प्रयागराज (इलाहाबाद) के एक मुस्लिम युवक सुफियान इलाहाबादी ने उमरा यात्रा के दौरान सऊदी अरब के मदीना शहर से स्वामी प्रेमानंद महाराज की सेहत की दुआ की। उन्होंने एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया जिसमें वे हाथ उठाकर कहते नजर आ रहे हैं कि “महाराज जी जल्द ठीक हो जाएँ।
उनका यह कदम एक सकारात्मक संदेश के रूप में देखा गया — धर्म की सीमाओं से परे इंसानियत की अनुभूति — लेकिन इस कार्रवाई के बाद उन्हें धमकियाँ और विरोध का सामना करना पड़ा।
वीडियो का भाव और वायरल होना
सुफियान ने लगभग 1 मिनट 20 सेकंड का यह वीडियो मदीना की मस्जिद के दृश्य को पृष्ठभूमि में लिए पोस्ट किया। वीडियो में वे प्रेमानंद महाराज की तस्वीर दिखाकर कहते हैं:
“ये हमारे प्रेमानंद महाराज जी हैं, हिंदुस्तान के बहुत अच्छे इंसान हैं … मैं यहाँ दुआ करता हूँ कि वे जल्द स्वस्थ हो जाएँ।”
वीडियो वायरल हो गया और सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे साझा किया। बहुत से लोग इस कदम को मानवता और धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक मानने लगे
धमकियों और विरोध का सिलसिला
जब यह वीडियो इंटरनेट पर वायरल हुआ, तभी कुछ कट्टर या असहमत लोगों ने सुफियान पर दबाव डालना शुरू कर दिया। उन्हें वीडियो हटाने की धमकियाँ मिलीं।
सुफियान ने बताया कि लगभग 5% प्रतिक्रियाएँ नकारात्मक थीं, जिसमें कहा गया कि वो वीडियो हटाएँ। लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि 95% लोग उनका समर्थन कर रहे हैं।
उन्होंने अपने बयान में कहा:
“चंदन और टोपी इंसान की पहचान नहीं होनी चाहिए। मैं वीडियो हटाने नहीं दूँगा। अपनी जान भी लगा सकता हूँ महाराज जी के लिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि प्रेमानंद महाराज “सच्चे और नेक इंसान” हैं, जो हमेशा भलाई की बात करते हैं, और उन्हें देखकर उन्होंने इस दुआ का इरादा किया।
सामाजिक संदेश और विवाद का महत्व
गंगा–जमुनी तहज़ीब की मिसाल
इस घटना को अक्सर गंगा-जमुनी तहज़ीब का उदाहरण बताया गया है — जहाँ हिंदू और मुस्लिम सांस्कृतिक मिश्रण और सौहार्द की परंपरा रही है। सुफियान ने भी इस साझा संस्कृति की बात की और कहा कि “नेकी सबसे बड़ी पहचान है”।
धार्मिक सौहार्द बनाम कट्टरता
जहाँ एक ओर लोग इस कदम की तारीफ कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे असामान्य या अनुचित मानते हैं। इस तरह की प्रतिक्रियाएँ धार्मिक ध्रुवीकरण और कट्टर विचारधाराओं को उजागर करती हैं।
सामाजिक और कानूनी पहल
धमकियों की रिपोर्ट सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया में की जा चुकी है। ऐसे मामलों में प्रशासन और कानून को संवेदनशीलता दिखानी होगी ताकि इस तरह की अभिव्यक्ति-स्वतंत्रता सुरक्षित रह सके।
प्रयागराज का यह मुस्लिम युवक मदीना से प्रेमानंद महाराज के लिए दुआ कर रहा था — एक सादे लेकिन शक्तिशाली संदेश के साथ कि इंसान पहले हो, धर्म बाद में।
लेकिन सोशल मीडिया की शक्तिशाली दुनिया में इस दुआ को धमकी और विरोध का सामना करना पड़ा।
यह घटना केवल एक व्यक्ति की दुवाओं या धमकियों की कहानी नहीं है, बल्कि समाज में धर्मनिरपेक्षता, सहिष्णुता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की परीक्षा है।
अगर आप चाहें तो मैं इस खबर का विश्लेषण और कट्टरता से मुकाबले की रणनीति भी लिख सकता हूँ — क्या मैं वो भी भेजूं?