सीकर की सड़कों पर कल रात सीकर पुलिस हादसा हुआ। पुलिस की 112 गाड़ी तेज़ रफ्तार में दौड़ रही थी, तभी अचानक एक स्कूटी और बाइक सामने आ गए।
गाड़ी पहले दोनों वाहनों से टकराई और फिर बेकाबू होकर सीधा एक बंद दुकान में घुस गई। यह हादसा अचानक हुआ और चश्मदीदों ने बताया कि पुलिस की गाड़ी बहुत तेज़ चल रही थी, जिससे सामने आए वाहनों को बचाना नामुमकिन हो गया।
हादसे में पुलिस ड्राइवर राजकुमार स्वामी और स्कूटी सवार चेनाराम गंभीर रूप से घायल हो गए। ड्राइवर को तुरंत जयपुर रेफर किया गया जबकि चेनाराम को सीकर अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके अलावा, बाइक सवार को भी चोटें आईं।
चश्मदीदों ने कहा कि गनीमत यह रही कि दुकान बंद थी, वरना हालात और भी बिगड़ सकते थे।
पुलिस ने कहा कि पूरे मामले की हकीकत CCTV फुटेज से सामने लाई जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि तेज रफ्तार की वजह क्या थी और किन परिस्थितियों में यह हादसा हुआ।
यह हादसा एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि जब 112 जैसी इमरजेंसी गाड़ी ही जानलेवा रफ्तार से दौड़े, तो सड़क पर आम लोग कितने सुरक्षित हैं। सड़क सुरक्षा और वाहन रफ्तार के नियमों का पालन हर किसी के लिए जरूरी है, ताकि ऐसे हादसे कम से कम हों।
सीकर |संवाददाता श्रुति दधीच
डोनाल्ड ट्रंप ने टिकटॉक अमेरिकी ऑपरेशन डील को लेकर बड़ा फैसला लिया है। नए डील के तहत टिकटॉक के यूएस ऑपरेशन को ओरेकल के नेतृत्व में एक नए, यूएस-नियंत्रित एंटिटी को ट्रांसफर करने की मंजूरी दी गई है।
इस डील के माध्यम से ओरेकल और अन्य अमेरिकी निवेशकों का कंसोर्टियम टिकटॉक के यूएस बिजनेस में 45% हिस्सेदारी हासिल करेगा, जबकि टिकटॉक की पैरेंट कंपनी बाइटडांस की हिस्सेदारी 20% से कम होगी।
इस डील का कुल मूल्य लगभग 14 अरब डॉलर बताया जा रहा है। इसमें शामिल कंपनियों को उम्मीद है कि इस निवेश से भविष्य में और अधिक रिटर्न हासिल होगा।
ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मंजूरी प्राप्त कर ली है, हालांकि चीन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
यह डील अमेरिकी सरकार की हिस्सेदारी के बिना होगी। सरकार केवल ओरेकल और अन्य निवेशकों के साथ मिलकर काम करेगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि टिकटॉक का यूएस ऑपरेशन सुरक्षित और विश्वसनीय रहे।
इस फैसले से दोनों देशों के बीच डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के संचालन और डेटा सुरक्षा के मुद्दे पर नया अध्याय जुड़ गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि टिकटॉक अमेरिकी ऑपरेशन डील से यूएस में प्लेटफॉर्म की स्थिरता और निवेशकों का भरोसा बढ़ सकता है। वहीं, चीन और अमेरिका के बीच तकनीकी और आर्थिक संतुलन को लेकर भी इस डील के दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं।
अलवर की नवअंश इंडिया निधि लिमिटेड ने 24% ब्याज का लालच देकर हजारों लोगों की गाढ़ी कमाई डुबाई। पढ़ें पूरी रिपोर्ट और जानें पोंजी स्कीम का सच।
क्या आप जानते हैं कि राजस्थान के अलवर में नवअंश इंडिया निधि घोटाला ने लोगों की मेहनत की कमाई कैसे डुबाई? यह कहानी एक फर्जी फाइनेंस कंपनी की है, जिसे मामा-भांजे की जोड़ी चला रही थी। इस कंपनी ने गांव-गांव जाकर FD और RD में 24% सालाना ब्याज का लालच देकर लोगों को फंसाया और जब लोग अपने पैसों की उम्मीद लेकर पहुंचे, तो करोड़ों रुपये लेकर फरार हो गए।
