असरानी के निधन से सदमे में अक्षय कुमार, बोले- “मैं डिप्रेशन में हूं”, प्रियदर्शन ने बताई पूरी बात

बॉलीवुड के मशहूर कॉमेडी एक्टर गोवर्धन असरानी के निधन से फिल्म इंडस्ट्री में गहरा शोक छा गया है। 84 वर्ष की आयु में असरानी जी ने सोमवार को अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर सुनकर अक्षय कुमार टूट गए हैं। डायरेक्टर प्रियदर्शन के मुताबिक, अक्षय कुमार इस सदमे से उबर नहीं पा रहे हैं और उन्होंने कहा है कि वे “डिप्रेशन में” हैं।

 

प्रियदर्शन ने बताया – “अक्षय बेहद दुखी हैं”

फिल्म “हैरान” के निर्देशक प्रियदर्शन ने मीडिया से बातचीत में बताया कि असरानी जी के निधन की खबर सुनकर अक्षय कुमार ने दो बार उन्हें फोन किया। अक्षय ने कहा, “मैं बहुत डिप्रेस्ड हूं, विश्वास नहीं हो रहा कि असरानी जी अब हमारे बीच नहीं हैं।” प्रियदर्शन ने बताया कि पिछले 40-45 दिनों से अक्षय और असरानी साथ में शूटिंग कर रहे थे और दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई थी।

 

शूटिंग के दौरान बना गहरा रिश्ता

फिल्म “हैरान” के सेट पर असरानी जी न सिर्फ अपनी कॉमिक टाइमिंग से सभी को हंसाते थे बल्कि नए कलाकारों को अभिनय से जुड़ी सलाह भी देते थे। अक्षय कुमार अक्सर कहते थे कि असरानी जी जैसे सीनियर कलाकारों से सीखने का मौका मिलना उनके लिए गर्व की बात है। दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला लगातार चलता रहता था, जिससे उनके बीच एक पारिवारिक रिश्ता बन गया था।

 

असरानी की आखिरी फिल्म बनी “हैरान”

गोवर्धन असरानी ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में भी काम करना बंद नहीं किया था। वे पिछले महीने तक प्रियदर्शन की नई फिल्म “हैरान” की शूटिंग में व्यस्त थे, जिसमें वे अक्षय कुमार के साथ स्क्रीन शेयर कर रहे थे। यह फिल्म असरानी जी की आखिरी मूवी साबित हुई। उनकी कॉमिक टाइमिंग और डायलॉग डिलीवरी आज भी दर्शकों के बीच उतनी ही लोकप्रिय है जितनी उनके “शोले” और “चुपके चुपके” के किरदारों में थी।

 

सोशल मीडिया पर अक्षय कुमार का भावुक पोस्ट

असरानी जी के निधन के बाद अक्षय कुमार ने सोशल मीडिया पर एक इमोशनल पोस्ट शेयर किया। उन्होंने लिखा, “असरानी जी के निधन की खबर से मैं सदमे में हूं। कुछ दिन पहले ही ‘हैरान’ की शूटिंग पर उनसे मिला था, उन्होंने मुझे गले लगाया था। उनकी कॉमिक टाइमिंग और खुशमिजाज स्वभाव हमेशा याद रहेगा। हमारी इंडस्ट्री ने एक रत्न खो दिया है। असरानी सर, हमें हंसाने के लाखों वजह देने के लिए शुक्रिया। ओम शांति।”

 

फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर

असरानी जी के निधन की खबर फैलते ही बॉलीवुड के कई सितारों ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त किया। अमिताभ बच्चन, परेश रावल, जॉनी लीवर और अनुपम खेर सहित तमाम कलाकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। सभी ने माना कि असरानी ने कॉमेडी को एक नई ऊंचाई दी और उनके जैसे कलाकार बार-बार जन्म नहीं लेते।

 

84 साल की उम्र में भी सक्रिय थे असरानी

असरानी जी का जीवन अनुशासन और समर्पण का उदाहरण था। उन्होंने अपने करियर में 350 से अधिक फिल्मों में काम किया और कई दशकों तक दर्शकों को हंसाने का काम किया। उम्र के इस पड़ाव पर भी उनका अभिनय के प्रति जुनून कम नहीं हुआ था। “हैरान” की शूटिंग के दौरान भी वे पूरी ऊर्जा के साथ हर सीन को निभाते थे।

 

असरानी जी का जाना हिंदी सिनेमा के लिए अपूरणीय क्षति है। अक्षय कुमार और प्रियदर्शन जैसे कलाकारों ने उनके साथ बिताए पलों को याद करते हुए कहा कि उन्होंने सिर्फ एक को-स्टार नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक खो दिया है। असरानी जी का नाम भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम इतिहास में हमेशा अमर रहेगा।

 

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Bhai Dooj 2025: जानें 22 या 23 अक्टूबर में कब मनाई जाएगी भाई दूज, शुभ मुहूर्त और कथा

हर साल दिवाली के बाद आने वाला भाई दूज का पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है। इस वर्ष 2025 में लोग यह जानने को लेकर असमंजस में हैं कि भाई दूज आखिर 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी या 23 अक्टूबर को। पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर की रात 8:16 बजे प्रारंभ होकर 23 अक्टूबर की रात 10:46 बजे तक रहेगी। इसलिए उदया तिथि के आधार पर इस वर्ष भाई दूज 23 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी।

