राजस्थान का सेंड माता मंदिर आस्था, इतिहास और चमत्कारों का अद्भुत संगम है। अरावली की तीसरी सबसे ऊंची चोटी पर स्थित यह शक्तिपीठ न सिर्फ श्रद्धालुओं का केंद्र है, बल्कि यह कई रहस्यों और प्रसंगों की भी मिसाल है। नवरात्रि के पावन अवसर पर लाखों भक्त यहाँ पैदल चलकर माता रानी के दर्शन के लिए आते हैं और अपनी झोली में आशीर्वाद भरते हैं।
कहानी के अनुसार, एक समय राजा शिकार पर निकला था। तभी माता रानी ऊँट पर सवार होकर राजा के सामने प्रकट हुईं। माता ने राजा को आशीर्वाद दिया और कहा कि जो सच्चे मन से उनके दर्शन करेगा, उसकी झोली कभी खाली नहीं होगी। यह चमत्कार आज भी श्रद्धालुओं के विश्वास की आधारशिला बना हुआ है।
नवरात्रि के दौरान सेंड माता मंदिर लाखों भक्तों से गुलजार हो जाता है। लोग घंटों पैदल चलकर चोटी तक पहुँचते हैं। कई भक्त घंटों तक तपस्या और भक्ति में लीन रहते हैं ताकि माता का शक्ति दर्शन प्राप्त कर सकें। मंदिर में भक्तों की झोली आशीर्वाद से भरती है और लोग लौटते समय अपने मन और जीवन में सुख-समृद्धि का अनुभव करते हैं।
सेंड माता मंदिर भीलवाड़ा रोड पर मदरिया या फिर लसानी गांव के रास्ते से आसानी से पहुंचा जा सकता है। रास्ता चाहे जैसा भी हो, श्रद्धालुओं का मानना है कि मंज़िल केवल मां की कृपा से मिलती है। अरावली की ऊँचाई और प्राकृतिक सुंदरता इस तीर्थ स्थल की पवित्रता और भी बढ़ा देती है।
सेंड माता मंदिर केवल एक तीर्थस्थल नहीं है। यह उन स्थानों में शामिल है जहां आस्था, इतिहास और चमत्कार साथ चलते हैं। मंदिर में पहुँचते ही भक्तों का मन श्रद्धा और भक्ति से झुक जाता है। यहाँ का वातावरण ऐसा है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने मन के अंदर की शांति और शक्ति को महसूस करता है।
सेंड माता मंदिर न केवल राजस्थान का धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भक्ति, तपस्या और शक्ति का प्रतीक भी है। ऊँट पर सवार माता का चमत्कार, राजा को आशीर्वाद देने की कथा, और नवरात्रि के दौरान लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ इसे और भी खास बनाती है।
जो भी यहाँ आता है, वह अनुभव करता है कि आस्था और श्रद्धा से बढ़कर कुछ नहीं। यही कारण है कि सेंड माता मंदिर की यात्रा न सिर्फ तीर्थयात्रा है, बल्कि आध्यात्मिक अनुभव और शक्ति की अनुभूति भी है।
बस्ती: उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक रेस्टोरेंट में मामूली विवाद इतना बढ़ गया कि बात हाथापाई से होते हुए किचन के बर्तनों तक पहुंच गई। हैरानी की बात यह रही कि गुस्साए लोगों ने कुकर और फ्राइंग पैन से एक-दूसरे पर हमला कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
जानकारी के मुताबिक, बस्ती के एक रेस्टोरेंट में दो पक्षों के बीच किसी बात को लेकर बहस शुरू हुई। देखते ही देखते बहस झगड़े में बदल गई। गुस्से में आए लोगों ने पहले एक-दूसरे पर कुर्सियां चलाईं और फिर किचन में रखे बर्तनों का इस्तेमाल कर लिया। कुकर और फ्राइंग पैन को हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया।
