नई दिल्ली: भारत और वेस्टइंडीज के बीच जारी टेस्ट सीरीज़ के चौथे दिन का खेल रोमांचक मोड़ पर पहुंच गया है। वेस्टइंडीज ने अपनी दूसरी पारी में शानदार बल्लेबाज़ी करते हुए तीन विकेट के नुकसान पर 212 रन बना लिए हैं। टीम अभी भी भारत से 58 रन पीछे है।
वेस्टइंडीज के ओपनर जॉन कैंपबेल ने आज अपने करियर का एक यादगार शतक जड़कर टीम को संकट से उबारा। कैंपबेल फिलहाल 115 रन (199 गेंदों में) बनाकर नॉट आउट हैं। उन्होंने अपनी पारी में बेहतरीन टाइमिंग और धैर्य का परिचय दिया।
उनके साथ शाई होप भी शानदार फॉर्म में हैं और 75 रन (136 गेंदों में) बनाकर मैदान पर डटे हुए हैं। दोनों बल्लेबाजों ने तीसरे विकेट के लिए शतकीय साझेदारी की, जिससे कैरेबियाई टीम ने दूसरी पारी में ठोस स्थिति हासिल कर ली है।
इससे पहले भारत ने अपनी पहली पारी 518/5 पर घोषित की थी। भारतीय बल्लेबाज़ों में कप्तान रोहित शर्मा, विराट कोहली और श्रेयस अय्यर ने शानदार पारियां खेलीं।
भारत की गेंदबाज़ी ने पहली पारी में वेस्टइंडीज को 248 रन पर समेट दिया था और उन्हें फॉलोऑन खेलने के लिए मजबूर किया।
लेकिन दूसरी पारी में कैरेबियाई बल्लेबाजों ने पूरी रणनीति बदल दी। शुरुआती दो विकेट जल्दी गंवाने के बाद ऐसा लगा कि मैच जल्द खत्म हो जाएगा, लेकिन कैंपबेल और होप की साझेदारी ने भारत के गेंदबाज़ों को परेशान कर दिया।
भारत के लिए अब सबसे बड़ा लक्ष्य है तीव्र विकेट हासिल करना, ताकि चौथी पारी में लक्ष्य बड़ा न बन सके। भारतीय कप्तान रोहित शर्मा लगातार गेंदबाजों को रोटेट कर रहे हैं और फील्डिंग सेटिंग में बदलाव कर रहे हैं।
अगर भारत जल्द ही एक-दो विकेट निकाल लेता है, तो वेस्टइंडीज की उम्मीदें फिर कमजोर पड़ सकती हैं।
वेस्टइंडीज (दूसरी पारी): 212/3 (63.3 ओवर)
जॉन कैंपबेल: 115* (199 गेंदें)
शाई होप: 75* (136 गेंदें)
भारत से पीछे: 58 रन
दिन 4 – सत्र 1 चल रहा है
टेस्ट का चौथा दिन पूरी तरह से संतुलित दिखाई दे रहा है। जहां भारत को बढ़त बनाए रखने के लिए विकेट चाहिए, वहीं वेस्टइंडीज के बल्लेबाज़ लंबी पारी खेलकर मैच को रोमांचक दिशा में ले जा रहे हैं।
अगर कैंपबेल और होप अपना संयम बनाए रखते हैं, तो यह मुकाबला अगले दिन तक खिंच सकता है और दर्शकों को एक यादगार टेस्ट देखने को मिल सकता है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को एक बड़ी सौगात देते हुए 35,000 करोड़ रुपये से अधिक की नई कृषि और संबद्ध योजनाओं का शुभारंभ किया। यह कदम भारत की कृषि विकास को नई दिशा देने, आत्मनिर्भरता बढ़ाने और किसानों की आय सुधारने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
यह कार्यक्रम दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) में आयोजित एक विशेष “कृषि कार्यक्रम” के अंतर्गत हुआ।
इस योजना के लिए लगभग 24,000 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है।
इस योजना का लक्ष्य 100 ऐसे कृषि जिले चुनना है, जहां प्रदर्शन कम रहा है, और उन्हें नई ऊर्जा देना है।
इसमें किसानों को बेहतर फसल विविधीकरण, उन्नत बीज, सिंचाई सुविधा, भंडारण एवं प्रसंस्करण इंफ्रास्ट्रक्चर और आसान कर्ज़ सुविधा दी जाएगी।
इसके लिए लगभग 11,440 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
इस मिशन का लक्ष्य है दाल उत्पादन बढ़ाना, आयात निर्भरता कम करना और मूल्य श्रृंखला (प्रोक्योरमेंट, भंडारण, प्रसंस्करण) को मजबूत करना।