 

भाई दूज का शुभ मुहूर्त

पंडितों के अनुसार, 23 अक्टूबर को भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों को टीका करने का सबसे शुभ मुहूर्त दोपहर 1:13 बजे से लेकर 3:28 बजे तक रहेगा। इस दौरान बहनें विधि-विधान से तिलक कर अपने भाइयों की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और सफलता की कामना करेंगी। वहीं, भाई अपनी बहनों को रक्षा का वचन और उपहार देंगे। यह पर्व दिवाली के पंचमहापर्वों में आखिरी पर्व के रूप में माना जाता है।

 

भाई दूज का धार्मिक महत्व

भाई दूज का पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और पवित्र माना गया है। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक कर उनके लिए आशीर्वाद मांगती हैं कि वे सदा खुश, समृद्ध और स्वस्थ रहें। माना जाता है कि भाई दूज के दिन बहन के हाथों तिलक करवाने से यम देवता के भय से मुक्ति मिलती है और दीर्घायु प्राप्त होती है।

 

भाई दूज की पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, सूर्यपुत्र यमराज और सूर्यपुत्री यमुना देवी के बीच अटूट प्रेम था। यमुना अक्सर अपने भाई यमराज को अपने घर आने का निमंत्रण देती थीं, लेकिन यमराज अपने कार्यों में व्यस्त रहने के कारण नहीं आ पाते थे। एक दिन यमराज ने अपनी बहन के आमंत्रण को स्वीकार किया और उसके घर पहुंचे।

जब यमराज यमुना के घर पहुंचे, तो यमुना देवी ने उनका विधिवत स्वागत किया, तिलक लगाया और स्वादिष्ट भोजन परोसा। अपनी बहन के स्नेह और आतिथ्य से प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना को वरदान दिया कि इस दिन जो भी बहन अपने भाई को तिलक लगाएगी, वह उसके सौभाग्य और दीर्घायु के लिए शुभ फलदायी होगा। तब से यह पर्व भाई दूज के रूप में मनाया जाने लगा।

 

भाई दूज का आधुनिक महत्व

आज के समय में भी भाई दूज का महत्व कम नहीं हुआ है। इस दिन भाई और बहन का रिश्ता और मजबूत होता है। बहनें अपने भाइयों के लिए उपहार तैयार करती हैं और भाई अपनी बहनों को प्यार भरे तोहफे देते हैं। सोशल मीडिया के युग में भी इस दिन बहनें और भाई एक-दूसरे को संदेश, फोटो और शुभकामनाएं भेजकर इस रिश्ते का जश्न मनाते हैं।

 

भाई दूज मनाने की विधि

भाई दूज के दिन बहन को पहले पूजा की थाली सजानी चाहिए। थाली में तिलक के लिए चावल, रोली, दीपक और मिठाई रखें। फिर भाई को आसन पर बैठाकर तिलक करें, आरती उतारें और मिठाई खिलाएं। इसके बाद भाई अपनी बहन को उपहार दें और उसकी रक्षा का वचन दें। यह संकल्प ही इस पर्व का सबसे पवित्र और भावनात्मक क्षण होता है।

 

भाई दूज का पर्व सिर्फ एक पारंपरिक रस्म नहीं, बल्कि भाई-बहन के बीच प्रेम, विश्वास और सम्मान का प्रतीक है। 2025 में यह पर्व 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा, और इस दिन का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:13 से 3:28 बजे तक रहेगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना करेंगी।

 

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Govardhan Puja 2025: जानें कौन हैं गोवर्धन महाराज और कैसे पहुंचे ब्रजभूमि

सनातन परंपरा में दिवाली के अगले दिन कार्तिक मास की शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा का पर्व बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस वर्ष तिथि वृद्धि के कारण यह पर्व एक दिन बाद मनाया जा रहा है। माना जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं गोवर्धन पर्वत की पूजा कर प्रकृति और गौ-सेवा का महत्व बताया था।

 

गोवर्धन महाराज कौन हैं?

हिंदू मान्यता के अनुसार, गोवर्धन महाराज कोई साधारण पर्वत नहीं हैं, बल्कि भगवान विष्णु के प्रतीक माने जाते हैं। उनकी पूजा का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि वे भगवान श्रीकृष्ण के बाल्यकाल से जुड़े हैं। श्रीकृष्ण ने इंद्र के अभिमान को तोड़ने के लिए अपने नन्हे हाथ से गोवर्धन पर्वत को उठाया था और ब्रजवासियों को भारी वर्षा से बचाया था। इसी कारण गोवर्धन महाराज को “भक्ति, संरक्षण और प्रकृति के रक्षक” के रूप में पूजा जाता है।

 

गोवर्धन महाराज कैसे पहुंचे ब्रजमंडल?