घटना का वीडियो वहां मौजूद किसी शख्स ने मोबाइल पर रिकॉर्ड कर लिया। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि किस तरह दोनों पक्ष एक-दूसरे पर बर्तनों से हमला कर रहे हैं। कुछ लोग बीच-बचाव की कोशिश करते दिखे, लेकिन झगड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा था। अब यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है और लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस हरकत में आ गई। बस्ती पुलिस का कहना है कि दोनों पक्षों की पहचान कर ली गई है और मामले की जांच की जा रही है। पुलिस का कहना है कि झगड़े के पीछे पुराने आपसी विवाद की भी संभावना है। हालांकि, अभी तक इस मामले में किसी की गंभीर चोट की खबर सामने नहीं आई है।
सोशल मीडिया यूज़र्स इस वीडियो पर लगातार प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कई लोग इसे मज़ाकिया अंदाज़ में देख रहे हैं, तो कई इसे बेहद गंभीर घटना मान रहे हैं। कुछ लोग लिख रहे हैं कि “जहां खाना बनना चाहिए, वहीं हथियार बन गए।” वहीं, कुछ यूज़र्स ने पुलिस से सख्त कार्रवाई की मांग भी की है।
यह घटना सिर्फ एक झगड़ा नहीं बल्कि समाज को चेतावनी है कि गुस्से में इंसान कुछ भी कर सकता है। मामूली बहस को हिंसा का रूप देने से न केवल कानून व्यवस्था बिगड़ती है, बल्कि समाज में गलत संदेश भी जाता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसे विवादों में धैर्य और समझदारी दिखाना ही सबसे अच्छा समाधान होता है।
बस्ती का यह मामला फिलहाल चर्चा का विषय बना हुआ है। कुकर और फ्राइंग पैन जैसे घरेलू सामान को हथियार की तरह इस्तेमाल करना जहां हास्यास्पद लगता है, वहीं यह गंभीर चिंता का विषय भी है। पुलिस जांच में जुटी है और उम्मीद है कि जल्द ही इस विवाद की असली वजह सामने आ जाएगी।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने नवरात्रि के अवसर पर ऐसा कदम उठाया है, जो न सिर्फ हैरान करने वाला है बल्कि प्रेरित भी करता है। सीएम भजनलाल शर्मा पिछले 8 महीनों से एक दाना भी नहीं खा रहे हैं और उनका आहार केवल फलाहार और जल तक सीमित है।
राजनीति की दुनिया में अक्सर सत्ता, लालच और दिखावे की बातें सुनने को मिलती हैं, लेकिन सीएम भजनलाल शर्मा ने खुद को आत्म-नियंत्रण और तप के माध्यम से तैयार किया है। उनका मानना है कि नेतृत्व पहले खुद अनुशासित होने से ही जनता को सही दिशा दिखा सकता है।
नवरात्रि के पावन अवसर पर जहां पूरा देश देवी मां की पूजा-अर्चना में लीन है, वहीं सीएम खुद को एक सेवक और साधक के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। उनका यह उपवास केवल पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शक्ति साधना, आत्म-नियंत्रण और निस्वार्थ सेवा का संगम है।
भजनलाल शर्मा का यह कदम जनता और नेताओं के लिए एक संदेश है कि सच्चा नेतृत्व दिखावे और अहंकार से नहीं, बल्कि अनुशासन और भक्ति से आता है।
उनका दिन-चर्या साधना, ध्यान और मां दुर्गा की उपासना में बीतता है। न कोई शोर, न कोई प्रचार — केवल तप और सेवा ही उनके दिन का मूल आधार है।
राजनीति में अक्सर सत्ता, लालच और अहंकार आम बात हैं। ऐसे में भजनलाल शर्मा का यह उपवास और तप का जीवन सभी नेताओं और आम जनता के लिए प्रेरणा बनता है। उनके अनुसार, स्वयं पर नियंत्रण और अनुशासन के बिना नेतृत्व का सही मायना नहीं निकल सकता।
