बॉलीवुड की टैलेंटेड और फिटनेस आइकन मानी जाने वाली आलिया भट्ट न केवल अपने अभिनय के लिए, बल्कि अपने हेल्दी फूड चॉइसेज़ के लिए भी जानी जाती हैं। हाल ही में यह बात सामने आई है कि आलिया की सबसे पसंदीदा घरेलू डिश में से एक है – घर का बना दही चावल (Curd Rice)।
यह सुनकर आपको भले ही यह आम और सिंपल डिश लगे, लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, दही चावल एक सुपरफूड की तरह काम कर सकता है – खासकर पेट और लिवर के लिए।
आलिया ने कई बार इंटरव्यू और सोशल मीडिया पर बताया है कि उन्हें सादा, घर का बना खाना बेहद पसंद है। जब वो शूटिंग या ट्रैवल में व्यस्त होती हैं, तब भी वो कोशिश करती हैं कि खाने में कुछ हल्का और पचने में आसान खाएं।
दही चावल, जिसे दक्षिण भारत में विशेष रूप से लोकप्रिय माना जाता है, आलिया की थाली में अक्सर देखने को मिल जाता है। यह भोजन न केवल पेट को ठंडा रखता है, बल्कि तनाव और थकान को भी कम करता है।
फोर्टिस अस्पताल के लिवर स्पेशलिस्ट डॉक्टर ने बताया कि दही चावल न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि यह एक बेहतरीन प्रोबायोटिक फूड भी है।
डॉ. के अनुसार, “दही में मौजूद गुड बैक्टीरिया हमारे पेट की सेहत के लिए बेहद जरूरी होते हैं। जब इसे चावल के साथ मिलाकर खाया जाता है, तो यह पाचन तंत्र को संतुलित करता है और पेट की समस्याओं से बचाव करता है।”
पाचन में सहायक: दही चावल पाचन को बेहतर बनाता है और एसिडिटी, गैस जैसी समस्याओं से राहत देता है।
गर्मी में ठंडक देता है: यह डिश शरीर में ठंडक बनाए रखने में मदद करती है, खासकर गर्मियों में।
इम्यूनिटी बूस्टर: प्रोबायोटिक्स की वजह से यह डिश इम्यून सिस्टम को मज़बूत करती है।
वजन कंट्रोल में सहायक: यह लो-कैलोरी और हाई-फाइबर डिश है, जो वजन घटाने वालों के लिए भी फायदेमंद है।
लिवर को रखे स्वस्थ: लिवर स्पेशलिस्ट के मुताबिक, दही चावल लिवर फंक्शन में सुधार करता है और फैटी लिवर जैसी समस्याओं को कम कर सकता है।
दही चावल बनाना बेहद आसान है।
बस पके हुए चावल में ताज़ा दही मिलाएं, उसमें स्वाद अनुसार नमक, थोड़ा सा भूना हुआ जीरा, करी पत्ता, और चाहें तो कटा हुआ खीरा या अनार के दाने डाल सकते हैं।
आप इसे तड़के के साथ या सादा भी खा सकते हैं।
लिया भट्ट की पसंदीदा डिश दही चावल, केवल एक भोजन नहीं है, बल्कि यह सेहतमंद जीवनशैली की ओर एक बड़ा कदम है।
अगर आप भी अपने डाइट में कुछ सरल, सस्ता और असरदार शामिल करना चाहते हैं, तो दही चावल एक शानदार विकल्प हो सकता है – जो आपके पेट, लिवर और पाचन तंत्र को लंबे समय तक स्वस्थ बनाए रखेगा।
दिवाली, हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और प्रकाश से भरा हुआ त्योहार, हर साल पंचांग के अनुसार मनाया जाता है।
2025 में दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी, जो अमावस्या तिथि के अनुसार तय हुई है। इसके बाद 22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा होगी।
लेकिन कई लोग यह जानना चाहते हैं कि 21 अक्टूबर 2025 को क्या पर्व मनाया जाएगा? इस दिन का क्या महत्व है और ये दिवाली और गोवर्धन पूजा के बीच कैसे जुड़ा हुआ है?