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार पुलस्त्य ऋषि तीर्थयात्रा पर निकले और उन्होंने गोवर्धन पर्वत की सुंदरता देखी। उस पर्वत की दिव्यता से प्रभावित होकर वे उसे अपने साथ ले जाना चाहते थे। उन्होंने उसके पिता द्रोणांचल पर्वत से इसकी अनुमति मांगी। द्रोणांचल दुखी हुए, लेकिन गोवर्धन महाराज ने उन्हें आश्वस्त किया और पुलस्त्य ऋषि के साथ जाने की स्वीकृति दे दी।

 

गोवर्धन महाराज की शर्त और दिव्य घटना

गोवर्धन महाराज ने पुलस्त्य ऋषि से एक शर्त रखी थी कि यात्रा के दौरान यदि वे कहीं उन्हें नीचे रखेंगे, तो वे वहीं स्थायी रूप से विराजमान हो जाएंगे। ऋषि ने यह शर्त मान ली और उन्हें अपनी हथेली पर रखकर यात्रा शुरू की। जब वे ब्रजभूमि पहुंचे, तो गोवर्धन को ध्यान आया कि यही वह पवित्र भूमि है जहां भगवान श्रीकृष्ण अवतार लेंगे। इस विचार से वे भावविभोर हो गए और उन्होंने अपना भार अत्यधिक बढ़ा लिया।

 

ब्रजभूमि में स्थायी रूप से विराजे गोवर्धन महाराज

पुलस्त्य ऋषि बढ़ते भार से थक गए और विश्राम के लिए उन्होंने गोवर्धन पर्वत को ब्रजभूमि में रख दिया। जैसे ही वे पर्वत को नीचे रखा, गोवर्धन महाराज वहीं स्थायी रूप से स्थापित हो गए। जब ऋषि ने उन्हें दोबारा उठाने की कोशिश की, तो वे असफल रहे। तभी से यह पर्वत ब्रजभूमि का अभिन्न हिस्सा बन गया और “गोवर्धन महाराज” कहलाने लगे।

 

गोवर्धन पूजा का धार्मिक महत्व

गोवर्धन पूजा का अर्थ केवल पर्वत की आराधना नहीं, बल्कि प्रकृति, गौ-सेवा और जीवन के संतुलन की आराधना है। श्रीकृष्ण ने इस दिन इंद्र देव की जगह गोवर्धन की पूजा करके यह संदेश दिया था कि हमें प्रकृति और जीवों के प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए। इस पूजा से जीवन में समृद्धि, सुख और शांति की प्राप्ति होती है।

 

कलयुग में गोवर्धन महाराज की पूजा का महत्व

धार्मिक ग्रंथों में वर्णन है कि कलयुग में गोवर्धन महाराज की पूजा से पापों का नाश होता है और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो भक्त कार्तिक प्रतिपदा के दिन श्रद्धा से गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं, उनके सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।

 

गोवर्धन पूजा से जुड़ी परंपराएं

इस दिन भक्त गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाते हैं और उस पर फूल, अनाज और मिठाई अर्पित करते हैं। इसे “अन्नकूट” भी कहा जाता है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण को 56 प्रकार के व्यंजन (छप्पन भोग) अर्पित किए जाते हैं। पूरे ब्रजमंडल में भक्ति संगीत, भजन और परिक्रमा का आयोजन होता है।

 

गोवर्धन पूजा का संदेश

गोवर्धन महाराज की कथा हमें यह सिखाती है कि सच्ची भक्ति केवल पूजा में नहीं, बल्कि प्रकृति और समाज के प्रति समर्पण में है। यह पर्व हमें अपने कर्म, श्रद्धा और दया के माध्यम से भगवान के प्रति आस्था प्रकट करने की प्रेरणा देता है।

 

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iPhone 17 की रिकॉर्ड तोड़ बिक्री से एप्पल का मार्केट कैप 4 ट्रिलियन डॉलर के करीब

एप्पल के नए फ्लैगशिप iPhone 17 सीरीज ने बाजार में धमाकेदार शुरुआत की है। जबरदस्त बिक्री और कस्टमर रिस्पॉन्स के चलते कंपनी का मार्केट कैप अब 3.9 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। यह आंकड़ा एप्पल को दुनिया की दूसरी सबसे वैल्यूएबल कंपनी के रूप में स्थापित करता है, जो सिर्फ Nvidia से पीछे है।

 

शेयर में आया उछाल, मार्केट कैप 4 ट्रिलियन के करीब

हाल ही के ट्रेडिंग सेशन में एप्पल के शेयर में 3.94% की बढ़ोतरी हुई और यह 262.24 डॉलर पर बंद हुआ। इस उछाल के चलते एप्पल का मार्केट कैपिटलाइजेशन 3.9 ट्रिलियन डॉलर पहुंच गया। वहीं, Nvidia अभी भी 4.44 ट्रिलियन डॉलर के मार्केट कैप के साथ पहले स्थान पर बनी हुई है।

 

iPhone 17 की जबरदस्त बिक्री बनी वजह

काउंटरपॉइंट रिसर्च के ताजा आंकड़ों के अनुसार, iPhone 17 सीरीज की शुरुआती बिक्री ने अपने पिछले वर्जन iPhone 16 को पीछे छोड़ दिया है। लॉन्च के पहले ही हफ्ते में इस फोन की डिमांड ने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, खासकर अमेरिका, चीन और भारत जैसे बाजारों में।

 

भारत से लेकर चीन तक दिखा iPhone 17 का क्रेज

भारत में iPhone 17 की लॉन्चिंग के बाद Apple स्टोर्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर रिकॉर्ड प्री-ऑर्डर देखने को मिले। चीन में भी यह फोन ग्राहकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। टेक एनालिस्ट्स का मानना है कि Apple ने इस बार अपने डिज़ाइन और परफॉर्मेंस दोनों में बड़ा सुधार किया है, जिससे लोगों में नया उत्साह देखने को मिल रहा है।