यह कदम दर्शाता है कि राजनीतिक जीवन में न सिर्फ निर्णय लेने की क्षमता, बल्कि आत्म-नियंत्रण और निस्वार्थ सेवा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
सीएम भजनलाल शर्मा का यह 8 महीने का फलाहार और जल उपवास न सिर्फ नवरात्रि की पवित्रता को दिखाता है, बल्कि यह दर्शाता है कि सच्चा नेतृत्व तप, भक्ति और अनुशासन से ही संभव है।
इस अनोखे कदम से यह संदेश मिलता है कि शक्ति, पद और सत्ता केवल दिखावे के लिए नहीं होती, बल्कि अपने आप को नियंत्रित करने और सेवा भाव में लीन होने से ही उसका असली उपयोग होता है।
जयपुर :- सड़क सुरक्षा का एक और भयावह उदाहरण सामने आया है। जयपुर के पास हाईवे पर तेज रफ्तार ट्रेलर ने पीछे से खड़े ट्रक को टक्कर मार दी, और देखते ही देखते भीषण आग ने दोनों वाहनों को लपटों में लपेट लिया। यह हादसा इतना खौफनाक था कि ट्रक का चालक जिंदा जल गया, जबकि दो अन्य लोग गंभीर रूप से झुलस गए।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, टक्कर इतनी तेज थी कि आग के साथ ही ट्रक और ट्रेलर लोहे के कबाड़ में बदल गए। मौके पर चीख-पुकार मची और कुछ ही मिनटों में पूरा हाईवे हादसे की वजह से जाम हो गया। लोग घायलों की मदद करने के लिए दौड़े, लेकिन आग इतनी भयंकर थी कि उसे तुरंत कंट्रोल करना मुश्किल था।
इस हादसे में ट्रक का चालक मौत के मुंह में जा गिरा, जबकि दो अन्य लोग झुलस गए। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मृतक के शव को मोर्चरी में रखवाया और घायलों को अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टरों का कहना है कि घायलों की हालत गंभीर है और उन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता है।
हादसे के बाद हाईवे पर लंबा जाम लग गया। कई किलोमीटर तक गाड़ियों की कतारें लगी रही। ट्रैफिक पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मार्ग को नियंत्रित किया और क्रेन की मदद से क्षतिग्रस्त वाहनों को हटाया।
सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो वायरल हो गया, जिसमें आग और तबाही का दृश्य साफ देखा जा सकता है।
यह हादसा एक बार फिर ओवरस्पीडिंग, लापरवाही और खराब ट्रैफिक मैनेजमेंट की गंभीरता को उजागर करता है। सवाल उठता है कि हमारी सड़कों पर रफ्तार का खेल कब तक ज़िंदगियों के साथ खेलता रहेगा? हर साल हजारों लोग तेज रफ्तार और लापरवाह ड्राइविंग की वजह से अपनी जान गंवाते हैं।
विशेषज्ञ कहते हैं कि सड़क सुरक्षा के लिए कड़े नियम, सड़क पर बेहतर निगरानी और लोगों की जागरूकता जरूरी है। केवल नियम बनाने से काम नहीं चलता; ड्राइवरों का प्रशिक्षण और अनुशासन भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
जयपुर के पास यह हादसा दर्शाता है कि सड़क पर ओवरस्पीडिंग और लापरवाही कितनी जानलेवा साबित हो सकती है। ट्रक और ट्रेलर की टक्कर से हुई आग ने एक जीवन को हमेशा के लिए निगल लिया, और दो लोगों की जिंदगी खतरे में डाल दी। यह घटना सभी ड्राइवरों और प्रशासन के लिए चेतावनी है कि रफ्तार की कीमत कभी भी इंसान की जान नहीं हो सकती।
नवरात्रि का पर्व शक्ति की उपासना और श्रद्धा का प्रतीक है। अष्टमी और नवमी के दिन विशेष रूप से कन्या पूजन (Kanya Pujan) का महत्व होता है। इस दिन छोटी-छोटी कन्याओं को घर बुलाकर माता रानी के नौ रूपों के रूप में पूजा जाता है। परंपरा के अनुसार उन्हें भोजन (हलवा, पूड़ी, चना) अर्पित करने के बाद उपहार भी दिया जाता है।