कार्यक्रम का लक्ष्य है वर्तमान लगभग 252.38 लाख टन उत्पादन को बढ़ाकर 350 लाख टन तक लाना।
मोदी ने कृषि, पशुपालन, मत्स्य, एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों में 5,450 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं भी उद्घाटित कीं।
उदाहरण स्वरूप:
बेंगलुरु एवं जम्मू-कश्मीर में कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण केंद्र
अमरेली और बनास में केन्द्र ऑफ एक्सीलेंस
असम में IVF लैब (Rashtriya Gokul Mission के अंतर्गत)
मेहसाणा, इंदौर, भीलवाड़ा में दूध पाउडर संयंत्र
असम के तेजपुर में मछली चारा संयंत्र (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana के अंतर्गत)
कृषि-संसाधन क्लस्टर, एकीकृत शीत श्रृंखला और मूल्य संवर्धन ढांचे के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएँ
इसके अतिरिक्त, भविष्य में आरंभ की जाने वाली परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी जाएगी, जिनकी लागत लगभग 815 करोड़ रुपये है।
इन नई योजनाओं से किसानों को निम्नलिखित लाभ मिलने की संभावना है:
उत्पादन वृद्धि: नई तकनीक, उर्वरक-प्रबंधन और बेहतर बीज के कारण फसल उपज में सुधार।
आय में बढ़ोतरी: बेहतर मूल्य श्रृंखला, प्रसंस्करण सुविधा और विपणन सहायता।
आत्मनिर्भरता: विशेष रूप से दालों में वृद्धि के माध्यम से आयात पर निर्भरता घटाना।
संतुलित विकास: पिछड़े जिला-क्षेत्रों में संवेदनशील क्षेत्रों को प्राथमिकता देना।
लेकिन चुनौतियाँ भी हैं —
नई योजनाओं को जमीन पर लागू करना (implementation)
योजनाओं की निगरानी और पारदर्शिता
संसाधन और मानव क्षमता सुनिश्चित करना
आधुनिक तकनीक को छोटे और सीमांत किसानों तक पहुँचान प्रधान मंत्री मोदी का यह कदम किसानों के लिए एक उम्मीद की किरण है। 35,000 करोड़ से अधिक की योजनाएँ न सिर्फ कृषि क्षेत्र में सुधार की दिशा देंगी, बल्कि आर्थिक रूप से ग्रामीण विकास को गति देंगी। यदि ये योजनाएँ सही तरीके से लागू हों, तो कई जिलों में “कृषि क्रांति” की नई लहर दिख सकती है।
भारत और वेस्टइंडीज के बीच चल रही टेस्ट सीरीज के दौरान रवींद्र जडेजा एक ऐसे कीर्तिमान के बेहद करीब पहुँच गए हैं, जिसे अब तक दुनिया में सिर्फ तीन दिग्गज क्रिकेटर्स ने हासिल किया है।
जडेजा अगर अगले मैच में सिर्फ 10 रन और बना लेते हैं, तो वह टेस्ट क्रिकेट में 4000 रन और 300 विकेट दोनों पूरे करने वाले दुनिया के चौथे ऑलराउंडर बन जाएंगे।
अब तक जिन खिलाड़ियों ने ये कारनामा किया है, वे सभी क्रिकेट इतिहास के सबसे बड़े ऑलराउंडर माने जाते हैं:
कपिल देव (भारत)
इमरान खान (पाकिस्तान)
डैनियल वेट्टोरी (न्यूज़ीलैंड)
इन तीनों का नाम क्रिकेट इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है, और अब जडेजा भी उसी पंक्ति में शामिल होने के बेहद करीब हैं।
रवींद्र जडेजा लंबे समय से भारत के लिए एक बैंकेबल ऑलराउंडर रहे हैं। उन्होंने कई मौकों पर भारत को बल्ले और गेंद दोनों से मैच जिताए हैं।
टेस्ट विकेट: 275+
टेस्ट रन: 3990+
शतक: 6
अर्धशतक: 18
हालिया टेस्ट मैच में भी उन्होंने 104 रनों की नाबाद पारी खेली थी और 5 विकेट लेकर यह जता दिया कि वह अब भी टीम इंडिया के लिए अनमोल हैं।