 

बेहतर फीचर्स और डिज़ाइन ने जीता यूज़र्स का दिल

iPhone 17 में Apple ने खास फीचर्स जैसे A19 Bionic चिप, Titanium फ्रेम, और Ultra Dynamic Camera Sensor पेश किया है। इसके अलावा बैटरी बैकअप और चार्जिंग स्पीड में भी सुधार किया गया है। यूज़र्स के मुताबिक, यह अब तक का सबसे परफॉर्मेंस-फोकस्ड iPhone है।

 

विशेषज्ञों की राय – iPhone 17 एप्पल के लिए ‘गेमचेंजर’

मार्केट एनालिस्ट्स का कहना है कि iPhone 17 सीरीज Apple के लिए “गेमचेंजर” साबित हो सकती है। कंपनी के लगातार इनोवेशन, प्रीमियम डिज़ाइन और मजबूत यूज़र बेस के कारण आने वाले महीनों में भी बिक्री बढ़ने की उम्मीद है।

 

एप्पल की रणनीति – AI और हार्डवेयर पर बड़ा फोकस

Apple अब AI और ऑगमेंटेड रियलिटी को लेकर अपनी रणनीति को और मजबूत कर रहा है। iPhone 17 में कई ऐसे AI-आधारित फीचर्स दिए गए हैं जो यूज़र एक्सपीरियंस को और बेहतर बनाते हैं। यही कारण है कि कंपनी का भविष्य निवेशकों को बेहद आशाजनक दिख रहा है।

 

निवेशकों का भरोसा बढ़ा, स्टॉक ने रफ्तार पकड़ी

शेयर मार्केट में एप्पल के निवेशकों का विश्वास एक बार फिर लौट आया है। लगातार बढ़ते मुनाफे और बिक्री के आंकड़ों ने कंपनी के शेयरों को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर यह ट्रेंड जारी रहा तो एप्पल जल्द ही 4 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर सकती है।

 

निष्कर्ष: iPhone 17 ने फिर दिखाया एप्पल का जादू

iPhone 17 की सफलता ने साबित कर दिया है कि एप्पल अब भी टेक वर्ल्ड में सबसे भरोसेमंद ब्रांड है। शानदार बिक्री, दमदार फीचर्स और ग्लोबल डिमांड के चलते कंपनी ने एक बार फिर प्रतिस्पर्धियों को पीछे छोड़ दिया है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या एप्पल जल्द ही Nvidia को पछाड़कर दुनिया की सबसे वैल्यूएबल कंपनी बन जाएगी।

 

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गंभीर के नए दौर में रोहित शर्मा का अंत! टीम इंडिया में बड़े बदलाव के संकेत

भारतीय क्रिकेट टीम में एक नया अध्याय शुरू हो चुका है। रोहित शर्मा अब वनडे कप्तानी से हट चुके हैं, और उनकी जगह अब युवा खिलाड़ियों को मौका देने की दिशा में टीम प्रबंधन ने कदम बढ़ाया है। कोच गौतम गंभीर का ‘नया अंदाज़’ और चयन समिति की रणनीति इस बदलाव को और तेज़ करती दिख रही है।

 

एडिलेड ओवल पर बदले-बदले नजर आए रोहित शर्मा

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच दूसरे वनडे से पहले रोहित शर्मा एडिलेड ओवल के नेट्स पर सबसे पहले पहुंचे। उन्होंने हमेशा की तरह जमकर बल्लेबाज़ी की, लेकिन इस बार उनके चेहरे पर वही पुरानी मुस्कान नहीं थी। नेट्स सेशन खत्म होने के बाद वे मीडिया या फैंस से बातचीत किए बिना चुपचाप होटल लौट गए। यह नजारा देखकर फैंस के बीच चर्चा शुरू हो गई कि शायद रोहित अब अंदर से बदलाव को महसूस कर रहे हैं।

 

कोच गंभीर और चयनकर्ताओं की गुप्त बैठक

इसी दौरान टीम इंडिया के नए कोच गौतम गंभीर, मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर और चयन समिति सदस्य शिव सुंदर दास को युवा बल्लेबाज़ यशस्वी जायसवाल के साथ लंबी चर्चा करते देखा गया। सूत्रों के मुताबिक, यह बातचीत टीम की भविष्य की रणनीति पर केंद्रित थी, जहां युवा खिलाड़ियों को लगातार मौके देने की योजना पर बात हुई।

 

रोहित और जायसवाल के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा

वनडे टीम में शुभमन गिल पहले से ही मजबूत ओपनर बन चुके हैं, वहीं यशस्वी जायसवाल के हालिया प्रदर्शन ने चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा है। दोनों युवा बल्लेबाज़ों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ने से यह स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि टीम मैनेजमेंट भविष्य के लिए तैयारी कर रहा है — जिसमें रोहित शर्मा का रोल अब सीमित होता जा रहा है।

 