21 अक्टूबर 2025 को ‘अन्नकूट’ या ‘प्रतिपदा’ की तिथि होगी, जो हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है।
यही वह दिन है जब गोवर्धन पूजा की तैयारियाँ होती हैं और कुछ क्षेत्रों में छोटी गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पर्व इसी दिन मनाया जाता है।
हालांकि, गोवर्धन पूजा का मुख्य पर्व इस बार 22 अक्टूबर को पड़ रहा है, लेकिन 21 तारीख को भी धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
अन्नकूट, जिसका अर्थ है ‘अन्न का ढेर’, भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित एक पर्व है। इस दिन मंदिरों में विशेष रूप से 56 भोग या विविध अन्न-व्यंजन बनाए जाते हैं और उन्हें भगवान को अर्पित किया जाता है।
21 अक्टूबर को कई मंदिरों में अन्नकूट दर्शन की शुरुआत हो जाती है, विशेषकर वैष्णव परंपरा से जुड़े मंदिरों में। यह दिन आध्यात्मिक रूप से कृतज्ञता और भक्ति का प्रतीक होता है।
दिवाली के अगले दिन, यानी अमावस्या के बाद की प्रतिपदा तिथि को बाली प्रतिपदा या पड़वा भी कहा जाता है।
इस दिन कुछ क्षेत्रों में नूतन वर्ष (Gujarati New Year) की शुरुआत मानी जाती है।
महाराष्ट्र में इसे पड़वा के रूप में पति-पत्नी के प्रेम के प्रतीक त्योहार के रूप में भी मनाया जाता है।
इस तरह 21 अक्टूबर का दिन सिर्फ दो त्योहारों के बीच का ‘गैप’ नहीं है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से पूर्ण रूप से महत्वपूर्ण दिन है।
2025 में 21 अक्टूबर का दिन दिवाली के ठीक बाद और गोवर्धन पूजा से पहले आता है, और इसका धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से गहरा महत्व है।
इस दिन को अन्नकूट, बाली प्रतिपदा, पड़वा, और नववर्ष जैसे पर्वों के रूप में मनाया जाता है।
यह दिन न केवल देवी-देवताओं की पूजा का अवसर है, बल्कि परिवार, प्रेम और परंपरा को सहेजने का दिन भी है।
वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) 2025-27 में अब तक का सबसे बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। पाकिस्तान ने साउथ अफ्रीका को टेस्ट मुकाबले में हरा दिया, और इस जीत का फायदा उसे सीधे वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप की पॉइंट्स टेबल में हुआ है। पाकिस्तान अब दूसरे स्थान पर पहुंच गया है, जबकि भारत को नुकसान उठाते हुए अपनी स्थिति से एक पायदान नीचे खिसकना पड़ा है।
पाकिस्तान ने साउथ अफ्रीका को हराकर वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप की रेस में खुद को मज़बूती से स्थापित कर लिया है। इस मुकाबले से उसे महत्वपूर्ण अंक मिले हैं और उसका पॉइंट्स प्रतिशत भी तेजी से बढ़ा है। इससे पहले तक पाकिस्तान मिड-टेबल में था, लेकिन अब वह सीधे दूसरे स्थान पर पहुंच गया है।
यह जीत न केवल आत्मविश्वास बढ़ाने वाली है, बल्कि फाइनल की ओर बढ़ते कदम भी कही जा सकती है। पाकिस्तान के गेंदबाज़ों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और बल्लेबाज़ों ने उसे सफलतापूर्वक मैच में बदल दिया।