अगर आप भी सोच रहे हैं कि कन्या पूजन में क्या गिफ्ट दें (Kanya Pujan Gifts Ideas) ताकि बच्चियां प्रसन्न हों और देवी मां की कृपा प्राप्त हो, तो यहां दिए गए 7 शुभ और उपयोगी उपहार आपके लिए बिल्कुल सही विकल्प साबित हो सकते हैं।
कन्या पूजन में फल और मेवे देना सबसे शुभ माना जाता है। सेब, केला, संतरा जैसे ताजे फल या फिर काजू, बादाम और किशमिश जैसे ड्राई फ्रूट्स उपहार में देने से बच्चियां खुश होंगी और यह सेहतमंद भी रहेगा।
आज के समय में पढ़ाई से जुड़ी चीजें सबसे जरूरी हैं। पेन, कॉपी, पेंसिल, क्रेयॉन्स या छोटा स्टेशनरी किट देकर आप कंजकों की पढ़ाई को और प्रोत्साहित कर सकते हैं।
नवरात्रि में साज-सज्जा का अलग ही आनंद है। बच्चियों को रंगीन चूड़ियां और सुंदर बिंदियां देकर उन्हें सजने-संवरने का अवसर दें। यह पारंपरिक गिफ्ट हमेशा पसंद किया जाता है।
फ्रॉक, सूट या ड्रेस जैसी चीजें कन्याओं को बेहद खुशी देती हैं। त्योहार के मौके पर नया वस्त्र देना शुभ भी माना जाता है और यह लंबे समय तक उनके काम आता है।
आजकल प्रैक्टिकल गिफ्ट्स ज्यादा पसंद किए जाते हैं। बच्चों के लिए टिफिन बॉक्स, वॉटर बॉटल या बैग देना एक शानदार और उपयोगी विकल्प है।
बच्चियों को मीठा हमेशा अच्छा लगता है। आप टॉफी, चॉकलेट, बिस्किट और मिठाई से बना एक छोटा गिफ्ट पैक तैयार कर सकते हैं। यह तुरंत उनके चेहरे पर मुस्कान ले आएगा।
आध्यात्मिक गिफ्ट देने का भी अपना महत्व है। चुनरी, छोटी थाली, रोली, अक्षत या माता रानी की मूर्ति कंजकों को भेंट की जा सकती है। यह उनके लिए यादगार उपहार रहेगा।
कन्या पूजन केवल परंपरा नहीं बल्कि बच्चियों का सम्मान करने का अवसर भी है। चाहे फल-फ्रूट्स हों, कपड़े हों, स्टेशनरी या मिठाई – हर उपहार का अपना महत्व और शुभता है।
इस नवरात्रि, इन 7 शुभ उपहारों में से कोई भी चुनें और अपने घर आई देवियों का सम्मान करके माता रानी की कृपा प्राप्त करें।
अजमेर: गरबा पांडाल की रात खुशियों से भरी थी, लेकिन यह खुशी अचानक मातम में बदल गई जब बीके कॉल नगर के 7 साल के दैविक धनवानी की बिजली के करंट से मौत हो गई। शुक्रवार की रात पांडाल में डीजे की धुनें बज रही थीं और बच्चे गरबा खेल रहे थे। दैविक भी वहीं खेल रहा था, लेकिन लौटते समय उसकी जान चली गई। माता-पिता की आंखों के सामने अपने बेटे का शव आने से पांडाल में चीखें गूंज उठीं और पूरे शहर में हड़कंप मच गया।
दैविक के पिता कपिल धनवानी ने आरोप लगाया कि पांडाल में सुरक्षा के कोई उचित इंतजाम नहीं थे। बिजली के तारों में इंसुलेशन नहीं था, कोई बैरियर नहीं लगाया गया था और भीड़ प्रबंधन का कोई ध्यान नहीं रखा गया था। उन्होंने बताया कि पांडाल केवल शो-ऑफ और लाइमलाइट के लिए सजाया गया था, जबकि सुरक्षा को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया। इस लापरवाही ने एक मासूम की जान ले ली और समाज को यह सोचने पर मजबूर किया कि सार्वजनिक आयोजनों में बच्चों और आम लोगों की सुरक्षा कितनी अनदेखी की जाती है।