कप्तानी से हटना रोहित का फैसला नहीं था

रिपोर्टों के अनुसार, वनडे कप्तानी से रोहित शर्मा का हटना उनकी मर्ज़ी नहीं थी। चयन समिति और टीम प्रबंधन ने मिलकर यह फैसला लिया, ताकि 2027 वर्ल्ड कप को ध्यान में रखते हुए टीम को नया नेतृत्व मिल सके। रोहित खुद कप्तान बने रहना चाहते थे, लेकिन चयनकर्ताओं ने बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाने का मन बना लिया था।

 

गंभीर के ‘डिसिप्लिन’ वाले कोचिंग स्टाइल ने बढ़ाई सख्ती

गौतम गंभीर अपने सख्त और अनुशासनप्रिय रवैये के लिए जाने जाते हैं। कोच बनने के बाद से उन्होंने टीम में फिटनेस, फील्डिंग और मानसिक दृढ़ता पर जोर देना शुरू किया है। माना जा रहा है कि गंभीर युवा खिलाड़ियों को मौका देने के साथ-साथ टीम में नए ऊर्जा और सोच लाना चाहते हैं।

 

फैंस के बीच बढ़ी टेंशन – क्या खत्म हो रहा है ‘रोहित युग’?

रोहित शर्मा के प्रशंसक सोशल मीडिया पर लगातार सवाल कर रहे हैं कि क्या यह ‘रोहित युग’ का अंत है? कुछ फैंस मानते हैं कि रोहित को आराम देना सही कदम है, जबकि कई लोग इसे उनके योगदान की अनदेखी मान रहे हैं।

 

नए दौर की शुरुआत या बदलाव का दौर?

टीम इंडिया अब एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहां पुराने अनुभव और नई सोच के बीच संतुलन बनाना जरूरी है। गौतम गंभीर की कोचिंग और नए कप्तान की लीडरशिप में टीम इंडिया आने वाले महीनों में कई बदलावों से गुजर सकती है।

 

रोहित शर्मा भले ही कप्तानी की कुर्सी से हट चुके हों, लेकिन उनका अनुभव अब भी टीम के लिए अमूल्य रहेगा। वहीं, कोच गंभीर के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट का नया दौर शुरू हो चुका है, जिसका असर आने वाले मैचों में साफ दिखाई देगा।

 

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कानपुर में पड़ोसी की बर्बरता: अमरूद गिरने पर 7 साल के बच्चे को कुत्ते से कटवाया

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के कर्रही विश्व बैंक इलाके में 7 साल के मासूम बच्चे यश के साथ बेहद डरावनी घटना हुई। बच्चे ने खेल-खेल में पड़ोसी के घर की ओर एक अमरूद उछाला, जिसके बाद पड़ोसी अभिषेक कुशवाहा ने बर्बरता की सारी हदें पार कर दीं।

 

पड़ोसी की हैवानियत — बाल पकड़कर पीटा और कुत्ते से कटवाया

सूत्रों के मुताबिक, यश अपने घर के बाहर बच्चों के साथ खेल रहा था। खेल-खेल में गिरा अमरूद पड़ोसी के घर में चला गया। इस मामूली बात पर अभिषेक कुशवाहा ने अपना आपा खो दिया। उन्होंने बच्चे के बाल खींचकर उसे जबरन अपने घर में ले जाकर पीटा। पीट-पीट कर भी जब उनका मन नहीं भरा, तो उन्होंने बच्चे को अपने पालतू कुत्ते से कटवाया।

 

स्थानीय लोगों का गुस्सा और पुलिस में शिकायत

बच्चे की चीखें सुनकर आस-पड़ोस के लोग दौड़े, लेकिन आरोपी ने उनके साथ भी गाली-गलौज और अभद्रता की। गुस्साए स्थानीय लोग बच्चा लेकर बर्रा थाने पहुंचे और पुलिस से आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। बच्चे की मां स्वाति ने इस घटना की शिकायत दर्ज करवाई है।

 

बच्चे और परिवार की स्थिति

पीड़ित बच्चा यश और उसकी मां किराए के मकान में रहते हैं। पड़ोसी की इस बर्बर हरकत से परिवार और आसपास के लोग भयभीत हैं। बच्चे की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई जा रही है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

 

सामाजिक और कानूनी पहलू

इस घटना ने न केवल कानपुर बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में लोगों में आक्रोश पैदा किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों के साथ ऐसी हिंसा को रोकने के लिए सख्त कानून और जागरूकता जरूरी है। पुलिस और प्रशासन से अपील की जा रही है कि आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

 

कानपुर की यह घटना बच्चों की सुरक्षा और पड़ोसी-संबंधों की संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल उठाती है। खेल-खेल में हुई मामूली हरकत पर इतनी बर्बरता दर्शाती है कि समाज में नाबालिगों के प्रति जागरूकता और संरक्षण की कितनी आवश्यकता है। पुलिस से उम्मीद की जा रही है कि आरोपी के खिलाफ उचित कार्रवाई करके बच्चे और अन्य निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।

 

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बिहार चुनाव 2025: लालू यादव की सियासी यात्रा — सिपाही से मुख्यमंत्री तक का सफर

लालू प्रसाद यादव का जन्म बिहार के गोपालगंज जिले के फुलवरिया गांव में 1948 में एक साधारण परिवार में हुआ। बचपन में उनका सपना बस सरकारी नौकरी पाना था। छात्र राजनीति में सक्रिय रहने के बावजूद लालू का मन पुलिस की वर्दी पहनने में लगा रहा। उन्होंने बिहार पुलिस में कांस्टेबल बनने की तैयारी की और पुलिस भर्ती परीक्षा में शामिल हुए। हालांकि, भाग्य ने उन्हें राजनीति की राह पर खींच लिया।

