पितृ पक्ष 2025: श्राद्ध, मुहूर्त, महत्व और लाभ

पितृ पक्ष 2025: श्राद्ध, मुहूर्त, महत्व और लाभ

परिचय

पितृ पक्ष, जिसे पितृपक्ष भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवधि है जो प्रत्येक वर्ष पूर्णिमा से अमावस्या तक मनाई जाती है। इस दौरान, श्रद्धालु अपने दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। यह समय विशेष रूप से पितृ दोष से मुक्ति, पूर्वजों के आशीर्वाद और परिवार की समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

पितृ पक्ष 2025 की तिथियाँ

पितृ पक्ष 2025 की शुरुआत 7 सितंबर को पूर्णिमा से हुई और यह 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ समाप्त होगा। इस अवधि में कुल 16 दिन होते हैं, जिनमें प्रत्येक दिन का विशेष महत्व है।

श्राद्ध विधि

श्राद्ध की विधि में निम्नलिखित प्रमुख कदम शामिल हैं:

  1. स्नान और शुद्धता: श्राद्ध करने से पहले स्नान करके शरीर और मन को शुद्ध करना आवश्यक है।

  2. तर्पण: तिल, जल और कुशा से तर्पण करके पितरों को सम्मानित किया जाता है।

  3. पिंडदान: तिल, जौ, चावल और घी से बना पिंड पितरों को अर्पित किया जाता है।

  4. भोजन अर्पण: ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

  5. पक्षियों और पशुओं को भोजन: कौवा, कुत्ता और गाय को भोजन अर्पित करना विशेष पुण्यकारी माना जाता है, क्योंकि इन्हें पितरों का प्रतीक माना जाता है।

कुतुप मुहूर्त का महत्व

पितृ पक्ष में कुतुप मुहूर्त वह समय होता है जब सूर्य दक्षिणायन में होता है और यह समय पितरों के तर्पण के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस समय में किए गए श्राद्ध से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

पितृ दोष और उसके उपाय

पितृ दोष वह स्थिति है जब व्यक्ति के पूर्वजों के प्रति कर्तव्यों का पालन नहीं किया गया होता है। इसके कारण जीवन में विभिन्न समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। पितृ दोष के प्रमुख लक्षणों में:

  • पारिवारिक कलह और अशांति।

  • आर्थिक संकट और बेरोज़गारी।

  • स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ।

  • वैवाहिक जीवन में विघ्न।

इन समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए पितृ पक्ष में विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण करना आवश्यक है।

पितृ पक्ष के लाभ

पितृ पक्ष में किए गए अनुष्ठानों से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  • पितृ दोष से मुक्ति।

  • पूर्वजों का आशीर्वाद और आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि।

  • पारिवारिक संबंधों में सुधार।

  • स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति में सुधार।

  • संतान सुख की प्राप्ति।

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