इस मुकाबले का सीधा असर भारत की स्थिति पर पड़ा है। भारत जो पहले टॉप 2 में अपनी जगह बनाए हुए था, अब वह तीसरे स्थान पर फिसल गया है।
भारत ने भले ही अब तक अच्छे प्रदर्शन किए हों, लेकिन कुछ मैच ड्रॉ होने और अहम मौकों पर जीत न मिल पाने से उसकी पॉइंट्स पर्सेंटेज पर असर पड़ा है।
अब भारत को अगर WTC फाइनल की दौड़ में बने रहना है, तो हर टेस्ट मैच को पूरी गंभीरता से खेलना होगा और अंक गंवाने से बचना होगा।
वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में हर टेस्ट मैच जीतने पर टीम को 12 अंक मिलते हैं। ड्रॉ पर 4 अंक और टाई की स्थिति में 6 अंक दिए जाते हैं।
लेकिन कुल अंक से ज़्यादा अहम होता है पॉइंट्स प्रतिशत, यानी कि खेले गए मुकाबलों के हिसाब से कितने प्रतिशत अंक टीम ने अर्जित किए हैं। यही प्रतिशत तय करता है कि कौन सी टीमें फाइनल में जगह बनाएंगी।
पाकिस्तान की साउथ अफ्रीका पर जीत ने WTC 2025-27 की रेस को और रोमांचक बना दिया है। इस जीत से न केवल पॉइंट्स टेबल में बदलाव हुआ, बल्कि भारत जैसे दावेदारों के लिए चुनौती भी बढ़ गई है।
अब देखना होगा कि भारत अपने आने वाले मुकाबलों में कैसे वापसी करता है और फाइनल की रेस में खुद को कैसे बरकरार रखता है।
बॉलीवुड से जुड़ा एक भावुक मामला फिर से सुर्खियों में है। बिजनेसमैन संजय कपूर, जो कि करिश्मा कपूर के पूर्व पति भी रह चुके हैं, उनकी तीसरी पत्नी प्रिया सचदेव ने उनकी बर्थ एनिवर्सरी पर एक भावुक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया है।
इस वीडियो के साथ प्रिया ने एक इमोशनल नोट भी लिखा, जिसमें उन्होंने अपने पति के साथ बिताए लम्हों को याद किया और बताया कि वो उन्हें हर पल कितना मिस करती हैं।
यह सब उस वक्त सामने आया है जब कपूर की संपत्ति को लेकर कोर्ट में कानूनी लड़ाई चल रही है।
कोर्ट में चल रही है संजय कपूर की संपत्ति पर कानूनी जंग
संजय कपूर के निधन के बाद उनकी संपत्ति को लेकर परिवार में विवाद चल रहा है। बताया जा रहा है कि उनकी पहली पत्नी करिश्मा कपूर और उनके बच्चों की ओर से भी कुछ दावे किए गए हैं।
प्रिया सचदेव और संजय कपूर के बीच गहरा रिश्ता रहा है और उन्होंने कई बार सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे के लिए प्यार और समर्थन जताया है।
ऐसे में संपत्ति विवाद के बीच प्रिया का यह वीडियो और संदेश, एक भावनात्मक प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है।
संजय कपूर की बर्थ एनिवर्सरी पर उनकी तीसरी पत्नी प्रिया सचदेव की यह भावुक श्रद्धांजलि सिर्फ एक सोशल मीडिया पोस्ट नहीं है, बल्कि उन जज़्बातों की अभिव्यक्ति है जो शब्दों में बयां करना मुश्किल होता है।
हालांकि कोर्ट में चल रही संपत्ति की लड़ाई इस रिश्ते की भावनात्मक परतों को एक बार फिर सामने ला रही है।
प्रिया की यह पोस्ट उनके और संजय के रिश्ते की गहराई को दर्शाती है, और यह दर्शकों और फैन्स के लिए एक यादगार मोमेंट बन चुकी है।
