वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में शनिवार को धनतेरस के शुभ अवसर पर 54 साल बाद खजाना कक्ष खोला गया। इस मौके पर मंदिर परिसर में भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए।
श्रद्धालुओं में दिखा जबरदस्त उत्साह
कक्ष खुलने से पहले ही श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों में यह चर्चा तेज थी कि आखिर बंद कमरे के भीतर क्या छिपा है। जैसे ही ताला तोड़ा गया, मंदिर परिसर में भारी उत्साह और श्रद्धा का माहौल देखने को मिला।
खजाने के कमरे से क्या-क्या मिला?
मंदिर में मौजूद सेवाकर्मियों ने बताया कि खजाने का यह कमरा ठाकुर जी के गर्भगृह के ठीक पास स्थित है, जिसे सुरक्षा कारणों से कई दशक पहले बंद कर दिया गया था। अंदर ठाकुर जी के दैनिक उपयोग के बर्तन, कलसे, वस्त्र, आभूषण और स्नान सामग्री जैसी वस्तुएं मिलीं।
सोने-चांदी के आभूषण पहले ही जमा कराए गए थे
मंदिर कर्मचारियों ने बताया कि ठाकुर जी के छोटे सोने-चांदी के आभूषण पहले ही स्टेट बैंक मथुरा में जमा कर दिए गए थे। जब खजाना कक्ष खोला गया, तो कमरे में पानी और कीचड़ भरा मिला और अंदर चूहे भी दिखाई दिए।
साफ-सफाई के बाद नहीं मिली कोई कीमती वस्तु
सफाई के बाद जांच में किसी भी प्रकार का बहुमूल्य खजाना नहीं मिला। कमरे में केवल ठाकुर जी की पूजा और सेवा से जुड़ी वस्तुएं ही पाई गईं। मंदिर प्रशासन ने बताया कि अगर भविष्य में कोई कीमती वस्तु मिलती है, तो उसका उपयोग ठाकुर जी की सेवा में किया जाएगा।
मंदिर प्रशासन की प्रतिक्रिया
मंदिर प्रशासन ने कहा कि इस प्रक्रिया के दौरान सुरक्षा मानकों का पूरा पालन किया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि बांके बिहारी मंदिर में कभी ऐसा खजाना नहीं था जो किसी राजा द्वारा दान किया गया हो।
भक्तों में उत्सुकता और आस्था का संगम
करीब आधी सदी बाद खजाना कक्ष खुलने से वृंदावन में भक्तों और स्थानीय लोगों में उत्सुकता और आस्था का माहौल देखने को मिला। धनतेरस के शुभ दिन पर यह घटना भक्तों के लिए ऐतिहासिक पल बन गई।