दिवाली की रात सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी करते हुए दिल्ली-NCR में देर रात तक आतिशबाजी की गई। इसका असर अगले ही दिन सुबह देखने को मिला — आसमान में घनी धुंध और हवा में जहरीलापन। दिल्ली के कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 से ऊपर पहुंच गया, जो “गंभीर” श्रेणी में आता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, सोमवार रात 10 बजे तक दिल्ली का औसत AQI 344 दर्ज हुआ। मंगलवार सुबह द्वारका में AQI 417, वजीरपुर में 423, आनंद विहार और अशोक विहार दोनों जगह 404 तक पहुंच गया।
हरियाणा के कई जिलों में हवा “गंभीर प्लस” स्तर पर
हरियाणा में प्रदूषण की स्थिति सबसे खराब रही। करीब 15 जिलों में AQI 500 तक पहुंच गया, जो “गंभीर प्लस” श्रेणी माना जाता है। मंगलवार सुबह रोहतक में AQI 320, नारनौल में 311 और बहादुरगढ़ में 306 रिकॉर्ड किया गया।
वहीं राजस्थान में औसत AQI 243 रहा, जबकि भिवाड़ी में यह सबसे अधिक 318 तक पहुंचा।
GRAP-I लागू, सरकार ने दिए सख्त निर्देश
बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सरकार ने GRAP-I (Graded Response Action Plan) लागू कर दिया है। यह तब लागू होता है जब AQI 200 से 300 के बीच होता है। इसके तहत 27 सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं — एंटी-स्मॉग गन का प्रयोग, सड़कों पर पानी का छिड़काव, धूल नियंत्रण उपाय और निर्माण कार्यों की निगरानी शामिल हैं।
गाजियाबाद के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. शरद जोशी ने लोगों को सलाह दी है कि बाहरी गतिविधियों के दौरान N95 या डबल सर्जिकल मास्क पहनें और बच्चों, बुजुर्गों व दमा के मरीजों को घर में ही रहने की कोशिश करनी चाहिए।
पराली जलाना बना प्रदूषण की बड़ी वजह
हर साल दिवाली के बाद उत्तर भारत में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं, जिससे वायु गुणवत्ता और बिगड़ जाती है। दिल्ली के आसपास हरियाणा और पंजाब में सबसे ज्यादा पराली जलाई जाती है।
2015 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने पराली जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था, लेकिन किसानों के पास फसल अवशेष निपटान के सस्ते साधन न होने के कारण वे अब भी ऐसा करने को मजबूर हैं।
केंद्र सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) अधिनियम 2021 के तहत जुर्माने का प्रावधान किया है —
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2 एकड़ तक की जमीन पर ₹5,000
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2 से 5 एकड़ तक ₹10,000
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5 एकड़ से अधिक पर ₹30,000 का जुर्माना लगाया जा सकता है।
नागरिकों की जिम्मेदारी भी उतनी ही जरूरी
प्रदूषण पर नियंत्रण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। नागरिकों को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। आतिशबाजी से बचना, वाहनों का सीमित उपयोग, पौधारोपण और कचरा जलाने से परहेज जैसे छोटे कदम भी बड़े बदलाव ला सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अब भी सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दिनों में दिल्ली-NCR की हवा और भी ज्यादा खतरनाक हो सकती है।