प्रयागराज (इलाहाबाद) के एक मुस्लिम युवक सुफियान इलाहाबादी ने उमरा यात्रा के दौरान सऊदी अरब के मदीना शहर से स्वामी प्रेमानंद महाराज की सेहत की दुआ की। उन्होंने एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया जिसमें वे हाथ उठाकर कहते नजर आ रहे हैं कि “महाराज जी जल्द ठीक हो जाएँ।
उनका यह कदम एक सकारात्मक संदेश के रूप में देखा गया — धर्म की सीमाओं से परे इंसानियत की अनुभूति — लेकिन इस कार्रवाई के बाद उन्हें धमकियाँ और विरोध का सामना करना पड़ा।
सुफियान ने लगभग 1 मिनट 20 सेकंड का यह वीडियो मदीना की मस्जिद के दृश्य को पृष्ठभूमि में लिए पोस्ट किया। वीडियो में वे प्रेमानंद महाराज की तस्वीर दिखाकर कहते हैं:
“ये हमारे प्रेमानंद महाराज जी हैं, हिंदुस्तान के बहुत अच्छे इंसान हैं … मैं यहाँ दुआ करता हूँ कि वे जल्द स्वस्थ हो जाएँ।”
वीडियो वायरल हो गया और सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे साझा किया। बहुत से लोग इस कदम को मानवता और धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक मानने लगे
जब यह वीडियो इंटरनेट पर वायरल हुआ, तभी कुछ कट्टर या असहमत लोगों ने सुफियान पर दबाव डालना शुरू कर दिया। उन्हें वीडियो हटाने की धमकियाँ मिलीं।
सुफियान ने बताया कि लगभग 5% प्रतिक्रियाएँ नकारात्मक थीं, जिसमें कहा गया कि वो वीडियो हटाएँ। लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि 95% लोग उनका समर्थन कर रहे हैं।
उन्होंने अपने बयान में कहा:
“चंदन और टोपी इंसान की पहचान नहीं होनी चाहिए। मैं वीडियो हटाने नहीं दूँगा। अपनी जान भी लगा सकता हूँ महाराज जी के लिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि प्रेमानंद महाराज “सच्चे और नेक इंसान” हैं, जो हमेशा भलाई की बात करते हैं, और उन्हें देखकर उन्होंने इस दुआ का इरादा किया।
इस घटना को अक्सर गंगा-जमुनी तहज़ीब का उदाहरण बताया गया है — जहाँ हिंदू और मुस्लिम सांस्कृतिक मिश्रण और सौहार्द की परंपरा रही है। सुफियान ने भी इस साझा संस्कृति की बात की और कहा कि “नेकी सबसे बड़ी पहचान है”।
जहाँ एक ओर लोग इस कदम की तारीफ कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे असामान्य या अनुचित मानते हैं। इस तरह की प्रतिक्रियाएँ धार्मिक ध्रुवीकरण और कट्टर विचारधाराओं को उजागर करती हैं।
धमकियों की रिपोर्ट सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया में की जा चुकी है। ऐसे मामलों में प्रशासन और कानून को संवेदनशीलता दिखानी होगी ताकि इस तरह की अभिव्यक्ति-स्वतंत्रता सुरक्षित रह सके।
प्रयागराज का यह मुस्लिम युवक मदीना से प्रेमानंद महाराज के लिए दुआ कर रहा था — एक सादे लेकिन शक्तिशाली संदेश के साथ कि इंसान पहले हो, धर्म बाद में।
लेकिन सोशल मीडिया की शक्तिशाली दुनिया में इस दुआ को धमकी और विरोध का सामना करना पड़ा।
यह घटना केवल एक व्यक्ति की दुवाओं या धमकियों की कहानी नहीं है, बल्कि समाज में धर्मनिरपेक्षता, सहिष्णुता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की परीक्षा है।
अगर आप चाहें तो मैं इस खबर का विश्लेषण और कट्टरता से मुकाबले की रणनीति भी लिख सकता हूँ — क्या मैं वो भी भेजूं?
