ग्रीन पटाखे: दिल्ली सरकार की कोर्ट में अनुमति की तैयारी, क्या हैं और कैसे अलग हैं

दिल्ली:   ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों का पर्यावरण के अनुकूल विकल्प हैं।
ये पटाखे कम धुआं और कम प्रदूषण पैदा करते हैं।
सामान्य पटाखों में रासायनिक पदार्थ अधिक होते हैं, जो वायु और ध्वनि प्रदूषण बढ़ाते हैं।
इसके विपरीत, ग्रीन पटाखे में इन रसायनों की मात्रा कम होती है और यह पर्यावरण के लिए सुरक्षित माने जाते हैं।

दिल्ली सरकार का कदम

दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी ताकि ग्रीन पटाखों की बिक्री और उपयोग की अनुमति दी जा सके।
सरकार का तर्क है कि ग्रीन पटाखों से पारंपरिक पटाखों की तुलना में प्रदूषण कम होगा और त्योहारों में आनंद भी मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट की अनुमति मिलने के बाद दिल्ली में ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल आसानी से किया जा सकेगा।

ग्रीन पटाखों और पारंपरिक पटाखों में अंतर

  1. प्रदूषण: ग्रीन पटाखे कम धुआं और हानिकारक गैसें छोड़ते हैं।

  2. ध्वनि: इनकी आवाज पारंपरिक पटाखों से कम होती है, जिससे घर और पालतू जानवरों पर कम असर पड़ता है।

  3. सुरक्षा: रासायनिक सामग्री कम होने के कारण आग लगने का खतरा कम होता है।

  4. उत्सव का आनंद: रंगीन और रोशनी में पारंपरिक पटाखों जैसा ही आनंद मिलता है।

कहां मिलते हैं ग्रीन पटाखे

ग्रीन पटाखे अब अधिकांश ऑनलाइन और ऑफलाइन स्टोर्स में उपलब्ध हैं।
त्योहारों के समय इन्हें स्थानीय दुकानों और पटाखा मॉल में आसानी से खरीदा जा सकता है।
सरकार ने आम जनता को ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए कई जागरूकता अभियान भी शुरू किए हैं।

ग्रीन पटाखे पर्यावरण और सुरक्षा दोनों के लिहाज से पारंपरिक पटाखों से बेहतर विकल्प हैं।
दिल्ली सरकार का सुप्रीम कोर्ट में अनुमति का कदम प्रदूषण और सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
इससे त्योहारों के समय ध्वनि और वायु प्रदूषण में कमी आएगी और जनता सुरक्षित और आनंददायक उत्सव मना सकेगी।

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