कस्बे में पिछले 7 से 8 महीनों से जुआ और सट्टे का अवैध कारोबार तेजी से फैलता जा रहा है। कभी गली-मोहल्लों तक सीमित रहने वाला यह खेल अब खुलेआम सड़कों, चौपालों और मैदानों में खेला जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस प्रशासन की उदासीनता इस बढ़ते जुए-सट्टे की जड़ है।
खुलेआम कट रही हैं सट्टे की पट्टियां
पहले जहां सट्टा सीमित स्थानों पर होता था, अब वही खेल नए बस स्टैंड, फकीर मोहल्ला, मेला मैदान और नई बस्ती में खुलेआम चल रहा है। पेड़ों के नीचे, हाथ ठेलों पर और सड़कों के किनारे सट्टे की पट्टियां काटी जा रही हैं।
लोगों का कहना है कि पुलिस के वाहन रोज गश्त पर निकलते हैं, लेकिन इन अड्डों को अनदेखा किया जा रहा है।
“पुलिस को छोड़ सबको दिख रहे हैं ये अड्डे,” – यह वाक्य आज कस्बे के लोगों की जुबान पर चढ़ गया है।
सरेआम लग रहे हैं जुए के फड़
कस्बे में जुए के फड़ भी दिन-रात खुलेआम चल रहे हैं। पुलिस कभी-कभार छोटे स्तर पर कार्रवाई कर अपनी पीठ थपथपा लेती है, लेकिन बड़े अड्डों पर कार्रवाई से लगातार बच रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिन जुआरियों पर कार्रवाई होनी चाहिए, वे पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।
पुलिस की मिलीभगत पर उठे सवाल
नागरिकों का कहना है कि नए बीट प्रभारी के आने के बाद से सट्टे और जुए का कारोबार और तेज़ी से बढ़ा है।
ऐसे में लोगों को पुलिस की मिलीभगत की आशंका हो रही है।
लोग सवाल उठा रहे हैं कि —
“जब आम जनता को सट्टेबाजों की जगह मालूम है, तो पुलिस को क्यों नहीं?”
पुलिस का पक्ष: “सूचना पर तुरंत कार्रवाई”
थाना प्रभारी बृजेश चौधरी ने बताया,
“जहां-जहां से सूचना मिलती है, वहां कार्रवाई की जाती है। कई बार मौके पर कुछ नहीं मिलता। फिर भी अगर किसी को जानकारी है कि जुआ या सट्टा चल रहा है, तो तुरंत पुलिस को बताएं।”
वहीं पुलिस उपाधीक्षक विकास कुमार (छबड़ा) ने कहा —
“हमारी गाड़ियां लगातार गश्त पर रहती हैं। अगर किसी स्थान पर ऐसा कोई मामला चल रहा है, तो सूचना मिलते ही कार्रवाई की जाएगी।”
जनता की मांग: ठोस कार्रवाई से ही लगेगी लगाम
कस्बे के लोगों का कहना है कि अगर पुलिस लगातार और निष्पक्ष कार्रवाई करे, तो इन अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
इनका कहना है कि जुए-सट्टे के कारण युवाओं में बिगड़ती मानसिकता और आर्थिक नुकसान बढ़ रहा है, जिससे समाज की छवि पर भी असर पड़ रहा है।
हरनावदा शाहजी में जुआ और सट्टा अब सामाजिक समस्या का रूप ले चुका है। पुलिस को चाहिए कि वह सिर्फ औपचारिक कार्रवाई न करे, बल्कि जमीनी स्तर पर इन अड्डों को खत्म करने के लिए ठोस कदम उठाए। तभी कस्बे की बिगड़ती फिजा सुधर सकेगी और जनता का विश्वास बहाल हो पाएगा।
संवाददाता केशव शर्मा