हरनावदाशाहजी कस्बे में सरपंच चुनाव के समय किए गए वादे अब अधूरे रह गए हैं। स्थानीय निवासियों के अनुसार, चुनाव के दौरान मुस्लिम समाज से कब्रिस्तान के लिए जमीन देने का वादा किया गया था, लेकिन 6 साल बीत जाने के बाद भी वह वादा पूरा नहीं हुआ। इससे कस्बे का मुस्लिम समुदाय खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है।
मुस्लिम समाज को नहीं मिली कब्रिस्तान की जमीन
मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बताया कि चुनाव के दौरान नेताओं ने कब्रिस्तान की जमीन देने का वादा किया था ताकि अंतिम संस्कार की सुविधा सुगमता से हो सके। लेकिन समय बीतने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अब लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर ऐसे वादों का क्या मतलब जब उन्हें पूरा ही नहीं किया जाता।
गौशाला की स्थिति भी चिंताजनक
सिर्फ कब्रिस्तान ही नहीं, बल्कि हरनावदाशाहजी की पुरानी गौशाला भी अब गंभीर स्थिति में पहुंच गई है। वहां मौजूद गौमाताओं के लिए जगह कम पड़ रही है, जिससे कई गौवंश खुले में भटकने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इन बेबस और बेज़ुबान गौमाताओं के लिए उचित व्यवस्था नहीं की जा रही, जिससे पशु सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
ग्रामीणों का आरोप – प्रशासन बेखबर नहीं, फिर भी लापरवाह
गांव के कई निवासियों ने आरोप लगाया है कि यह समस्या नई नहीं है। पंचायत और प्रशासन को इन दोनों मुद्दों की पूरी जानकारी है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। लोगों का कहना है कि धार्मिक स्थलों से जुड़े इन मुद्दों को लेकर दोनों समुदाय चिंतित हैं, फिर भी संबंधित अधिकारी मौन हैं।
हरनावदाशाहजी में लंबे समय से लंबित पड़े वादों ने दोनों समुदायों में असंतोष बढ़ा दिया है। गौशाला और कब्रिस्तान की जमीन का समाधान न सिर्फ सामाजिक संतुलन बनाएगा, बल्कि क्षेत्र में सौहार्द और आपसी एकता को भी मजबूत करेगा।
प्रशासन और पंचायत पर सवाल
अब सवाल उठता है कि आखिर क्यों 6 साल में भी इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई?
ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत और प्रशासन दोनों ही स्तर पर लापरवाही बरती गई है।
आज हालात ऐसे हैं कि लोगों को खबरों और जनआवाज उठाकर पंचायत को चेतावनी देनी पड़ रही है।
हरनावदाशाहजी में कब्रिस्तान की जमीन और गौशाला विस्तार दोनों ही गंभीर मुद्दे हैं, जो अब तक अधूरे पड़े हुए हैं। मुस्लिम समाज खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है और गौमाताओं की स्थिति भी दयनीय होती जा रही है।
यह मामला दिखाता है कि चुनावी वादों और जमीनी हकीकत में कितना बड़ा फर्क होता है। अब ग्रामीणों की उम्मीद है कि प्रशासन और पंचायत इस ओर गंभीरता दिखाएंगे और जल्द समाधान करेंगे।
संवाददाता कामरान अली