नेपाल में जेन-ज़ी प्रदर्शन के असली कारण: चीन का कर्ज़ जाल, आर्थिक संकट और बदलाव की मांग
हाल ही में नेपाल में युवाओं—खासकर जेन-ज़ी पीढ़ी—द्वारा चलाए गए विरोध प्रदर्शनों ने अंतरराष्ट्रीय ध्यान खींचा है। ये प्रदर्शन केवल सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ़ नहीं थे, बल्कि इसके पीछे गहरी आर्थिक और राजनीतिक नाराज़गी भी छुपी हुई थी।
1. चिंगारी और असली कारण
सोशल मीडिया पर प्रतिबंध ने विरोध को हवा दी, लेकिन असली गुस्सा भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और अपारदर्शी शासन को लेकर है। युवा महसूस करते हैं कि नेताओं की नाकामी और भाई-भतीजावाद ने उनके भविष्य को अंधकारमय बना दिया है।
2. श्रीलंका और बांग्लादेश से समानताएँ
नेपाल की स्थिति पड़ोसी देशों से काफी मिलती-जुलती है। श्रीलंका में 2022 में चीन से लिए गए महंगे कर्ज़ और बेकार पड़े प्रोजेक्ट्स ने देश को आर्थिक संकट में धकेला और जनता सड़कों पर उतर आई। बांग्लादेश में 2024 के आंदोलन नौकरी कोटे से शुरू हुए लेकिन धीरे-धीरे यह भ्रष्टाचार और राजनीतिक ठहराव के खिलाफ़ बड़े विरोध में बदल गए। इन्हीं घटनाओं ने नेपाल के युवाओं को भी प्रेरित किया।
3. चीन का कर्ज़ और आर्थिक दबाव
नेपाल ने विकास के लिए चीन से बड़े पैमाने पर कर्ज़ लिया है। लेकिन कई प्रोजेक्ट ऐसे हैं जिनसे आमदनी कम और कर्ज़ चुकाने का दबाव ज़्यादा है। श्रीलंका का हम्बनटोटा पोर्ट इसका बड़ा उदाहरण है, जिसने “कर्ज़ जाल” की बहस को और गहरा कर दिया है। यही चिंता नेपाल के युवाओं को भी परेशान कर रही है।
4. डिजिटल गुस्सा और नई राजनीति
नेपाल के युवाओं ने टिकटॉक जैसे प्लेटफॉर्म पर नेताओं के बच्चों की ऐशो-आराम की ज़िंदगी और आम जनता की परेशानियों के बीच का अंतर उजागर किया। इससे बेरोज़गारी और महंगाई से जूझ रही युवा पीढ़ी को एक साझा आवाज़ मिली।
5. आंदोलन से राजनीतिक बदलाव तक
सोशल मीडिया बैन विरोध की वजह बना, लेकिन जल्दी ही आंदोलन सरकारी जवाबदेही की मांग तक पहुँच गया। काठमांडू समेत कई शहरों में हज़ारों युवा सड़कों पर उतरे। झड़पों और हिंसा के बावजूद आंदोलन ने असर दिखाया—सरकार को सोशल मीडिया बैन वापस लेना पड़ा और प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफ़ा देना पड़ा।
मुख्य बातें
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नेपाल का आंदोलन केवल सोशल मीडिया प्रतिबंध नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और बेरोज़गारी के खिलाफ़ युवा नाराज़गी का परिणाम है।
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चीन के कर्ज़ ने आर्थिक दबाव बढ़ाया है, जिसकी तुलना लोग श्रीलंका और बांग्लादेश से कर रहे हैं।
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जेन-ज़ी डिजिटल माध्यमों से राजनीति में बदलाव की नई ताकत बनकर उभरी है।