स्थानीय लोगों और पड़ोसियों ने बताया कि पांडाल में बच्चों के खेलने के लिए कोई सुरक्षित क्षेत्र नहीं बनाया गया था। पांडाल में केवल रंग-बिरंगी लाइट्स और डीजे की धुनों पर ध्यान दिया गया था, जिससे हादसे का खतरा और बढ़ गया। खुले तार और लापरवाही बच्चों के लिए गंभीर जोखिम बन गई।
पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है और शव को जवाहरलाल नेहरू अस्पताल की मॉर्च्युरी में रखा गया है। अधिकारियों ने कहा कि तकनीकी और फॉरेंसिक जांच के जरिए पूरी घटना का खुलासा किया जाएगा और दोषियों को सज़ा दिलाने की कोशिश की जाएगी।
यह घटना बच्चों और आम लोगों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि सार्वजनिक आयोजनों में बिजली के उपकरण, तारों और भीड़ प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना बेहद जरूरी है। छोटे बच्चों और कमजोर लोगों के लिए जोखिम अधिक होता है, इसलिए आयोजकों और प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि सुरक्षा मानकों का पालन करें।
दैविक के माता-पिता और आसपास के लोग मांग कर रहे हैं कि दोषियों को जल्द सज़ा दी जाए। प्रशासन को भविष्य में ऐसे आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि बच्चों और आम लोगों की जान जोखिम में न पड़े। यह घटना न केवल अजमेर बल्कि पूरे देश के आयोजकों और प्रशासन के लिए चेतावनी है कि मनोरंजन और त्योहारों के पीछे सुरक्षा को नजरअंदाज करना गंभीर परिणाम दे सकता है।
जयपुर :- 26 वर्षीय रवि नामा ने शुक्रवार को जहर खाकर अपनी जिंदगी खत्म कर ली। लेकिन इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि जब उसका परिवार उसे बचाने थाने पहुंचा, तो पुलिस ने जवाब दिया – “मर जाए तब आ जाना, पोस्टमॉर्टम करवा देंगे!”
आखिरी कॉल और परिवार की दौड़भाग
रवि ने अपने भाई को कॉल कर कहा – “मैं ज़हर खा चुका हूं, जा रहा हूं सब छोड़कर…” कॉल कटते ही परिजनों ने दौड़भाग शुरू कर दी, लेकिन पुलिस की संवेदनहीनता ने रवि की आखिरी उम्मीद भी खत्म कर दी।
पुलिस पर परिवार के आरोप
परिवारवालों का आरोप है कि सांगानेर सदर थाने के ड्यूटी ऑफिसर ASI रामावतार ने न तो रवि की लोकेशन ट्रेस की, न ही मदद की। उल्टा, उन्हें धमका कर भगा दिया गया। कुछ घंटों बाद रवि की लाश रेलवे ट्रैक के पास मिली, और उसकी बाइक थोड़ी दूरी पर खड़ी थी।
पुलिस की जांच और सफाई
पुलिस का कहना है कि उन्होंने लोकेशन ट्रेस करने की कोशिश की थी, लेकिन फोन स्विच ऑफ होने के कारण उन्हें सफलता नहीं मिली। अधिकारी यह भी बता रहे हैं कि मामले की जांच जारी है।
सवाल आम लोगों की सुरक्षा और संवेदनशीलता को लेकर
यह मामला कई सवाल खड़े करता है। जब एक जान बच सकती थी, तो पुलिस नियमों का बहाना लेकर मूकदर्शक क्यों बनी रही? क्या सिर्फ इतना कह देना कि ‘फोन स्विच ऑफ था’, एक जान बचाने की कोशिश को सही ठहरा सकता है? यह घटना प्रशासन और पुलिस की संवेदनशीलता की कमी को उजागर करती है और समाज के लिए चेतावनी भी है।
लखनऊ से आई खबर ने सभी को चौंका कर रख दिया। पॉश विकास नगर इलाके में नोएडा में तैनात आईपीएस यमुना प्रसाद के घर में चोरों ने लाखों की चोरी कर दी।
चोरों ने न सिर्फ कैश और जेवरात उड़ाए, बल्कि हैरत की बात यह है कि बाथरूम की टोटियां तक निकालकर ले गए।