शुरुआत में यह कंपनी बिल्कुल भरोसेमंद लगती थी। पासबुक, रसीदें, बॉन्ड और लोन जैसी स्कीमें इतनी असली दिखती थीं कि किसी को शक नहीं हुआ। पहले साल ब्याज भी सही समय पर दिया गया, जिससे निवेशकों का भरोसा और बढ़ गया। कंपाउंड इंटरेस्ट की आदत ने लोगों को और निवेश करने के लिए मजबूर कर दिया।
2010 में खैरथल बस स्टैंड के पास छोटा सा ऑफिस खोला गया। कंपनी ने धीरे-धीरे गांववालों को एजेंट बनाकर टारगेट दिया। मल्टी-लेवल मार्केटिंग (MLM) की तरह कहा गया, “आप पांच लोग जोड़ो, वे पांच और जोड़ें।”
इस चक्र में खैरथल, मुंडावर और तिजारा तक हजारों लोग फंस गए। पेंशनधारी, किसान, मजदूर और दिव्यांग महिलाएं—सबने FD-RD में पैसा जमा किया। गांव की सिलाई मशीन से लेकर बुजुर्गों की पेंशन तक, सब नवअंश इंडिया निधि लिमिटेड के नाम हो गए। शुरुआती दिनों में ब्याज सही समय पर चुकाया गया, जिससे लोगों को और भरोसा हो गया।
लेकिन दो महीने के भीतर ही सब खत्म हो गया। ऑफिस बंद हो गया, कॉल्स गायब हो गईं और लोग समझ गए कि जिन सपनों में वे जी रहे थे, वे असल में दुःस्वप्न थे। जब पैसे मांगने गए, तो कहा गया, “वो तो नरेश के पास हैं।” नरेश पहले ही गायब हो चुका था। मामा दाताराम भी दिनेश नामक एजेंट की मौत के बाद फरार हो गया।
11 सितंबर को ट्रेन के नीचे कटकर मर गया दिनेश। परिजनों ने कहा कि वह दबाव में था। गांव में गुस्सा फूट पड़ा। पंचायत बुलाई गई और मामा दाताराम को भरोसा दिलाया गया कि पैसों की वापसी होगी, लेकिन चार दिन बाद भी कोई पैसा नहीं आया और मामा अपने परिवार के साथ फरार हो गया।
23 सितंबर की रात को पता चला कि दाताराम अपने घर से भैंसें लोड करके भाग रहा है। लोग भड़क गए, घर में तोड़फोड़ की और बाइकों को आग लगा दी। पुलिस जब पहुंची, तो भीड़ के गुस्से के सामने फिसड्डी साबित हुई। अंततः अतिरिक्त फोर्स बुलाकर हालात संभाले गए, लेकिन तब तक लोगों की उम्मीदें खत्म हो चुकी थीं।
सीमा नाम की दिव्यांग महिला ने बेटियों की शादी के लिए दो लाख रुपए जमा किए। प्रेमवती ने पूरे परिवार के नौ लाख, शंभूदयाल ने पेंशन से हर महीने दस हजार रुपये, और हुक्म कौर जैसी कई लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई इसी कंपनी में लगा दी। अब FD की रसीदें और फाइलें सिर्फ कचरा बन चुकी हैं।
यह मामला कई सवाल खड़ा करता है। जब RBI और SEBI जैसी संस्थाएं मौजूद हैं, जब बैंकिंग और वित्तीय गतिविधियों पर सख्त कानून हैं, तो ऐसे फर्जी ‘निधि लिमिटेड’ के खिलाफ कदम क्यों नहीं उठाए गए? यह पोंजी स्कीम सरकारी नजरों के सामने कैसे चलती रही? क्या 25 करोड़ रुपए बिना ऑडिट के खप गए? और जब लोगों की जान खतरे में आई, तब भी पुलिस क्यों सिर्फ FIR और शांति भंग तक सीमित रही?
अब सवाल यह है कि हजारों निवेशकों का क्या होगा? क्या उन्हें न्याय मिलेगा? क्या सरकार कोई रिफंड स्कीम लाएगी या यह मामला भी पोंजी स्कीम के आंकड़ों में दर्ज होकर खत्म हो जाएगा? मामा-भांजे ने ‘नवअंश’ के नाम पर लोगों की आशाओं को निगल लिया। अगर सिस्टम, प्रशासन और कानून समय रहते नहीं जागे, तो भविष्य और भी खतरनाक होगा।
यह घटना हर गांव, हर गली में चेतावनी है। भरोसा सबसे कीमती चीज है, लेकिन जब यह टूटता है, तो सिर्फ पैसा नहीं, बल्कि लोगों का आत्मविश्वास और भविष्य भी डूब जाता है। अब सवाल यह है कि आप कब तक आंखें मूंदकर भरोसा करते रहेंगे?