जडेजा ने हाल ही में एक और रिकॉर्ड अपने नाम किया है। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 79 छक्के लगाकर महेंद्र सिंह धोनी (78 छक्के) को पीछे छोड़ दिया है।
अब वह भारत के टेस्ट इतिहास में सबसे ज्यादा छक्के लगाने वाले टॉप 4 बल्लेबाजों में शामिल हो गए हैं।
क्रिकेट में एक खिलाड़ी से बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी दोनों में उत्कृष्ट प्रदर्शन की उम्मीद करना आसान नहीं होता।
4000 रन + 300 विकेट का आंकड़ा सिर्फ एक ऑलराउंडर की नहीं, बल्कि एक लीडर, फाइटर और मैच विनर की पहचान है।
यह आंकड़ा बताता है कि खिलाड़ी ने
लंबे समय तक टेस्ट टीम में अपनी जगह बनाई
बल्ले से मैच बचाए
गेंद से मैच जिताए
टीम के संकटमोचक बने
भारत ने टेस्ट क्रिकेट में कई महान बल्लेबाज़ और गेंदबाज़ दिए हैं, लेकिन ऑलराउंडर हमेशा सीमित रहे हैं।
कपिल देव के बाद कोई भी भारतीय ऑलराउंडर इतने बड़े स्तर पर लीड नहीं कर पाया — और अब जडेजा उस खालीपन को भरने जा रहे हैं।
उनका यह रिकॉर्ड सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं होगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
अब सभी की नजरें भारत-वेस्टइंडीज टेस्ट सीरीज के अगले मैच पर टिकी हैं, जहाँ उम्मीद है कि जडेजा अपने करियर के सबसे खास 10 रन जल्द ही पूरे करेंगे।
यह उपलब्धि उन्हें न सिर्फ इतिहास में दर्ज करेगी, बल्कि उन्हें एक महानतम टेस्ट ऑलराउंडर के रूप में स्थापित कर देगी।
भारतीय में पिछले कुछ दिनों से जो विवाद छिड़ा है, वह अगरकर की टिप्पणी से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने कहा कि विराट कोहली और रोहित शर्मा को घरेलू क्रिकेट खेलना चाहिए यदि वे चयन में बने रहना चाहते हैं। इस तरह की मांग — खासकर वरिष्ठ खिलाड़ियों से — आलोचनाओं और बहस को जन्म दे रही है।
इसी पृष्ठभूमि में, इंग्लैंड के पूर्व तेज गेंदबाज Steve Harmison ने इस मुद्दे पर मत प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि अगरकर की “टोन” सही नहीं है और इस तरह के बयान उकसाए हुए लगते हैं — विशेषकर बचपन के खिलाड़ियों या चयन प्रक्रिया को लेकर। कई मौकों पर Harmison ने यह संकेत दिया कि कोहली और रोहित जैसे दिग्गजों को इस तरह की टिप्पणी से अनावश्यक दबाव झेलना पड़ सकता है।
Harmison ने चेताया है कि अगर यह विवाद बढ़ता है तो परिणाम messy हो सकते हैं — यानी यह बहसselector और खिलाड़ियों के बीच अनावश्यक तनाव पैदा कर सकती है। उन्होंने कहा:
“If anybody is going to win here, I think it is the former captains rather than the former all-rounder.”
“अगर अगरकर इस बयान को सिर्फ कोहली-रोहित को उत्तेजित करने के लिए कह रहा हो, तो ठीक — लेकिन अगर यह उकसाने का तरीका बन गया है, तो परिणाम messy हो सकते हैं।”कोहली बनाम रोहित — तुलना का पैमाना
Harmison ने यह भी कहा कि विराट कोहली अभी थोड़ा बेहतर स्थिति में हैं — उनके पास “runs in the bank” हैं और उनकी प्रतिष्ठा बहुत बड़ी है। रोहित जितना प्रभावशाली नहीं रहे हैं, खासकर 50 ओवर क्रिकेट में।
इस तरह, Harmison ने यह सुझाव दिया कि यदि चयनकर्ता टीम को पुनर्गठन करना चाहते हैं, तो कोहली की अनुपस्थिति का असर बहुत बड़ा हो सकता है:
“If Virat turns around and says, ‘You go to the 50-over World Cup without me… see where your team’s at.’”
