आईएएनएस की रिपोर्ट और अंतरिम सरकार के एक वरिष्ठ सलाहकार के अनुसार बांग्लादेश में इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी आर्मी (IRA) के गठन का पहला चरण चल रहा है। सोशल मीडिया पर हुए खुलासे में कहा गया है कि करीब 7 कैंपों में कुल 8,850 व्यक्तियों की भर्ती कर उन्हें मार्शल आर्ट, हथियार प्रशिक्षण, ताइक्वोंडो और जूडो जैसी ट्रेनिंग दी जा रही है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इस पहल के पीछे जमात-ए-इस्लामी और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का प्रभाव है।
IRA की संरचना और मकसद — रिपोर्ट क्या बताती है?
सूत्रों के मुताबिक IRA को ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) की तर्ज पर तैयार किया जा रहा है — यानी एक संगठित, कट्टरपंथी और विचारधारात्मक रूप से प्रेरित संस्था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका उद्देश्य बांग्लादेश में धार्मिक शासन-व्यवस्था को बढ़ावा देना और ‘मोरल पुलिसिंग’ जैसे नियंत्रण लागू करना हो सकता है। साथ ही दस्तावेज़ों और बयानों के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि बड़ा लक्ष्य पड़ोसी भारत होगा।
कौन कर रहा है प्रशिक्षण — किस तरह के अधिकारी शामिल हैं?
रिपोर्ट में बताया गया है कि इन प्रशिक्षण कैंपों में रिटायर्ड सेना के अधिकारी ट्रेनर के रूप में जुड़े हुए हैं जिनके झुकाव पाकिस्तान समर्थक बताए जा रहे हैं। ऐसे में सुरक्षा विशेषज्ञ इस तरह की ट्रेनिंग और स्थानीय सैन्य संरचना के संभावित प्रभावों पर चिंता जता रहे हैं। कथित तौर पर आगे और कैंप खोलने की योजना भी मौजूद है, जिससे दीर्घकालिक रणनीतिक खतरों का हवाला दिया जा रहा है।
राजनीतिक बयान और उग्रवादियों के कथन
रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह भी कहा गया है कि जमात-ए-इस्लामी के कुछ नेतागण खुले तौर पर भारत विरोधी रुझान दिखा चुके हैं। उदाहरण के तौर पर न्यूयॉर्क में दिए गए बयानों का जिक्र किया गया, जिनमें जमात के उग्र समूहों द्वारा भारत में ‘गुरिल्ला’ या भीतर फैलने के इरादों का उल्लेख मिलता है। हालांकि ऐसे बयानों को अक्सर राजनीतिक बिगाड़ और उकसाव दोनों संदर्भों में देखा जाता है।
क्षेत्रीय सुरक्षा पर असर — भारत और पड़ोसी देशों के लिए चिंताएँ
यदि रिपोर्ट की बातें सही हैं तो IRA के गठन से सीमा-नियंत्रण, आतंकवाद निरोध, और क्षेत्रीय अस्थिरता के मामलों पर नये दबाव बन सकते हैं। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने भी हाल के महीनों में बांग्लादेश में बढ़ते प्रभाव और कट्टरपंथी गतिविधियों पर सतर्कता बरती है। किसी भी नए सशस्त्र समूह के उभरने से मानवीय, राजनीतिक और कूटनीतिक चुनौतियाँ बढ़ सकती हैं।
सतर्कता के साथ-कितनी हद तक विश्वसनीय है रिपोर्ट?
यह रिपोर्ट अंतरिम सरकार के एक सलाहकार के खुलासे पर आधारित है और कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। परन्तु इन दावों की स्वतंत्र और तटस्थ जांच आवश्यक है। ऐसे वक्त में अंतरराष्ट्रीय निगरानी, खुफिया पुनर्मूल्यांकन और क्षेत्रीय कूटनीति महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। पाठकों को चाहिए कि वे इस तरह की संवेदनशील खबरों को आधिकारिक बयानों और विश्वसनीय स्रोतों के क्रॉस-चेक के साथ देखें।
आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश में कथित रूप से पाक-समर्थित IRA का गठन चिंता का विषय है — 7 कैंपों में 8,850 भर्तियाँ और भारत को प्रमुख लक्ष्य बताना क्षेत्रीय शांति के लिहाज से गंभीर है। हालांकि इस तरह के आरोपों की पुष्टि के लिए स्वतंत्र जांच और आधिकारिक स्पष्टिकरण की आवश्यकता है। वर्तमान में मामले पर कूटनीतिक सतर्कता और सुरक्षा तैयारियाँ बढ़ना स्वाभाविक प्रतीत होती हैं।