अमेरिका और रूस के बीच तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को सख्त चेतावनी दी कि अगर अमेरिका ने टॉमहॉक मिसाइल से रूस पर हमला किया, तो रूस इसका करारा जवाब देगा। यह बयान उस समय आया जब अमेरिका ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लूकोइल पर प्रतिबंध लगा दिए।
बातचीत के लिए भी तैयार पुतिन
पुतिन ने अपने भाषण में कहा कि “टकराव में बातचीत हमेशा बेहतर विकल्प होता है।” उन्होंने कहा कि रूस ने हमेशा संवाद को प्राथमिकता दी है। लेकिन, अमेरिकी प्रतिबंधों ने दोनों देशों के बीच संबंधों को और बिगाड़ दिया है।
अमेरिकी प्रतिबंधों से तेल बाजार में हलचल
अमेरिका ने इन कंपनियों पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगाए हैं कि रूस यूक्रेन युद्ध रोकने को लेकर गंभीर नहीं है। इस फैसले से दोनों कंपनियों की संपत्तियां और निवेश ब्लॉक कर दिए गए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, इन दोनों कंपनियों से रूस के आधे क्रूड ऑयल का निर्यात होता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इन प्रतिबंधों से वैश्विक तेल कीमतों में 5% तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
36 सहायक कंपनियों पर भी असर
अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के अनुसार, रोसनेफ्ट और लूकोइल की 36 सहायक कंपनियों पर भी ये प्रतिबंध लागू होंगे। इससे अमेरिका और रूस के बीच आर्थिक संबंधों में और तनाव बढ़ेगा। यूरोपीय संघ ने भी रूसी LNG गैस पर बैन लगाने की घोषणा की है।
भारत पर पड़ेगा असर
भारत रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार है। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) रूस से आने वाले कुल तेल का लगभग आधा हिस्सा खरीदती है। दिसंबर 2024 में रिलायंस ने रोसनेफ्ट के साथ 25 साल के लिए 2.5 करोड़ टन कच्चे तेल के आयात का सौदा किया था।
अब अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भारत पर भी दबाव बढ़ सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत अपने रूसी तेल आयात को कम करने पर विचार कर सकता है।
ट्रम्प का दावा: मोदी से हुई बात में रूस से तेल खरीद घटाने पर सहमति
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की है, जिसमें भारत ने रूस से तेल खरीद कम करने का आश्वासन दिया है। हालांकि, क्लेप्लर की रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर में भी भारत ने अपने कुल तेल आयात का 34% रूस से खरीदा।
भारत के पास तेल के वैकल्पिक स्रोत
अगर रूस से तेल खरीद घटाई जाती है तो भारत को अन्य देशों की ओर रुख करना होगा।
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इराक – भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल सप्लायर है, जो 21% तेल देता है।
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सऊदी अरब – 15% तेल सप्लाई करता है।
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अमेरिका – जुलाई 2025 में भारत के तेल आयात में 7% हिस्सेदारी रही।
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UAE, नाइजीरिया, ब्राजील – ये देश भी भारत को तेल सप्लाई करते हैं, लेकिन इनसे तेल खरीदना महंगा है।
पुतिन की चेतावनी से बढ़ी वैश्विक चिंता
पुतिन ने कहा कि अमेरिका के इस कदम से वैश्विक तेल सप्लाई पर असर पड़ेगा और कीमतें और बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि अगर टॉमहॉक मिसाइलों से रूस पर हमला किया गया, तो रूस इसका जवाब देने से पीछे नहीं हटेगा।
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