 

राजनीतिक दुनिया में कदम — नरेंद्र सिंह का योगदान

लालू यादव के छात्र जीवन के दौरान सोशलिस्ट नेता श्रीकृष्ण सिंह के बेटे, नरेंद्र सिंह ने उन्हें राजनीति की दिशा दी। उन्होंने लालू को सोशलिस्ट पार्टी की छात्र शाखा में नियुक्त किया। बीएन कॉलेज, पटना विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान लालू की भीड़ जुटाने और लोगों को समझाने की कला ने उन्हें जल्दी ही नेतृत्व क्षमता दी। हालांकि, उस दिन लालू सभा में शामिल होने की बजाय पुलिस भर्ती परीक्षा देने चले गए।

 

लोकसभा और बिहार विधानसभा तक का सफर

1977 में मात्र 29 वर्ष की उम्र में लालू यादव जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा सांसद बने। इसके बाद 1980 और 1985 में बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए। 1989 में उन्हें विपक्ष का नेता बनाया गया और 1990 में उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। मुख्यमंत्री बनने के बाद लालू यादव दलितों, पिछड़ों और गरीबों की आवाज़ बन गए।

 

सियासी अनोखी शैली और जनता से जुड़ाव

लालू यादव की राजनीति का सबसे बड़ा आकर्षण उनकी बेबाक शैली, हास्य और संवाद कौशल था। उन्होंने पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की पैरवी की और बिहार की राजनीतिक और सामाजिक संरचना को बदलने का प्रयास किया। जनता में उनकी लोकप्रियता कभी कम नहीं हुई।

 

विवाद और चुनौती — चारा घोटाला

लालू यादव के करियर में विवाद भी आए। सबसे प्रमुख था चारा घोटाला, जिसमें उन्हें सजा भी हुई। इसके बावजूद उनकी लोकप्रियता और जनता से जुड़ाव पर कोई असर नहीं पड़ा। लालू ने अपने आलोचकों और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को भी बेबाक अंदाज में जवाब दिया।

 

अनजानी घटनाएं और किस्से

मुख्यमंत्री रहते हुए लालू यादव ने कई चौंकाने वाले फैसले लिए। एक बार उन्होंने अपने गुरु कर्पूरी ठाकुर को जीप देने से मना कर दिया। इसी तरह मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन के साथ उनका विवाद भी चर्चा में रहा, जहां उन्होंने शेषन को ‘पागल सांड’ कहकर संबोधित किया। ऐसे किस्से लालू की अनोखी सियासी शैली और जनता के साथ उनके जुड़ाव को दर्शाते हैं।

 

परिवार का राजनीतिक योगदान

लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी भी बिहार की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। उनके परिवार का राजनीतिक प्रभाव और शक्ति बिहार की राजनीति में आज भी महत्वपूर्ण है। लालू और उनका परिवार पिछड़ों और गरीबों के हित में सियासी लड़ाई में लगातार सक्रिय रहे हैं।

साधारण ग्रामीण परिवार से निकलकर बिहार के मुख्यमंत्री और देश की राजनीति में एक बड़ा चेहरा बनने वाले लालू यादव का सफर प्रेरणादायक है। उनकी अनोखी शैली, जनता से जुड़ाव और पिछड़ों के हित में किए गए प्रयास उन्हें बिहार और भारत की राजनीति में एक अलग पहचान देते हैं। बिहार चुनाव 2025 में लालू यादव और उनके परिवार का प्रभाव आज भी व्यापक रूप से देखा जा रहा है।

 

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बांग्लादेश: पाकिस्तान-प्रायोजित ‘Islamic Revolutionary Army’ का दावा — 7 कैंप, 8,850 भर्तियाँ, भारत को सबसे बड़ा टारगेट

आईएएनएस की रिपोर्ट और अंतरिम सरकार के एक वरिष्ठ सलाहकार के अनुसार बांग्लादेश में इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी आर्मी (IRA) के गठन का पहला चरण चल रहा है। सोशल मीडिया पर हुए खुलासे में कहा गया है कि करीब 7 कैंपों में कुल 8,850 व्यक्तियों की भर्ती कर उन्हें मार्शल आर्ट, हथियार प्रशिक्षण, ताइक्वोंडो और जूडो जैसी ट्रेनिंग दी जा रही है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इस पहल के पीछे जमात-ए-इस्लामी और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का प्रभाव है।

 

IRA की संरचना और मकसद — रिपोर्ट क्या बताती है?

सूत्रों के मुताबिक IRA को ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) की तर्ज पर तैयार किया जा रहा है — यानी एक संगठित, कट्टरपंथी और विचारधारात्मक रूप से प्रेरित संस्था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका उद्देश्य बांग्लादेश में धार्मिक शासन-व्यवस्था को बढ़ावा देना और ‘मोरल पुलिसिंग’ जैसे नियंत्रण लागू करना हो सकता है। साथ ही दस्तावेज़ों और बयानों के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि बड़ा लक्ष्य पड़ोसी भारत होगा।

 

कौन कर रहा है प्रशिक्षण — किस तरह के अधिकारी शामिल हैं?

