राजस्थान की राजनीति से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। मालपुरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी रह चुके कारोबारी घासीलाल चौधरी पर जानलेवा हमला किया गया। यह हमला पाली स्थित एक निजी कंपनी में साझेदारी विवाद के चलते हुआ। घटना ने पूरे टोंक जिले ही नहीं बल्कि राज्य की राजनीतिक हलचल को भी हिला कर रख दिया है।
साझेदारी विवाद से उपजा विवाद
जानकारी के मुताबिक यह विवाद नया नहीं है।
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कई वर्ष पहले चरण सिंह चौधरी ने घासीलाल चौधरी से लगभग 35 करोड़ रुपये उधार लिए थे।
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समय आने पर पैसे लौटाने से उन्होंने इंकार कर दिया।
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दोनों पक्षों के बीच इस लेन-देन को लेकर लंबे समय से तनाव बना हुआ था।
7 अक्टूबर 2025 को यह विवाद अचानक हिंसक रूप में बदल गया।
बातचीत के बहाने बुलाया और किया हमला
घटना के दिन आरोपी चरण सिंह चौधरी ने घासीलाल चौधरी को बातचीत के बहाने दफ़्तर बुलाया।
कुछ देर बाद चरण सिंह अपने कुछ साथियों के साथ वहाँ पहुँचे और अचानक हमला कर दिया।
हमले के दौरान
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पीछे से टेबल उठाकर घासीलाल चौधरी पर जोरदार वार किया गया।
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हमले में घासीलाल गंभीर रूप से घायल हो गए और मौके पर अफरा-तफरी मच गई।
गंभीर हालत में जयपुर रेफर
घायल अवस्था में घासीलाल चौधरी को तुरंत नज़दीकी अस्पताल ले जाया गया, जहाँ प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें जयपुर के एस.एम.एस. अस्पताल रेफर किया गया।
डॉक्टरों के अनुसार उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है और उन्हें विशेष निगरानी में रखा गया है।
पुलिस जांच में जुटी
घटना की जानकारी मिलते ही पाली और टोंक पुलिस हरकत में आई।
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आरोपी चरण सिंह चौधरी और उनके साथियों पर जानलेवा हमले का मुकदमा दर्ज किया गया है।
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पुलिस ने कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया है और मामले की गहन जांच शुरू कर दी है।
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प्राथमिक जांच में यह मामला पूरी तरह साझेदारी विवाद और पैसों के लेन-देन से जुड़ा बताया जा रहा है।
राजनीतिक हलकों में हलचल
घटना के बाद टोंक और आसपास के राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है।
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घासीलाल चौधरी ने 2023 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था।
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उनकी राजनीतिक छवि और कारोबारी पहचान के कारण यह हमला चर्चा का बड़ा विषय बन गया है।
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स्थानीय नेताओं और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हमले की निंदा करते हुए आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
मालपुरा के पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी और कारोबारी घासीलाल चौधरी पर जानलेवा हमला न केवल साझेदारी विवाद का परिणाम है, बल्कि यह प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
अब देखना यह होगा कि पुलिस जांच में क्या तथ्य सामने आते हैं और आरोपियों को कब तक सजा मिलती है।
संवाददाता केशव राज सैन्