मंगलवार, 14 अक्टूबर 2025 को भारतीय शेयर बाजारों में बिकवाली का दबाव साफ दिखाई दिया। सेंसेक्स 297.07 अंक (लगभग 0.36%) की गिरावट के साथ 82,029.98 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 50 इंडेक्स 81.85 अंक (लगभग 0.32%) घटकर 25,145.50 पर आ गया
विशेष रूप से बैंकिंग और मेटल सेक्टर के शेयरों में भारी कमजोरी देखने को मिली, जिसने समग्र बाजार दशा को प्रभावित किया।
लगातार तेजी के बाद निवेशकों ने मुनाफावसूली की शुरुआत की, खासकर उन स्टॉक्स में जो पहले ही अच्छा प्रदर्शन कर चुके थे।
PSU बैंक और निजी बैंक दोनों क्षेत्रों में दबाव रहा। बैंकिंग सेक्टर में कमजोर क्यू2 नतीजे और आर्थिक अनिश्चितता ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया।
मेटल इंडेक्स भी गिरावट में रहा — कच्चे माल की कीमतों में कमजोरी, वैश्विक मांग में अनिश्चितता और कम निवेश का दबाव इसे प्रभावित करता है।
इस गिरावट में ग्लोबल संकेतों और घरेलू आर्थिक रुझानों का भी योगदान रहा। निवेशकों की सतर्कता, विदेशी फ्लो की अस्थिरता और बाजार में उच्च वोलैटिलिटी ने मिलकर दबाव बढ़ाया।
शानदार गिरे शेयर: बजाज फाइनेंस, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (BEL), टाटा स्टील, TCS एवं NTPC जैसे शेयरों में 1.4% से 1.8% तक की गिरावट रही। सेक्टरल प्रदर्शन
• मेटल इंडेक्स: गिरावट दर्ज की गई।
• तेल और गैस: हल्की गिरावट।
• बैंकिंग: दबाव में रहा, समेकित गिरावट दर्ज हुई
• टेक / उपभोक्ता: कुछ कंपनियाँ इसमें हरी रही, लेकिन अधिकतर कमजोर रुझान में रहीं।
सपोर्ट व रेसिस्टेंस स्तर
निफ्टी के लिए 25,000 का स्तर महत्वपूर्ण समर्थन बनेगा, जबकि 25,300–25,400 की ओर रिटेस्ट हो सकता है, पर यह रेंज अभी मजबूत प्रतिरोध देने वाला दिख रहा है।सेक्टर‑निर्भर चाल
अगर बैंकिंग और मेटल सेक्टरों में फिर से भरोसा लौटे, तो बाजार रिकवरी कर सकता है। अन्यथा गिरावट जारी रह सकती है।
विदेशी निवेश (FII / DII) की भूमिका
प्रमुख बाजार धारक—विदेशी एवं घरेलू संस्थागत निवेशकों की चाल—मूल्यांकन व दिशा तय करने में निर्णायक हो सकती है।
आगामी आर्थिक तथा कारोबारी परिणाम
क्वार्टरली नतीजे, आर्थिक संकेतक जैसे मुद्रास्फीति, ब्योरे आदि भी भावनाओं को दिशा देंगे।
बिग बॉस 19 के घर में हाल ही में ऐसा पल आया जिसने विवादों की आग और भड़का दी। शो के लेटेस्ट एपिसोड में, फरहाना भट्ट और नीलम गिरी की बहस ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया। इस बहस की मुख्य चोंद बात थी — फरहाना ने नीलम को ‘भोजपुरी स्टाफ’ कहकर अपमानित करने की कोशिश की।
नीलम भी किस्मत नहीं बैठीं — उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि बड़ी भोजपुरी ऑडियंस है, “तुम्हें खड़े‑खड़े बेच देगी।”
इस लड़ाई की शुरुआत मूल रूप से शहबाज और फरहाना के बीच हो चुकी बातों से हुई थी। शहबाज ने पहले फरहाना को चमचा कह दिया था, जिसे फरहाना ने नकारा और कहा कि शहबाज लड़कियों को बहन बनाकर उनसे “काम” करवाते हैं।
जब बात बढ़ी तो फरहाना ने नीलम को यह कह दिया कि वह शहबाज की “भोजपुरी स्टाफ” है, यानी घर के काम-काज में लगी हुई स्टाफ की तरह व्यवहार करती है।
नीलम ने भी पीछे नहीं हटें और उन पर पलटवार किया — “भोजपुरी ऑडियंस इतनी बड़ी है कि तुम्हें खड़े‑खड़े बेच देगी।”
