दुनिया की एयरफोर्स पावर रैंकिंग में भारत को तीसरा स्थान मिला है। भारत से आगे सिर्फ अमेरिका और रूस हैं, जबकि चीन चौथे स्थान पर रहा। इस रैंकिंग ने एशिया में रणनीतिक संतुलन पर असर डाला है।
इस रैंकिंग को लेकर चीन का सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स बौखलाया हुआ दिखाई दिया। अखबार ने चीनी मिलिट्री एक्सपर्ट झांग जुन्शे के हवाले से लिखा कि यह रैंकिंग केवल कागजों पर आधारित है और वास्तविक युद्ध क्षमता का आकलन जरूरी है।
भारत की एयरफोर्स की खासियत
भारत के पास कुल 1,716 एयरक्राफ्ट हैं, जिनमें 31.6% फाइटर जेट्स, 29% हेलिकॉप्टर और 21.8% ट्रेनर एयरक्राफ्ट शामिल हैं।
ऑपरेशन क्षमता और संतुलित बेड़ा
भारत ने अपने बेड़े को संतुलित, पायलट प्रशिक्षण और क्विक मिशन एक्जीक्यूशन पर जोर दिया है। यही कारण है कि भारत की वायुसेना कई मायनों में चीन से बेहतर प्रदर्शन कर सकती है, भले ही विमानों की संख्या कम हो।
चीन की एयरफोर्स स्थिति
चीन के पास 3,733 एयरक्राफ्ट हैं, जिनमें 68.7% फाइटर, 24.4% हेलिकॉप्टर और केवल 10.7% ट्रेनर एयरक्राफ्ट हैं।
गुणवत्ता और संचालन क्षमता में कमी
अधिक लड़ाकू विमान होने के बावजूद, चीन का संतुलन और ऑपरेशनल दक्षता भारत की तुलना में कमजोर मानी गई है। इसके कारण चीन को रैंकिंग में भारत से पीछे रखा गया।
रैंकिंग का आधार और महत्व
यह रैंकिंग वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मॉडर्न मिलिटरी एयरक्राफ्ट (WDMMA) ने बनाई है। इसमें 103 देशों और 129 एयर सर्विसेज को शामिल किया गया।
रैंकिंग के मानदंड
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विमान की उन्नत तकनीक और आधुनिकीकरण
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ऑपरेशनल ट्रेनिंग और तैयारी
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लॉजिस्टिक सपोर्ट और रखरखाव
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घरेलू उत्पादन क्षमता
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मिशन विविधता
इस रैंकिंग से पता चलता है कि सिर्फ विमानों की संख्या से एयरफोर्स की ताकत नहीं तय होती, बल्कि संतुलित बेड़ा और ऑपरेशन क्षमता अधिक महत्वपूर्ण है।
चीन के ग्लोबल टाइम्स का बयान
ग्लोबल टाइम्स ने इसे केवल कागजों पर आधारित रैंकिंग करार दिया। अखबार ने चेतावनी दी कि अमेरिकी और भारतीय मीडिया की हाइप चीन-भारत प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे सकती है और गलतफहमी की श्रृंखला शुरू कर सकती है।
ग्लोबल टाइम्स चीन की सरकारी सोच का आइना माना जाता है और यह पीपल्स डेली का हिस्सा है। इसे चीन की विदेश नीति और विचारधारा को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पेश करने के लिए स्थापित किया गया था।