जयपुर : आमेर थाना इलाके के कुंडा में मंगलवार की सुबह एक भयानक सड़क हादसा हुआ, जिसने स्थानीय लोगों को स्तब्ध कर दिया। तेज रफ्तार डंपर ने सड़क किनारे खड़े तीन राहगीरों को रौंद दिया। हादसे की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि डंपर की रफ्तार इतनी अधिक थी कि उसे रोकना मुश्किल हो गया और वह सीधे एक ट्रांसफॉर्मर से टकरा गया। टकराने के बाद डंपर में आग लग गई, जिससे सड़क पर खौफनाक दृश्य बन गया।
हादसे में दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक युवक गंभीर रूप से घायल हुआ। मृतकों की पहचान शंकरलाल और ओमप्रकाश सैनी के रूप में हुई। घायल युवक को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।शंकरलाल और ओमप्रकाश रोज की तरह अपने मोहल्ले में चक्की के पास खड़े थे। यह स्थान स्थानीय लोगों के लिए रोजमर्रा की गतिविधियों का हिस्सा है। लेकिन तेज रफ्तार डंपर ने उनके जीवन में अचानक आकर अंधकार फैला दिया। शंकरलाल की मां का 9 दिन पहले ही निधन हो चुका था, और अब बेटे की मौत ने परिवार को पूरी तरह तोड़ दिया है। ओमप्रकाश के चार छोटे बच्चे अब पिता के बिना जीवन की कठिनाइयों का सामना करेंगे।
स्थानीय लोग हादसे के दृश्य को देखकर दहशत में आ गए। उन्होंने बताया कि सड़क पर लगातार ऐसे हादसे होते रहते हैं। तेज रफ्तार वाहनों और लापरवाह ड्राइवरों के कारण यह सड़क अब “मौत का रास्ता” बन गई है। हादसे के बाद, गुस्साए ग्रामीणों ने शवों को सड़क पर रखकर जयपुर-दिल्ली हाईवे को जाम कर दिया। उन्होंने प्रशासन और पुलिस से तत्काल कार्रवाई की मांग की। ग्रामीणों का कहना है कि तेज रफ्तार डंपरों और अन्य भारी वाहनों की वजह से सड़क पर रोजाना दुर्घटनाएँ हो रही हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी निष्क्रिय बैठे हैं।
लोगों ने पुलिस से यह भी मांग की कि इस क्षेत्र में वाहनों की रफ्तार पर नियंत्रण लगाया जाए और नियमित रूप से सड़क सुरक्षा उपायों को लागू किया जाए। उनका कहना है कि अगर जल्द ही कदम नहीं उठाए गए, तो ऐसी घटनाएं भविष्य में और भी ज्यादा होंगी।पुलिस ने दुर्घटना के तुरंत बाद डंपर को जब्त कर लिया है और चालक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। हालांकि, स्थानीय लोग इस कार्रवाई को पर्याप्त नहीं मान रहे हैं।
उनका आरोप है कि अक्सर इस तरह के मामले “रफा-दफा” कर दिए जाते हैं और जिम्मेदार व्यक्तियों को सजा नहीं मिलती।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि चालक की पहचान कर ली गई है और उसे गिरफ्तार करने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि दुर्घटना की जांच जारी है और जांच पूरी होने के बाद ही आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।विशेषज्ञों के अनुसार, राजस्थान में तेज रफ्तार डंपरों और भारी वाहनों की वजह से सड़क हादसे आम हो गए हैं।
इन हादसों के मुख्य कारणों में सड़क पर उचित संकेतों की कमी, तेज रफ्तार, ओवरलोडिंग, और अनियंत्रित ट्रैफिक शामिल हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय पर रोकथाम और नियामक उपाय नहीं किए गए, तो ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ती जाएंगी। उन्होंने सुझाव दिया कि स्थानीय प्रशासन को सड़क सुरक्षा मानकों को कड़ाई से लागू करना चाहिए और नियमित रूप से वाहन चालकों के प्रशिक्षण और जांच को सुनिश्चित करना चाहिए।हादसे में शंकरलाल के परिवार का दुख बेहिसाब है। परिवार के सदस्यों ने बताया कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि इतने कम समय में उनके परिवार से दो ऐसे महत्वपूर्ण लोग छिन जाएंगे। ओमप्रकाश के बच्चों की स्थिति भी चिंताजनक है। परिवार ने प्रशासन से आग्रह किया है कि उनके लिए आर्थिक और मानसिक सहायता प्रदान की जाए।
