पाकिस्तान और अमेरिका के बीच 500 मिलियन डॉलर की रेयर अर्थ मिनरल डील पर चर्चा जोरों पर है। इस डील के तहत पाकिस्तान ने अपनी पहली खेप में तांबा, एंटीमोनी और नियोडिमियम जैसे खनिज अमेरिका को भेजे हैं। यह कदम पाकिस्तान के लिए एक नई आर्थिक साझेदारी की शुरुआत माना जा रहा है।
मुगलों और गुलामी की चर्चा: ऐतिहासिक संदर्भ
पाकिस्तान में इस डील पर मुगलों और गुलामी की चर्चा हो रही है। विशेष रूप से, मुग़ल सम्राट जहाँगीर के 1615 के उस निर्णय का हवाला दिया जा रहा है, जब उन्होंने अंग्रेजों को सूरत बंदरगाह पर व्यापार करने की अनुमति दी थी। इससे अंग्रेजों को भारत में पैर जमाने का अवसर मिला, जो अंततः उपनिवेशीकरण की ओर बढ़ा।
आसिम मुनीर और ट्रंप की मुलाकात: एक नई दिशा
पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस में मुलाकात की। इस मुलाकात में उन्होंने पाकिस्तान के खनिज संसाधनों का प्रदर्शन किया। इस कदम को लेकर पाकिस्तान में आलोचनाएं भी उठ रही हैं, कुछ नेताओं ने इसे “सेल्समैन” की भूमिका में देखी।
पासनी पोर्ट का प्रस्ताव: रणनीतिक पहल
पाकिस्तान ने अमेरिका को अरब सागर में स्थित पासनी पोर्ट के विकास का प्रस्ताव दिया है। यह पोर्ट ग्वादर से 100 किलोमीटर दूर और ईरान के चाबहार पोर्ट के पास स्थित है। इससे अमेरिका को पाकिस्तान के खनिज संसाधनों तक सीधी पहुंच मिल सकती है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: विरोध और समर्थन
पाकिस्तान की विपक्षी पार्टी पीटीआई ने इस डील पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे “गुप्त सौदा” करार दिया और इसकी पारदर्शिता की मांग की है। वहीं, सरकार इसे पाकिस्तान के लिए एक बड़ी रणनीतिक उपलब्धि मानती है।
पाकिस्तान और अमेरिका के बीच रेयर अर्थ मिनरल डील एक नई आर्थिक साझेदारी का संकेत देती है। हालांकि, इसके ऐतिहासिक संदर्भ और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं इस डील की जटिलता को दर्शाती हैं। आगे चलकर यह डील पाकिस्तान की विदेश नीति और आर्थिक स्थिति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है।