झालावाड़। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (ABVP) ने बकानी‑झालावाड़ रोडवेज बस सेवा को बेहतर बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए जिला मुख्य परिवहन प्रबंधक, रोडवेज डिपो, झालावाड़ को एक ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में विभिन्न समयों में बसों की कम उपलब्धता, बसों के समय में बदलाव और आम जन, छात्रों व नौकरीपेशा वर्ग की परेशानियों का वर्णन किया गया है।
🧭 समस्या का परिचय
बकानी से झालावाड़ आने-जाने वालों को रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। विभिन्न श्रेणियों के यात्री—कॉलेज जाने वाले छात्र, रोजगारपेशा लोग, अस्पताल से आने‑जाने वाले, सामान्य परिवार—से ये शिकायतें लगातार मिल रही हैं कि बस सेवा अपर्याप्त और असमय है।
-
सुबह की शिफ्ट: कॉलेज जाने वाले छात्र और नौकरी करने वाले लोग इसलिए परेशान हैं क्योंकि पर्याप्त बसें नहीं हैं।
-
शाम की शिफ्ट: विद्यालय, स्वास्थ्य सेवाएँ या काम से लौटने वालों को आखिरी बस न मिल पाने की समस्या है।
-
रात की बस समय निर्धारण भी ऐसा होना चाहिए कि वह कोटा से झालावाड़ आने वाली ट्रेन के बाद हो, ताकि ट्रेन से उतरने के बाद यात्रियों को नियमित सार्वजनिक परिवहन से घर जाना आसान हो।
इन सभी समस्याओं ने “परिवहन सुविधा की कमी” को एक बड़ी समस्या बना दिया है।
📋 ज्ञापन में ABVP की मांगें
ज्ञापन में मुख्य रूप से निम्नलिखित मांगें शामिल हैं:
-
बसों की संख्या बढ़ाई जाए
विशेषकर सुबह और शाम के समय कम से कम दो बड़ी बसें (बढ़ी क्षमता वाली) चलाने की मांग। -
अंतिम बस का समय बदला जाए
झालावाड़ से बकानी की अंतिम बस को कोटा से झालावाड़ आने वाली ट्रेन के बाद रात 8 बजे निर्धारित किया जाए, ताकि छात्र, नौकरीपेशा और आम यात्री समय पर घर पहुँच सकें। -
गुणवत्ता व सुविधाएँ बेहतर हो
बसों के समय पर आने‑जाने, सीटों की उपलब्धता, यात्रा की सहजता और आराम पर ध्यान दिया जाए। -
नियमित संचालन सुनिश्चित हो
बसों का समय देखें और यात्रियों को विश्वसनीय सेवा मिले; अनियमित या देरी से छुटने वाली बसों से राहत दिलाई जाए।
👥 ज्ञापन सौंपने वालों में कौन‑कौन थे?
ज्ञापन सौंपने की कार्रवाई में शामिल थे:
-
ABVP जिला संयोजक रवि मेघवाल
-
छात्रसंघ अध्यक्ष दीपेन्द्र सिंह
-
नगर मंत्री हर्षित जैन सिंह
-
छात्र नेता ललित नागर, शिवराज, छितर हांडा
-
पूर्व छात्रसंघ महासचिव बकानी रमेश शर्मा
-
रामेश्वर सिंह चौहान (राजकीय महाविद्यालय, झालावाड़)
इन नेताओं ने अस्त‑व्यस्त बस व्यवस्था को लेकर समाज की ओर से परिवहन विभाग तथा रोडवेज प्रबंधन से तुरंत सुधार की अपेक्षा जताई है।
📅 वर्तमान स्थिति: इतिहास और दृष्टिकोण
परिवहन विभाग और रोडवेज निगम की जिम्मेदारी है कि सार्वजनिक परिवहन की आवश्यकताएँ पूरी हों। राजस्थान सहित अन्य जिलों में भी लोग अक्सर बसों की कमी, समय की अनियमितता और आखिरी बस न होने से परेशानी का सामना करते हैं।
-
कई इलाकों और मार्गों पर बस सेवाएं बंद या सीमित हो गई हैं, जैसे कि ABVP सहित अन्य संगठनों ने विभिन्न इलाकों में मांगों के ज्ञापन सौंपे हैं। कई यात्रियों को निजी वाहनों या महंगी सवारी साधनों पर निर्भर होना पड़ता है, जिसकी वजह से यात्रा की लागत बढ़ जाती है। यह खासतौर पर कम‑आय वाले लोग और छात्र वर्ग के लिए कठिन है।
⚖️ सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
बस सेवा की कमज़ोर व्यवस्था के निम्नलिखित प्रभाव दिखते हैं:
-
शिक्षा प्रभावित होती है: कॉलेज एवं विद्यालय जाने वाले छात्रों को समय पर पहुँचने की समस्या होती है, कुछ छात्रों को तब तक इंतजार करना पड़ता है या अनुपयुक्त साधन चुनने पड़ते हैं।
-
आर्थिक बोझ बढ़ता है: निजी या किराए की सवारी अधिक महंगी होती है। नियमित और विश्वसनीय बस सेवा न होने से लोगों को अतिरिक्त खर्चा करना पड़ता है।
-
स्वास्थ्य सेवाएँ प्रभावित: अस्पताल जाने‑वाले मरीजों या उनके परिजन समय पर पहुंच नहीं पाते, जिससे स्वास्थ्य संबंधित जोखिम होते हैं।
-
सामाजिक असमानता: मध्य और निम्न आय वर्ग के लोग सबसे अधिक प्रभावित हैं क्योंकि उनके पास वैकल्पिक साधन कम हैं।
- संवादता : रमेशचंद शर्मा