रिपोर्ट में बताया गया है कि इन प्रशिक्षण कैंपों में रिटायर्ड सेना के अधिकारी ट्रेनर के रूप में जुड़े हुए हैं जिनके झुकाव पाकिस्तान समर्थक बताए जा रहे हैं। ऐसे में सुरक्षा विशेषज्ञ इस तरह की ट्रेनिंग और स्थानीय सैन्य संरचना के संभावित प्रभावों पर चिंता जता रहे हैं। कथित तौर पर आगे और कैंप खोलने की योजना भी मौजूद है, जिससे दीर्घकालिक रणनीतिक खतरों का हवाला दिया जा रहा है।

 

राजनीतिक बयान और उग्रवादियों के कथन

रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह भी कहा गया है कि जमात-ए-इस्लामी के कुछ नेतागण खुले तौर पर भारत विरोधी रुझान दिखा चुके हैं। उदाहरण के तौर पर न्यूयॉर्क में दिए गए बयानों का जिक्र किया गया, जिनमें जमात के उग्र समूहों द्वारा भारत में ‘गुरिल्ला’ या भीतर फैलने के इरादों का उल्लेख मिलता है। हालांकि ऐसे बयानों को अक्सर राजनीतिक बिगाड़ और उकसाव दोनों संदर्भों में देखा जाता है।

 

क्षेत्रीय सुरक्षा पर असर — भारत और पड़ोसी देशों के लिए चिंताएँ

यदि रिपोर्ट की बातें सही हैं तो IRA के गठन से सीमा-नियंत्रण, आतंकवाद निरोध, और क्षेत्रीय अस्थिरता के मामलों पर नये दबाव बन सकते हैं। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने भी हाल के महीनों में बांग्लादेश में बढ़ते प्रभाव और कट्टरपंथी गतिविधियों पर सतर्कता बरती है। किसी भी नए सशस्त्र समूह के उभरने से मानवीय, राजनीतिक और कूटनीतिक चुनौतियाँ बढ़ सकती हैं।

 

सतर्कता के साथ-कितनी हद तक विश्वसनीय है रिपोर्ट?

यह रिपोर्ट अंतरिम सरकार के एक सलाहकार के खुलासे पर आधारित है और कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। परन्तु इन दावों की स्वतंत्र और तटस्थ जांच आवश्यक है। ऐसे वक्त में अंतरराष्ट्रीय निगरानी, खुफिया पुनर्मूल्यांकन और क्षेत्रीय कूटनीति महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। पाठकों को चाहिए कि वे इस तरह की संवेदनशील खबरों को आधिकारिक बयानों और विश्वसनीय स्रोतों के क्रॉस-चेक के साथ देखें।

 

आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश में कथित रूप से पाक-समर्थित IRA का गठन चिंता का विषय है — 7 कैंपों में 8,850 भर्तियाँ और भारत को प्रमुख लक्ष्य बताना क्षेत्रीय शांति के लिहाज से गंभीर है। हालांकि इस तरह के आरोपों की पुष्टि के लिए स्वतंत्र जांच और आधिकारिक स्पष्टिकरण की आवश्यकता है। वर्तमान में मामले पर कूटनीतिक सतर्कता और सुरक्षा तैयारियाँ बढ़ना स्वाभाविक प्रतीत होती हैं।

 

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Chhath Puja 2025: तारीखें, कैलेंडर और सूर्य देव को अर्घ्य देने का महत्व

छठ पूजा सूर्य भगवान की उपासना से जुड़ा प्रमुख हिन्दू पर्व है, जो कार्तिक मास की अमावस्या यानी दिवाली के पंचमहापर्व के बाद मनाया जाता है। यह पर्व न केवल सूर्य देवता की आराधना के लिए है, बल्कि छठी मैया की साधना और आशीर्वाद के लिए भी समर्पित होता है। इस साल छठ पूजा 25 अक्टूबर 2025 से शुरू होकर 28 अक्टूबर 2025 को समाप्त होगी।

 

छठ पूजा 2025 का पूरा कैलेंडर

इस साल छठ पूजा निम्नलिखित तारीखों और गतिविधियों के अनुसार मनाई जाएगी:

  • 25 अक्टूबर 2025, शनिवार: नहाय-खाय – व्रती इस दिन विशेष रूप से लौकी भात का सेवन करेंगे और व्रत की शुरुआत करेंगे।
  • 26 अक्टूबर 2025, रविवार: लोहंडा/खरना – लोग संध्याकाल स्नान और ध्यान के बाद दीपक जलाकर पूजा करते हैं।
  • 27 अक्टूबर 2025, सोमवार: संध्याकालीन अर्घ्य – इस दिन सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाएगा।
  • 28 अक्टूबर 2025, मंगलवार: प्रातःकालीन अर्घ्य – उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन किया जाएगा।

 

नहाय-खाय: व्रत की शुरुआत

छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय कहलाता है। इस दिन व्रती स्वच्छ जल में स्नान करते हैं और उपवास का प्रारंभ करते हैं। इस दिन का मुख्य भोजन लौकी भात होता है। इसका धार्मिक महत्व है कि इससे व्रती शुद्ध होते हैं और पूरे वर्ष स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

 

