पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जलपाईगुड़ी में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान जनता से आह्वान किया कि वे बिना किसी डर के अपनी मातृभाषा बंगाली में अधिक से अधिक बात करें। उन्होंने कहा कि यह समय अपनी पहचान को गर्व से प्रस्तुत करने का है, और किसी को भी अपनी भाषा बोलने से डरने की आवश्यकता नहीं है। उनका यह बयान उन घटनाओं के संदर्भ में था, जिनमें अन्य राज्यों में बंगाली भाषी प्रवासी श्रमिकों के साथ कथित भेदभाव और हमले हुए हैं।
बंगाली भाषा की गरिमा की रक्षा
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि बंगाली भाषा केवल एक भाषा नहीं, बल्कि बंगाल की संस्कृति, अस्मिता और गौरव का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि वे स्वयं रोजाना अपमान का सामना करती हैं, क्योंकि वे बंगाल के विकास के लिए काम कर रही हैं। इसलिए, उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे अपनी मातृभाषा में बात करें और किसी भी प्रकार के भेदभाव या डर से मुक्त रहें।
प्रवासी श्रमिकों के लिए सहायता की घोषणा
ममता बनर्जी ने यह भी घोषणा की कि जो बंगाली प्रवासी श्रमिक अन्य राज्यों से लौटेंगे, उन्हें राज्य सरकार की ओर से ₹5,000 की सहायता दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, उनके बच्चों को नजदीकी स्कूलों में दाखिला दिलवाने की व्यवस्था की जाएगी, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित रहे।
नेपाल में फंसे पर्यटकों के लिए आश्वासन
नेपाल में हाल ही में राजनीतिक अशांति के कारण कई बंगाली पर्यटक फंसे हुए हैं। मुख्यमंत्री ने इस स्थिति को गंभीरता से लिया है और कहा है कि जब तक हालात सामान्य नहीं हो जाते, तब तक पर्यटकों को धैर्य रखने की आवश्यकता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार इस मामले पर नजर बनाए हुए है और जल्द ही सभी पर्यटकों को सुरक्षित वापस लाया जाएगा।