चयन प्रक्रिया और टीम पर दबाव
अगर इस विवाद को सही तरीके से प्रबंधित नहीं किया गया, तो चयन समिति और खिलाड़ी दोनों पर दबाव बढ़ सकता है। वरिष्ठ खिलाड़ियों के साथ इस तरह के विवाद से टीम के मनोबल पर असर पड़ सकता है और कप्तानी निर्णयों को लेकर संदेह सामने आ सकता है।
टीम पुनर्गठन का संकट
चूंकि भारत ने शुबमन गिल को ODI टीम का नया कप्तान बनाया है, इस बदलाव के बीच कोहली और रोहित की भूमिका अब अनिश्चित हो गई है। यदि चयनकर्ताओं ने यह संदेश पहुंचाया कि खिलाड़ियों को घरेलू क्रिकेट खेलना ज़रूरी है, तो यह बदलाव की ओर इशारा हो सकता है — लेकिन इस परिवर्तन को संभलकर लागू करना होगा।
मीडिया और आलोचना का दबाव
इस विवाद में मीडिया का रोल और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। किसी भी शब्द का गलत अर्थ लेना या ज़्यादा बड़ा बन जाना पूरे माहौल को विषैले बना सकता है। Harmison ने इस बात की संभावनाएँ भी इंगित की हैं कि कुछ बयान “गलत अनुवाद” या “झूठा मतलब” देने वाले हो सकते हैं।
क्रिकेट जैसे खेल में खिलाड़ियों और चयनकर्ताओं के बीच संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है। Steve Harmison का रुख यह दिखाता है कि वरिष्ठ खिलाड़ियों का सम्मान और चयन प्रक्रिया दोनों ही समान रूप से महत्व रखते हैं।
अगरकर जैसे पदधारी से अपेक्षा की जा सकती है कि वे संवाद शालीनता और संवेदनशीलता के साथ करें। साथ ही, खिलाड़ियों को भी अपनी प्रतिक्रिया और भूमिका संभालकर निभानी चाहिए।
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताक़ी नई दिल्ली पहुंच चुके हैं। यह उनकी तालिबानी शासन के बाद पहली ऐसी उच्च‑स्तरीय यात्रा है, जिसे भारत और अफगानिस्तान के बीच कूटनीतिक संवाद को नई दिशा देने वाला कदम माना जा रहा है।
भारत ने इसके पहले इस यात्रा की पुष्टि की है और कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने उन्हें भारत आने की अस्थायी अनुमति दी है। मुत्ताक़ी की यात्रा 9 से 16 अक्टूबर के बीच निर्धारित की गई है।
मुत्ताक़ी के इस दौरे में राजनीतिक, आर्थिक, वाणिज्यिक और मानवीय सहयोग के कई मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। भारत और अफगानिस्तान के बीच अब तक अनौपचारिक रूप से चली आ रही सहायता और संवाद इस यात्रा से औपचारिक मान्यता पा सकते हैं।
इस कदम से यह संकेत मिलता है कि भारत तालिबानी शासन के साथ संवाद को बढ़ावा देना चाहता है — न कि तत्काल मान्यता देना, लेकिन एक रियल पॉलिसी द्वारा व्यवहारिक सहयोग की दिशा में कदम उठाना।
उसी समय, अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाजार में एक अहम खबर यह है कि रूस ने अमेरिका के दबाव को नजरअंदाज करते हुए भारत को कच्चे तेल पर विशेष छूट दी है।
रूस द्वारा भारत को दी गई इस छूट का स्तर लगभग 5% तक बताया जा रहा है, हालाँकि यह डिस्काउंट सौदे और समय के साथ बदलता रहता है। यह कदम एक तरह से रूस की यह घोषणा है कि वह ऊर्जा सहयोग को राजनीतिक दबाव से जोड़ने नहीं देगा।
रूस का Urals क्रूड वर्तमान में ब्रेंट क्रूड की तुलना में $3–4 प्रति बैरल तक सस्ता बेचा जा रहा है।
इससे पहले यह छूट जुलाई महीने में लगभग $1 प्रति बैरल के आसपास थी।
इस छूट के कारण भारत ने रूस से तेल खरीद जारी रखी है, भले ही अमेरिका ने इस पर कड़ी निगरानी रखी हो।
ऊर्जा और कूटनीति की समेकन नीति
भारत जिस तरह से विदेश नीति क्षेत्र में सक्रिय है, उसी तरह ऊर्जा रणनीति भी उसकी राष्ट्रहित प्राथमिकताओं का हिस्सा बनी है। रूस का डिस्काउंट और अफगानिस्तान के साथ संवाद — ये दोनों कदम भारत की रणनीति में आत्मनिर्भरता और साझेदारी को प्राथमिकता देते हैं।
दबाव और जवाबी चाल
अमेरिका की ओर से रूस–भारत ऊर्जा सहयोग पर दबाव लगातार बना है। लेकिन रूस ने भारत को दी गई छूट से स्पष्ट संदेश दिया है कि वह अपने रणनीतिक साझेदारों के साथ सहयोग जारी रखना चाहता है।
क्षेत्रीय संतुलन
अफगानिस्तान की नई साझेदारी और ऊर्जा सहयोग की स्थापना दक्षिण एशियाई भू-रणनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकती है। भारत इन दोनों मोर्चों पर सक्रिय कदम उठा रहा है ताकि दक्षिण एशिया और मध्य एशिया में अपनी भूमिका मजबूत करे।
अफगान विदेश मंत्री की नई दिल्ली यात्रा और रूस द्वारा भारत को दिया गया डिस्काउंट, दोनों ही घटनाएँ भारत की बहुआयामी रणनीति को दर्शाती हैं — जिसमें ऊर्जा सुरक्षा, कूटनीति, और क्षेत्रीय स्थिरता शामिल हैं।
भविष्य में देखना होगा कि भारत इन अवसरों का कितना उपयोग करता है — और किस तरह से वह अपनी विदेश नीति और ऊर्जा नीति को संतुलित रखकर बड़ी वैश्विक चुनौतियों का सामना करता है।