‘कौन बनेगा करोड़पति’ सीजन 17 का एक वीडियो क्लिप इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसमें हॉटसीट पर बैठा एक बच्चा, होस्ट अमिताभ बच्चन से बात करते हुए खास तरह की टोन में जवाब देता है।
यह टोन कुछ दर्शकों को अत्यधिक आत्मविश्वास (Overconfidence) की तरह लगा, तो कुछ ने इसे बदतमीजी कहकर आलोचना शुरू कर दी। वहीं, मनोवैज्ञानिकों ने इसे एक गंभीर सामाजिक संकेत बताया — जिसे वे “इन्फ्लुएंसर सिंड्रोम” और “बचपन का ओवरकॉन्फिडेंस” कहते हैं।
इस क्लिप के वायरल होते ही ट्विटर (अब X), इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर हजारों कमेंट्स आ गए।
कई यूज़र्स ने कहा कि बच्चा “बहुत ज़्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश” कर रहा है।
कुछ ने कहा, “ये आत्मविश्वास नहीं, घमंड है।”
वहीं कुछ ने बच्चे के आत्म-प्रस्तुतीकरण की तारीफ भी की और कहा, “बच्चे में लीडरशिप क्वालिटी दिखती है।”
लेकिन यही विरोधाभासी प्रतिक्रियाएं इस सवाल को जन्म देती हैं — क्या यह आत्मविश्वास है या बचपन में पनपता ओवरकॉन्फिडेंस?
उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से तीखी बयानबाज़ी का दौर शुरू हो गया है।
इस बार मामला जुड़ा है बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की हाल ही में हुई राजनीतिक रैली और उस पर समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया से।
इसी को लेकर पूर्व बीजेपी सांसद और पहलवान संघ के कद्दावर नेता बृजभूषण शरण सिंह ने अखिलेश यादव पर करारा हमला बोला है।
कानपुर में मीडिया से बातचीत करते हुए बृजभूषण शरण सिंह ने कहा:
“मुझे समझ नहीं आता कि अखिलेश यादव को बसपा की रैली से इतनी परेशानी क्यों हो रही है।
हर पार्टी को अपना जनाधार बढ़ाने का अधिकार है। मायावती ने रैली की है, तो इसमें बुरा मानने की क्या बात है?”
उन्होंने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता अब इन पुरानी पार्टियों की आपसी खींचतान को अच्छी तरह समझ चुकी है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, बृजभूषण शरण सिंह का यह बयान न केवल अखिलेश यादव के प्रति नाराज़गी दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि विपक्ष के बीच भी आपसी समन्वय की कमी है।
विपक्षी गठबंधन INDIA (इंडिया) की संभावनाओं के बीच सपा और बसपा में कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ है, और इसी वजह से दोनों दल एक-दूसरे को कटाक्ष का निशाना बना रहे हैं।
अखिलेश यादव ने कुछ दिन पहले बसपा की रैली पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इससे सिर्फ बीजेपी को फायदा हो सकता है।
उन्होंने इशारों-इशारों में मायावती की निष्क्रिय राजनीति और अप्रत्यक्ष समर्थन की ओर भी संकेत किए थे।
बृजभूषण ने इसी बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि लोकतंत्र में सभी दलों को समान अवसर मिलना चाहिए।
गौरतलब है कि बृजभूषण शरण सिंह फिलहाल बीजेपी के सक्रिय सांसद नहीं हैं, लेकिन उनकी राजनीतिक पकड़, खासतौर पर उत्तर प्रदेश के गोंडा और अयोध्या क्षेत्र में अभी भी मजबूत मानी जाती है।
वे अक्सर अपने बेबाक बयानों के कारण चर्चा में रहते हैं और विपक्षियों पर हमला करने से पीछे नहीं हटते।
इस बयानबाज़ी के बीच उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनावों और 2029 के लोकसभा चुनावों की तैयारी शुरू हो चुकी है।