खरना: व्रत का दूसरा दिन

छठ पूजा का दूसरा दिन खरना कहलाता है। इस दिन व्रती संध्याकाल स्नान और ध्यान के बाद लोहंडा तैयार करते हैं और उसे भगवान भास्कर को अर्पित करते हैं। यह दिन व्रती की भक्ति और तपस्या का प्रतीक है। खरना के दौरान सूर्य देवता और छठी मैया की आराधना की जाती है।

 

संध्याकालीन और प्रातःकालीन अर्घ्य

छठ पूजा का तीसरा दिन व चौथा दिन सूर्य भगवान को अर्घ्य देने के लिए समर्पित होता है। तीसरे दिन यानी 27 अक्टूबर को संध्याकालीन अर्घ्य और चौथे दिन यानी 28 अक्टूबर को प्रातःकालीन अर्घ्य दिया जाएगा। व्रती इन दोनों अवसरों पर जलाशयों में जाकर सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस दिन की पूजा का उद्देश्य जीवन में सुख, समृद्धि और कष्टों से मुक्ति प्राप्त करना होता है।

 

छठ पूजा का धार्मिक और सामाजिक महत्व

छठ पूजा सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह समाज में मेलजोल, भाईचारा और सामूहिक भक्ति का संदेश भी देती है। व्रती इस पर्व में संयम, तपस्या और श्रद्धा के साथ सूर्य भगवान और छठी मैया की उपासना करते हैं। यह पर्व जीवन के हर क्षेत्र में आशीर्वाद, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है।

छठ पूजा 2025 का महापर्व 25 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 28 अक्टूबर तक चलेगा। नहाय-खाय, खरना, संध्याकालीन और प्रातःकालीन अर्घ्य के साथ यह पर्व लोगों के लिए धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस समय व्रती सूर्य भगवान और छठी मैया की कृपा के लिए पूरी श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना करते हैं और पूरे साल उनके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

 

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Gujarati New Year 2025: गुजराती विक्रम संवत 2082 की शुरुआत और परंपराएं

आज कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा के दिन गुजराती नववर्ष 2025 (विक्रम संवत 2082) की शुरुआत हुई। इसे गोवर्धन पूजा या अन्नकूट के दिन भी मनाया जाता है। दिवाली के बाद यह दिन गुजरात में विशेष महत्व रखता है और इसे लोग धूमधाम से मनाते हैं। गुजराती नववर्ष को बेस्टु वरस या वर्ष प्रतिपदा के नाम से भी जाना जाता है।

 

चोपड़ा पूजन का महत्व

गुजराती नववर्ष को चोपड़ा पूजन के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन व्यापारी अपने पुराने खातों को बंद करके नए खाता बुक की पूजा करते हैं। इसे धन की देवी मां लक्ष्मी के सम्मुख रखकर किया जाता है। यह पूजन गुजरातियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि उनका मानना है कि इससे पूरे वर्ष माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और उनका कारोबार फल-फूलता है।

 

शुभ चिन्ह और मंगल प्रतीक

चोपड़ा पूजन के दौरान लोग अपने बही खाता पर शुभ चिन्ह या मंगल प्रतीक बनाते हैं। इसका उद्देश्य पूरे साल वित्तीय लाभ और कारोबार में वृद्धि सुनिश्चित करना होता है। इस साल गुजराती नववर्ष 22 अक्टूबर, बुधवार को पड़ रहा है और यह दिन भगवान गणेश को समर्पित है, जो शुभ और लाभ के देवता माने जाते हैं।

 

गुजराती नववर्ष से जुड़ी लोक परंपराएं

गुजरात में गुजराती नववर्ष का पहला दिन बेहद खास होता है। लोग नए कपड़े पहनकर अपने घर और कार्यस्थल पर पूजा करते हैं और अपने परिवार तथा दोस्तों को शुभकामनाएं देते हैं। घरों को मंगल प्रतीकों से सजाया जाता है और विभिन्न पारंपरिक पकवान बनते हैं। इस दिन खुशियों और समृद्धि की कामना के लिए लोग विशेष रूप से सजावट और उत्सव मनाते हैं।

 

गोवर्धन पूजा और अन्नकूट

गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का आयोजन भी इसी दिन होता है। घरों और मंदिरों में अन्नकूट (खाद्य सामग्री का ढेर) लगाया जाता है और भगवान को अर्पित किया जाता है। इसे विशेष रूप से किसान और व्यापारी वर्ग मनाते हैं। अन्नकूट पूजा से समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।

 

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

गुजराती नववर्ष केवल एक पारंपरिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह समाज और संस्कृति के महत्व को भी दर्शाता है। यह दिन नई शुरुआत, खुशियों और सामाजिक मेलजोल का प्रतीक माना जाता है। व्यापारी वर्ग के लिए यह दिन नए कारोबारी वर्ष की शुरुआत का शुभ अवसर है, जबकि आम लोग इसे परिवार और दोस्तों के साथ खुशियां बांटने का दिन मानते हैं।

गुजराती नववर्ष 2025 का प्रारंभ आज गोवर्धन पूजा और चोपड़ा पूजन के साथ हुआ। यह दिन गुजरातियों के लिए धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। दिवाली के बाद इस दिन का उत्सव परिवार, दोस्त और समाज के बीच सुख-समृद्धि और खुशियों का संदेश लेकर आता है।

 

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