जैसलमेर, 14 अक्टूबर 2025: राजस्थान के जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर मंगलवार दोपहर करीब 3:30 बजे चलती एसी स्लीपर बस में अचानक आग लग गई। बस में 57 यात्री सवार थे। हादसे में 20 यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 15 लोग गंभीर रूप से झुलस गए। इनमें 2 बच्चे और 4 महिलाएं शामिल हैं।
आग का त्वरित फैलाव और राहत कार्य
हादसे की सूचना मिलते ही ग्रामीण और राहगीर मौके पर पहुंचे। आग इतनी भीषण थी कि कुछ यात्रियों को बस की खिड़की से कूदकर अपनी जान बचानी पड़ी। दमकल की कई गाड़ियों ने करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। झुलसे यात्रियों को पहले जवाहर अस्पताल, जैसलमेर ले जाया गया, और बाद में सभी को जोधपुर रेफर किया गया।
मृतकों की पहचान और DNA परीक्षण
मरने वालों में स्थानीय पत्रकार राजेंद्र सिंह चौहान और 79 वर्षीय हुसैन खां शामिल हैं। बाकी शव बुरी तरह झुलसने के कारण पहचान योग्य नहीं हैं, इसलिए DNA परीक्षण के माध्यम से पहचान की जा रही है। सबसे दर्दनाक कहानी है सेना के जवान महेंद्र मेघवाल और उनके पूरे परिवार की — पत्नी और तीन बच्चों के साथ वे इस हादसे में जीवन की अंतिम सांसें लेने पहुंचे।
हादसे का संभावित कारण
प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट को आग लगने का कारण बताया गया है। कुछ स्थानीय लोग दावा कर रहे हैं कि बस की डिग्गी में रखे पटाखे गर्मी से फट गए। एसी कम्प्रेशर फटने और गैस-डीज़ल के संपर्क में आने की भी आशंका जताई जा रही है। हादसे के समय बस में केवल एक ही दरवाजा था, जिससे यात्री फंस गए और कई लोग नहीं बच सके।
घायलों की जोधपुर में देखभाल
जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में बर्न यूनिट में घायलों का इलाज चल रहा है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सभी घायलों के लिए 24 घंटे विशेष चिकित्सकीय निगरानी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। घायलों को भोजन, आवास और अन्य आवश्यक सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।
मुआवजा और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मृतकों के परिजनों के लिए 2-2 लाख रुपये और घायलों के लिए 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की। राज्यपाल और अन्य राजनेताओं ने हादसे पर संवेदना व्यक्त की। इस बीच कई सांसदों और नेताओं ने बस सुरक्षा और प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल उठाए हैं।
जैसलमेर की रेत में उस दोपहर सिर्फ आग नहीं लगी, बल्कि प्रशासन की संवेदनशीलता और सुरक्षा व्यवस्था की कमज़ोरी भी उजागर हुई। यह हादसा यह दिखाता है कि केवल जांच और मुआवजा पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि जिम्मेदारी और सुरक्षा मानकों का पालन भी ज़रूरी है।
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