पाकिस्तान का कुख्यात आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) एक बार फिर सुर्खियों में है। संगठन ने अपनी पहली महिला ब्रिगेड ‘जमात-उल-मोमिनात’ शुरू की है और इसी के नाम पर ऑनलाइन भर्ती अभियान चला रहा है। सतह पर यह “धार्मिक प्रशिक्षण” बताया जा रहा है, लेकिन असल में जैश युवा लड़कों और लड़कियों को आतंकी नेटवर्क में शामिल कर रहा है।
पाकिस्तान की आर्मी की शह पर चल रहा अभियान
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान की सेना की शह पर जैश फिर से सक्रिय हुआ है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना ने जैश का मुख्य ठिकाना बहावलपुर (पंजाब प्रांत) में तबाह कर दिया था। इसके बावजूद संगठन अब दोबारा संगठित हो रहा है और नई भर्ती के ज़रिए फंड जुटा रहा है।
1500 आतंकी शामिल, 100 करोड़ रुपए जुटाए
रिपोर्ट्स के अनुसार, जैश ने पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों से करीब 1500 नए आतंकियों की भर्ती की है। इसके साथ ही जैश से जुड़े मदरसों और मस्जिदों से लगभग 100 करोड़ रुपए चंदे के रूप में जुटाए जा चुके हैं। यह रकम पुराने ठिकानों की मरम्मत और नए नेटवर्क विस्तार के लिए इस्तेमाल की जा रही है।
नवंबर में 100 सम्मेलन की तैयारी
जैश अब ऑफलाइन नेटवर्क फैलाने की भी साजिश रच रहा है। नवंबर में पाकिस्तान के कई शहरों में 100 से अधिक मरकज़ (सम्मेलन) आयोजित किए जाएंगे।
इन कार्यक्रमों का उद्देश्य ग्रामीण युवाओं का ब्रेनवॉश कर उन्हें कट्टरपंथी विचारधारा की ओर मोड़ना है, ताकि उन्हें आगे चलकर आत्मघाती दस्तों में शामिल किया जा सके।
मसूद अजहर की बहनें दे रहीं ऑनलाइन ट्रेनिंग
जैश के सरगना मसूद अजहर की दो बहनें — सादिया और समैरा (सुमायरा) — महिला ब्रिगेड की ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन कर रही हैं। ये रोज़ाना 40 मिनट की ऑनलाइन क्लासेस लेती हैं, जिसमें महिलाओं को “इस्लाम और जिहाद में उनकी भूमिका” समझाई जाती है।
प्रत्येक प्रतिभागी से इसके लिए 500 पाकिस्तानी रुपए फीस भी ली जा रही है।
POK में नेटवर्क विस्तार की साजिश
जैश का अगला लक्ष्य पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में नेटवर्क बढ़ाना है। संगठन ने मुजफ्फराबाद, मीरपुर, कोटली और रावलाकोट में नए टेरर लॉन्च पैड्स तैयार करने की योजना बनाई है। इसका मकसद भारतीय सीमाओं पर आतंकी गतिविधियों को बढ़ाना है।
एफएटीएफ से बचने के लिए बनाया गया डिकॉय ऑपरेशन
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के दबाव के चलते पाकिस्तान सरकार पर आतंकी संगठनों पर रोक लगाने का दबाव है। ऐसे में जैश ने इस भर्ती अभियान को एक “धार्मिक शिक्षा कार्यक्रम” का रूप दिया है ताकि पाकिस्तान की सरकार इसको FATF से छुपा सके।
असल में यह एक डिकॉय ऑपरेशन है, जिसके जरिए आतंकियों को फिर से प्रशिक्षित और फंडेड किया जा रहा है।
भारत के लिए फिर बढ़ा खतरा
जैश की इस नई गतिविधि से भारत के लिए खतरा बढ़ गया है। संगठन PoK में अपने ठिकाने मजबूत कर भारत विरोधी आतंकियों की नई खेप तैयार कर रहा है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इसकी निगरानी में जुटी हैं और जैश के ऑनलाइन नेटवर्क पर लगातार नज़र रखी जा रही है।