समाज और समुदाय इस हादसे के बाद सक्रिय हो गया है। उन्होंने एकत्र होकर प्रशासन से सड़क पर सुरक्षा उपायों की मांग की है। समुदाय ने यह भी सुझाव दिया है कि इस क्षेत्र में तेज रफ्तार वाहनों पर कड़ाई से नियंत्रण किया जाए और सुरक्षा के लिए स्थायी उपाय किए जाएं।
रींगस रेलवे स्टेशन से खाटू श्याम जी के मंदिर तक जाने वाले मार्ग पर श्रद्धालुओं की यात्रा अब डर और तनाव का सामना कर रही है। राजस्थान के सीकर जिले में यह धार्मिक मार्ग, जो पहले भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक था, अब कुछ युवाओं के लिए लूट और धमकियों का अड्डा बन गया है। स्थानीय वाहन चालकों और यात्रियों के अनुसार, सड़क पर चलने वाले वाहनों से पैसे मांगे जाते हैं, और जो मना करता है, उसे गंभीर धमकियां दी जाती हैं। धमकियों में हाथ-पैर तोड़ने, वाहन फोड़ने और जान लेने जैसी चेतावनी शामिल होती है।
स्थानीय लोग बताते हैं कि इस समस्या का असर सीधे यात्रियों पर पड़ता है। खाटू मोड़ पर कई बार वाहन चालकों ने विरोध स्वरूप सड़क जाम किया। ड्राइवर विकास फोगावट और उम्मेद निठारावाल जैसे लोगों का कहना है कि कुछ युवक रोजाना ‘हफ्ता’ मांगते हैं, और प्रशासन मौन साधे हुए है। उनका कहना है कि पुलिस केवल नज़रअंदाज कर रही है, जबकि यात्रियों और वाहन चालकों को अपराधियों के डर में दिन-रात सावधान रहना पड़ता है।
रींगस रेलवे स्टेशन से खाटू तक हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। यह मार्ग धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व का है, लेकिन अब श्रद्धालु भय और असुरक्षा के माहौल में यात्रा करने को मजबूर हैं। लोग कहते हैं कि धार्मिक यात्रा अब लूट यात्रा में बदल गई है।
स्थानीय समाज और व्यापारी इस समस्या को गंभीर मान रहे हैं। उनका कहना है कि यदि प्रशासन ने जल्द कदम नहीं उठाया, तो यह गुंडागर्दी और बढ़ेगी। उन्होंने चेतावनी दी है कि मार्ग पर नियंत्रण की कमी से न केवल श्रद्धालुओं की सुरक्षा खतरे में है, बल्कि स्थानीय व्यापार और पर्यटन पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है।
स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने इस मुद्दे पर संज्ञान लिया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। पुलिस अधिकारीयों का कहना है कि जांच जारी है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, प्रभावित लोग इसे पर्याप्त नहीं मानते। उनका आरोप है कि पुलिस न केवल कार्रवाई में ढील देती है, बल्कि कभी-कभी कुछ स्थानीय अपराधियों के साथ सांठगांठ का भी शक होता है।
यात्रियों का कहना है कि धार्मिक स्थल पर आना उनके लिए मानसिक और शारीरिक शांति का अनुभव होना चाहिए, लेकिन अब डर और तनाव उनकी यात्रा का हिस्सा बन गया है। कई परिवार और बुजुर्ग श्रद्धालु अब अकेले यात्रा करने से डरते हैं, और कई बार तो लोग समूह में ही जाने की सलाह देते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि धार्मिक मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है। सुरक्षा उपायों में नियमित पुलिस पेट्रोलिंग, मार्ग पर सीसीटीवी कैमरे, और स्थानीय लोगों को सुरक्षा में सहयोग देने के कार्यक्रम शामिल होने चाहिए। इसके अलावा, प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी व्यक्ति या समूह को जनता से जबरन वसूली करने का मौका न मिले।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि मार्ग की सुरक्षा केवल कानून लागू करने तक सीमित नहीं होनी चाहिए। समाज और धर्मार्थ संस्थाओं को भी श्रद्धालुओं की सुरक्षा में भूमिका निभानी चाहिए। उनका कहना है कि यदि सामूहिक प्रयास और प्रशासनिक कार्रवाई नहीं हुई, तो भविष्य में यह मार्ग अपराधियों के लिए स्थायी अड्डा बन सकता है।