हर दल अपने-अपने सामाजिक समीकरण साधने में लगा है।
बृजभूषण का यह बयान बीजेपी के लिए राजनीतिक संतुलन बनाने का प्रयास भी हो सकता है, ताकि विपक्ष में फूट की धारणा को मजबूत किया जा सके।
बृजभूषण शरण सिंह द्वारा अखिलेश यादव पर साधा गया यह तंज यूपी की राजनीति में एक बार फिर से विवाद और चर्चा का विषय बन गया है।
जहां एक ओर विपक्षी दलों को एकजुट होकर सरकार को चुनौती देनी है, वहीं आपसी बयानबाज़ी और अविश्वास उनके लक्ष्य को कमजोर कर सकता है।
महाराष्ट्र में दीवाली से पहले सियासी पारा चढ़ गया है।
एनसीपी (अजित पवार गुट) के विधायक संग्राम जगताप द्वारा दिए गए एक विवादित बयान पर अब खुद डिप्टी सीएम अजित पवार ने कड़ा रुख अपनाया है।
विधायक संग्राम जगताप ने हाल ही में लोगों से अपील की थी कि इस दीवाली केवल हिंदू व्यापारियों से ही खरीदारी करें, जिससे ‘अपने समाज के लोग’ लाभान्वित हों।
इस बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में भूचाल आ गया और अब अजित पवार ने उनसे लिखित स्पष्टीकरण मांगा है।
अहमदनगर जिले के विधायक संग्राम जगताप ने हाल ही में एक सार्वजनिक मंच से कहा:
“दीवाली की खरीदारी करते समय सिर्फ हिंदू व्यापारियों से ही खरीदारी करें ताकि अपने समाज के लोग मजबूत हों।”
यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इसके खिलाफ राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
कई लोगों ने इसे धार्मिक आधार पर व्यापार को विभाजित करने की कोशिश बताया।
डिप्टी सीएम और एनसीपी नेता अजित पवार ने इस बयान से तुरंत दूरी बनाते हुए कहा कि:
“एनसीपी एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी है। इस तरह की बातें पार्टी की विचारधारा के खिलाफ हैं। हमने विधायक से जवाब मांगा है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी किसी भी धर्म, जाति या वर्ग के खिलाफ कोई भेदभाव नहीं करती और इस तरह के बयान समाज में दरार पैदा करते हैं।
विश्लेषकों के अनुसार, यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब महाराष्ट्र में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित गुट) मिलकर सरकार चला रहे हैं।
ऐसे में किसी भी पार्टी के नेता द्वारा धार्मिक ध्रुवीकरण जैसा बयान देना, गठबंधन की धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुँचा सकता है।
एनसीपी को हमेशा से एक मध्यमार्गी और धर्मनिरपेक्ष पार्टी के तौर पर देखा जाता रहा है।
इसलिए अजित पवार का तेज और सख्त रुख इस छवि को बनाए रखने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
विधायक को नोटिस जारी हो सकता है
पार्टी स्तर पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है
विरोधी दल इस मुद्दे को आगामी चुनावों में उठा सकते हैं
मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक वोट बैंक में असर पड़ सकता है
अजित पवार का यह कदम यह साफ दर्शाता है कि वे पार्टी की धर्मनिरपेक्ष नींव से कोई समझौता नहीं करना चाहते।
दीवाली जैसे पर्व पर जहां समरसता और मेलजोल की भावना होनी चाहिए, वहां इस तरह के बयान पार्टी और समाज दोनों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
अब देखना यह होगा कि एनसीपी इस मामले में क्या सख्त कदम उठाती है और संग्राम जगताप अपने बयान पर क्या सफाई देते हैं।