चोरी का पता तब चला जब पड़ोसियों ने घर का ताला टूटा देखा और पुलिस को सूचना दी। जांच में सामने आया कि चोर आराम से घर में घुसे और कीमती सामान के साथ-साथ वो चीज़ें भी ले गए, जिनकी किसी को उम्मीद नहीं थी।
पुलिस सीसीटीवी और फॉरेंसिक जांच की मदद से चोरों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। अधिकारियों ने कहा कि जल्द ही मामले का खुलासा होने की उम्मीद है।
यह मामला कई सवाल खड़े करता है। जब आईपीएस अफसर का घर ही सुरक्षित नहीं है, तो आम लोगों के घरों की सुरक्षा की क्या गारंटी है? यह घटना समाज में सुरक्षा व्यवस्था और घरों की सुरक्षा के महत्व को उजागर करती है।
नीट में 99.99 परसेंटाइल और ऑल इंडिया रैंक 1475 पाने वाले महाराष्ट्र के चंद्रपुर के 19 साल के अनुराग नवारगांव ने उस दिन खुदकुशी कर ली जिस दिन उसे मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिलने वाला था।
जो युवा लाखों स्टूडेंट्स को पछाड़ गया, वह खुद ज़िंदगी की रेस हार गया।
पुलिस को मिले सुसाइड नोट में अनुराग ने लिखा, “मैं डॉक्टर नहीं बनना चाहता था।“
यह सवाल खड़ा करता है कि यह 1475वीं रैंक अनुराग की थी या उसके मां-बाप की उम्मीदों की? क्या हर टैलेंटेड बच्चा डॉक्टर या इंजीनियर ही बनेगा?
जब बच्चे को उसके सपनों के खिलाफ दबाव में जीने को मजबूर किया जाता है, तो कभी-कभी उसकी कीमत जिंदगी देकर चुकानी पड़ती है।
अनुराग अपने परिवार के साथ नवारगांव में रहता था और गोरखपुर में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए जाने वाला था। लेकिन इससे पहले उसने हमेशा के लिए दुनिया छोड़ दी।
यह मामला सिर्फ दुखद नहीं, बल्कि सोचने लायक है। हमारे समाज में अकसर माता-पिता और परिवार के सपने बच्चों पर थोप दिए जाते हैं।
काश, किसी ने अनुराग से पूछा होता—”तू डॉक्टर नहीं बनना चाहता, तो क्या बनना चाहता?” शायद तब अनुराग अपनी खुशियों की राह चुन पाता।
अब वक्त है सिस्टम बदलने का नहीं, सोच बदलने का।
अब इसे लोगों की पागलपन कहें या फिर सिंगर ज़ुबिन गर्ग के लिए लोगों का बेइंतेहा प्यार, यह तो आप ही तय करिए। असम से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां एक युवक सिंगर ज़ुबिन गर्ग की मौत के सदमे में आकर अपनी जान गंवाने को तैयार हो गया।
सूत्रों के अनुसार, नदी में कूदने से पहले युवक ने अपनी कमीज़ फाड़कर कहा, “जोत जुबीन दा” और फिर छलांग लगा दी। गनीमत रही कि उसकी जान बच गई। उसे नदी के किनारे बेहोशी की हालत में पाया गया।
यह केवल एक घटना नहीं है। माजुली के रहने वाले 18 साल के मुदोइबिल चारियाली ने कथित तौर पर फिनाइल पी लिया। उसे तुरंत गरमूर जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
जानकारी के अनुसार, जुबिन गर्ग की मौत की खबर सुनने के बाद दो लोगों की मौत हार्ट अटैक से हो चुकी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ज़ुबिन गर्ग लोगों के बीच कितने लोकप्रिय थे और उनकी मृत्यु ने कितनी भावनात्मक लहर पैदा की।
लेकिन एक बड़ा सवाल यह है कि क्या लोग केवल अपनी भावनाओं में इतने खो जाते हैं कि अपनी जान और अपने आस-पास वालों की सुरक्षा की परवाह नहीं करते। ऐसे मामलों में मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक समर्थन की अहमियत और भी बढ़ जाती है।
असम | संवाददाता रिया शर्मा