श्रद्धालु और वाहन चालक दोनों ही इस स्थिति से बेहद परेशान हैं। उन्हें डर है कि किसी भी समय किसी अप्रत्याशित घटना का सामना करना पड़ सकता है। स्थानीय ड्राइवर विकास फोगावट ने बताया कि कई बार उन्होंने विरोध किया, लेकिन कुछ युवकों ने खुलेआम धमकी दी कि अगर पैसे नहीं दिए तो गाड़ी को तोड़ दिया जाएगा। इस प्रकार की घटनाओं ने श्रद्धालुओं और चालकों के मन में भय पैदा कर दिया है।
अन्य ड्राइवर उम्मेद निठारावाल ने कहा कि यह समस्या केवल एक या दो युवकों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी तरह संगठित गिरोह की गतिविधि है। उनका कहना है कि यदि प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई नहीं की, तो यह गिरोह और अधिक हावी हो जाएगा।
स्थानीय समाज और व्यापारियों ने प्रशासन से मांग की है कि तुरंत प्रभावी कदम उठाए जाएं। उनका कहना है कि धार्मिक स्थल तक पहुंचने वाले मार्ग को सुरक्षित बनाने के लिए कड़ी निगरानी और सख्त कानून लागू होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो न केवल श्रद्धालुओं की सुरक्षा खतरे में है, बल्कि धार्मिक यात्रा की प्रतिष्ठा भी प्रभावित होगी।
इस समस्या का समाधान केवल पुलिस कार्रवाई और प्रशासनिक उपायों तक सीमित नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि समाज को भी सक्रिय भूमिका निभानी होगी। स्थानीय लोगों को मार्ग पर निगरानी रखने, संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देने और सुरक्षा उपायों में सहयोग करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, श्रद्धालुओं को भी मार्ग पर सतर्क रहने और अनावश्यक जोखिम न लेने की सलाह दी जाती है।
यह स्थिति दर्शाती है कि धार्मिक स्थल पर आस्था और श्रद्धा की जगह अब डर और असुरक्षा ने ले ली है। यदि इस दिशा में तुरंत प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो यह मार्ग अपराधियों के लिए स्थायी अड्डा बन सकता है। स्थानीय लोग और श्रद्धालु प्रशासन और पुलिस से गंभीर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
इस प्रकार रींगस रेलवे स्टेशन से खाटू श्याम जी के मंदिर तक का मार्ग अब केवल धार्मिक यात्रा का प्रतीक नहीं रहा। यह अब एक ऐसा मार्ग बन गया है, जहां श्रद्धालु और वाहन चालक भय और धमकियों के बीच अपनी यात्रा पूरी करने को मजबूर हैं। प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई के बिना यह समस्या और बढ़ती जाएगी, और लाखों श्रद्धालुओं के मन में धार्मिक आस्था के साथ-साथ डर और असुरक्षा की भावना भी गहरी होती जाएगी।
हापुड़ से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। बुलंदशहर के 40 वर्षीय सचिन नामक व्यक्ति को नशे की आदत ने ऐसी हालत में पहुंचा दिया कि उसका पेट लोहे और घरेलू सामान से भर गया। हाल ही में उसे नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया गया, लेकिन नाराज़गी के चलते उसने खाना छोड़कर चम्मच, टूथब्रश और पेन खाना शुरू कर दिया।
डॉक्टरों ने एक्स-रे करने के बाद देखा कि सचिन का पेट कई तरह की धातु और छोटे-छोटे सामान से भरा हुआ था। सर्जरी के दौरान डॉक्टरों ने दर्जनों चम्मच, ब्रश, पेन और अन्य वस्तुएं निकालकर उसकी जान बचाई।
यह मामला केवल चौंकाने वाला ही नहीं है, बल्कि एक चेतावनी भी है कि नशा किसी व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक सेहत को कितना गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। चिकित्सकों का कहना है कि ऐसे लोग जब सही समय पर इलाजपाएं तो खुद और आसपास के लोगों के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं।