रुद्रप्रयाग: दिवाली के बाद भाई दूज के पावन अवसर पर गुरुवार को भगवान केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए विधिविधानपूर्वक बंद कर दिए गए। वैदिक मंत्रोच्चार और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ कपाट बंद होने की प्रक्रिया पूरी की गई। इस मौके पर मंदिर को सैकड़ों किलो फूलों से सजाया गया और हजारों श्रद्धालु “हर हर महादेव” के जयकारे लगाते नजर आए।
ऊखीमठ के लिए रवाना हुई पंचमुखी डोली
कपाट बंद होने के बाद बाबा केदारनाथ की पंचमुखी उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ के लिए रवाना हो गई। जानकारी के अनुसार, यह डोली पहले रामपुर में रात्रि विश्राम करेगी, फिर गुप्तकाशी पहुंचेगी और 25 अक्टूबर को ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ में विराजमान होगी। जहां अगले छह महीनों तक भगवान केदार की पूजा-अर्चना की जाएगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की पूजा-अर्चना
शुभ अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ धाम पहुंचकर पूजा-अर्चना की और बाबा केदार से प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की। उन्होंने कहा, “चारधाम यात्रा के इस सफल सत्र के लिए हम सभी को बाबा केदारनाथ का आशीर्वाद प्राप्त हुआ है। इस वर्ष रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जो प्रदेश के लिए सौभाग्य की बात है।”
कपाट बंद होने से पहले समाधि पूजा और भस्म स्नान
कपाट बंद होने से पूर्व तड़के 4 बजे से 6 बजे तक बाबा केदार के स्वयंभू लिंग की समाधि पूजा और विशेष भस्म स्नान किया गया। तीर्थ पुरोहित उमेश पोस्ती ने बताया कि जब भगवान केदार यहां प्रकट हुए थे तब उनका जल, दूध और घी से स्नान कराया गया था, लेकिन कपाट बंद होने के अवसर पर उन्हें भस्म स्नान कराया जाता है। इसके बाद सुबह 8:30 बजे डोली को मंदिर प्रांगण से बाहर लाया गया और मंदिर की परिक्रमा कराई गई।
18 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
इस वर्ष केदारनाथ धाम में रिकॉर्ड 17 लाख 57 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए। चारधाम यात्रा 2025 में श्रद्धालुओं की संख्या ने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। भारी बर्फबारी और ठंड के बावजूद कपाट बंद होने से ठीक पहले हजारों भक्तों ने अंतिम दर्शन किए।
चारधामों में शुरू हुआ शीतकालीन प्रवास
केदारनाथ के साथ ही यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट भी बंद हो चुके हैं। गंगोत्री धाम के कपाट 22 अक्टूबर को सुबह 11:30 बजे और यमुनोत्री धाम के कपाट दोपहर 12:30 बजे भैयादूज के दिन बंद किए गए। अब मां यमुना की भोग मूर्ति छह माह के लिए खरसाली के यमुना मंदिर में और मां गंगा की उत्सव मूर्ति मुखवा गांव के गंगा मंदिर में विराजमान रहेंगी।
चारधामों का महत्व और शीतकाल प्रवास
उत्तराखंड के चारों धाम – बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री – ऊंचे हिमालयी क्षेत्रों में स्थित हैं। ठंड बढ़ने और बर्फबारी के कारण हर वर्ष इन धामों के कपाट छह महीने के लिए बंद कर दिए जाते हैं। इस अवधि में देवप्रतिमाओं को उनके शीतकालीन गद्दीस्थलों पर लाया जाता है — केदारनाथ के लिए ऊखीमठ, बद्रीनाथ के लिए ज्योतिर्मठ, गंगोत्री के लिए मुखवा और यमुनोत्री के लिए खरसाली। श्रद्धालु इन स्थानों पर भगवान के दर्शन कर सकते हैं।
बद्रीनाथ धाम के कपाट अगले माह होंगे बंद
बद्रीनाथ धाम के कपाट अभी खुले हैं और 25 नवंबर 2025 को दोपहर 2:56 बजे बंद किए जाएंगे। इस वर्ष बद्रीनाथ धाम में भी 15 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। उत्तराखंड पर्यटन विभाग के अनुसार, इस बार चारधाम यात्रा से राज्य को अब तक का सबसे अधिक आर्थिक लाभ हुआ है।
दिवाली के बाद भाई दूज पर केदारनाथ धाम के कपाट का बंद होना आध्यात्मिक यात्रा के इस चरण का समापन है। भक्तों के लिए यह भावनात्मक क्षण होता है क्योंकि अब बाबा केदार के दर्शन छह महीने बाद ही संभव होंगे। ऊखीमठ में शीतकालीन पूजा-अर्चना के साथ भक्ति का यह सिलसिला अविरल चलता रहेगा।