मालपुरा, टोंक_जिला अस्पताल मालपुरा टोंक में शुक्रवार को एक सुनियोजित और प्रभावशाली फायर मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य अस्पताल स्टाफ और आम नागरिकों को आपातकालीन स्थिति में सतर्क, प्रशिक्षित और तैयार करना था।
इस पूरे आयोजन की निगरानी चिकित्सा अधिकारी श्री कैलाश सामरिया जी ने की। समय दोपहर 12:50 बजे, निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार फायर मॉक ड्रिल शुरू हुई। श्री सामरिया ने इस ड्रिल को सुरक्षा और जनकल्याण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
दमकल विभाग की सक्रिय भागीदारी
फायर मॉक ड्रिल में अग्निशमन विभाग की टीम ने हिस्सा लिया और आग लगने की स्थिति में त्वरित और सुरक्षित प्रतिक्रिया देने की संपूर्ण प्रक्रिया का प्रदर्शन किया। अग्निशमन टीम में शामिल प्रमुख सदस्य:
महेंद्र लाखनवाल – फायर प्रभारी
धर्मराज नायक – दमकल चालक
शबीर भिश्ती – फायरमैन
महेश चौधरी – फायरमैन
राकेश जाट – फायरमैन
मंगलेश तेजी – फायरमैन
त्रिलोक तेजी – फायरमैन
इन सभी कर्मचारियों ने मिलकर आग बुझाने, आग की दिशा पहचानने, और लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने की तकनीकों का प्रदर्शन किया।
सुरक्षा उपकरणों का प्रशिक्षण
ड्रिल के दौरान फायर एक्सटिंग्विशर, स्मोक डिटेक्टर, फायर अलार्म जैसी आवश्यक सुरक्षा व्यवस्थाओं का प्रयोग करके बताया गया कि किस प्रकार आग लगने की स्थिति में जीवन और संपत्ति को सुरक्षित रखा जा सकता है।
अस्पताल स्टाफ को इन उपकरणों के प्रयोग की विधि भी सिखाई गई, जिससे वह भविष्य में किसी आपातकालीन स्थिति में आत्मनिर्भर और सक्षम बन सकें।
उद्देश्य और प्रभाव
इस फायर मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य था:
कर्मचारियों और मरीजों में सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाना
वास्तविक अग्निकांड की स्थिति में त्वरित निर्णय लेने की क्षमता का विकास
आग से होने वाले संभावित नुकसान को न्यूनतम करना
ड्रिल के बाद चिकित्सा अधिकारी और अग्निशमन दल ने संयुक्त रूप से समीक्षा बैठक की, जिसमें पूरे अभ्यास की सराहना की गई और आगामी समय में और भी बेहतर तैयारियों पर चर्चा की गई।
स्थानीय प्रशासन और आमजन की प्रतिक्रिया
अस्पताल में मौजूद आम नागरिकों और स्टाफ ने इस पहल की सराहना की। उनका कहना था कि ऐसी फायर मॉक ड्रिल से उन्हें यह समझने में मदद मिलती है कि आपातकाल में क्या करें और कैसे खुद को सुरक्षित रखें।
जिला अस्पताल मालपुरा, टोंक में आयोजित यह फायर मॉक ड्रिल न केवल एक अभ्यास था, बल्कि यह अस्पताल की आपातकालीन तैयारियों और सुरक्षा संस्कृति को दर्शाने वाला उदाहरण भी बन गया। इस तरह की कार्यवाहियाँ निरंतर होती रहें, तो निस्संदेह किसी भी आपदा से निपटना आसान हो जाएगा।
संवाददाता: मनीष टेलर
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