाल्मीकि के परिवार ने राहुल गांधी से मिलने से मना कर दिया। परिजनों का कहना था कि उन्हें किसी तरह की राजनीति नहीं चाहिए। हालांकि, राहुल गांधी ने मीडिया से कहा कि वे परिवार से मिले और लगभग आधा घंटा बातचीत की। उन्होंने बताया कि परिवार ने अपनी पीड़ा साझा की और सरकार से न्याय की उम्मीद जताई।

 

राहुल गांधी का आरोप – परिवार पर दबाव डाला जा रहा

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि हरिओम वाल्मीकि का परिवार दबाव में है। उन्हें धमकाया जा रहा है कि राहुल गांधी से न मिलें। राहुल ने कहा कि “ये मायने नहीं रखता कि वे मिलना चाहते हैं या नहीं, हमें उनका सहारा बनना चाहिए। सबसे जरूरी बात है कि इस परिवार को सुरक्षा मिले और न्याय दिलाया जाए।”

 

योगी सरकार ने की मदद की पहल

वहीं दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश सरकार ने हरिओम वाल्मीकि के परिवार की आर्थिक मदद की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मृतक की बहन कुसुम देवी को मेडिकल कॉलेज में स्टाफ नर्स के पद पर आउटसोर्सिंग के तहत नियुक्त किया गया है। इसके अलावा प्रशासन ने परिवार को सुरक्षा और आर्थिक सहयोग का आश्वासन दिया है।

 

राहुल गांधी का सरकार पर वार

राहुल गांधी ने फतेहपुर में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि “हम सिर्फ न्याय मांग रहे हैं। इस परिवार को घर से बाहर निकलने नहीं दिया जा रहा है। एक लड़की का ऑपरेशन होना है, लेकिन वे डर की वजह से घर से बाहर नहीं जा पा रही हैं।” राहुल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि वे परिवार का सम्मान करें और उन्हें न्याय दिलाएं।

 

हत्या मामले की पृष्ठभूमि

रायबरेली जिले के गदागंज थाना क्षेत्र में हरिओम वाल्मीकि की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। आरोप है कि लोगों ने उसे चोर समझ लिया और बेरहमी से मार डाला। पुलिस ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई करते हुए 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया। इनमें शिवप्रसाद अग्रहरि, लल्ली पासी, आशीष पासी और सुरेश गुप्ता समेत अन्य आरोपी शामिल हैं। सभी को जेल भेजा जा चुका है।

 

पोस्टर वार और माहौल में तनाव

राहुल गांधी के दौरे से पहले गांव में लगे पोस्टरों ने माहौल को और राजनीतिक बना दिया। पोस्टरों पर कांग्रेस पर “मृत्यु का राजनीतिकरण” करने का आरोप लगाया गया। राहुल के समर्थकों ने इन पोस्टरों को “भाजपा की साजिश” बताया, जबकि प्रशासन ने विवाद को शांत करने की कोशिश की।

 

परिवार की स्थिति और समाज की प्रतिक्रिया

हरिओम वाल्मीकि का परिवार इस घटना के बाद से सदमे में है। स्थानीय दलित संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने घटना की निंदा की है। कई संगठनों ने कहा कि ऐसी घटनाओं को राजनीतिक रंग देने के बजाय न्यायिक प्रक्रिया को मजबूत करना चाहिए ताकि भविष्य में किसी और परिवार को यह दर्द न झेलना पड़े।

हरिओम वाल्मीकि हत्या मामला अब राजनीतिक विवाद का रूप ले चुका है। राहुल गांधी की फतेहपुर यात्रा ने एक ओर जहां सियासी माहौल को गरमा दिया है, वहीं यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या संवेदनाओं के नाम पर राजनीति हो रही है। अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि क्या इस परिवार को सच्चा न्याय मिल पाएगा या यह मामला भी राजनीति की भेंट चढ़ जाएगा।

 

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