दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाने वाला यह पर्व भगवान धन्वंतरि और माता लक्ष्मी की आराधना के लिए विशेष माना जाता है। साल 2025 में यह शुभ दिन 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसी कारण यह तिथि धन और स्वास्थ्य की प्राप्ति का प्रतीक मानी जाती है।
तीन शुभ मुहूर्तों में करें खरीदारी
इस बार खरीदारी के लिए तीन विशेष समय बन रहे हैं। पहला शुभ समय सुबह 8 बजकर 50 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। दूसरा मुहूर्त सुबह 11 बजकर 43 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक रहेगा, जबकि तीसरा और सबसे उत्तम मुहूर्त शाम 7 बजकर 16 मिनट से रात 8 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इन समयों में की गई खरीदी से घर में धन और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
सोना-चांदी ही नहीं, ये चीजें भी शुभ हैं
लोग इस दिन प्रायः सोना और चांदी खरीदते हैं, लेकिन इसके अलावा बर्तन, चांदी के सिक्के, नए कपड़े या इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं खरीदना भी लाभदायक होता है। कुछ लोग इस दिन नया वाहन या प्रॉपर्टी बुकिंग भी करते हैं, जिसे दीर्घकालिक स्थिरता का प्रतीक माना जाता है।
पूजन विधि और मंत्र
शाम के समय घर को दीपों से सजाएं और भगवान कुबेर व देवी लक्ष्मी की पूजा करें। कमल पुष्प, चावल, हल्दी और मिठाई अर्पित करें। मंत्र “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः” और “ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय नमः” का जप करने से धन की वृद्धि होती है। पूजा के बाद घर के मुख्य द्वार पर दीपक अवश्य जलाएं।
क्या न खरीदें इस दिन
लोहे की वस्तुएं, काले कपड़े, कांच या धारदार चीजें इस दिन खरीदने से बचना चाहिए। इन वस्तुओं की खरीद से अशुभ ऊर्जा घर में प्रवेश करती है। इसके अलावा, कर्ज लेना या देना भी इस तिथि पर वर्जित माना गया है।
दान और दीपदान का विशेष महत्व
धनतेरस की रात यमराज के नाम से दीपदान करना शुभ फलदायक होता है। यह अकाल मृत्यु के भय को समाप्त करता है। साथ ही गरीबों को भोजन, वस्त्र या धन का दान करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
समृद्धि का आरंभ
कार्तिक मास की यह पवित्र तिथि न केवल धन की वृद्धि का प्रतीक है, बल्कि सकारात्मक सोच और आत्मनिर्भरता का भी संदेश देती है। श्रद्धा और विश्वास के साथ किए गए पूजन से जीवन में नई ऊर्जा और समृद्धि का संचार होता है।