वर्तमान में भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव कम होते-बढ़ते महसूस हो रहे हैं, विशेषकर जब से अमेरिका ने भारत पर अतिरिक्त 25% पेनल्टी टैरिफ लगाया है। इस टैरिफ को इसलिए लगाया गया था क्योंकि अमेरिका ने देखा कि भारत ने रूस से तेल खरीदा है, जिसकी वजह से वॉशिंगटन ने अपनी नीतियों के अनुरूप व्यापारिक दबाव बढ़ाया। इस पेनल्टी के कारण भारत के निर्यातक प्रभावित हुए हैं, और बाजारों में असमंजस और निवेश की धारणा में गिरावट आई है।
हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने संकेत दिए हैं कि यह टैरिफ जल्द ही हटाया जा सकता है। उन्होंने यह विश्वास भी जताया है कि यदि नीतिगत एवं राजनीतिक इच्छाशक्ति रही, तो आने वाले कुछ महीनों में इस पेनल्टी टैरिफ पर काम हो सकता है। शहर कोलकाता में उन्होंने कहा कि यह बदलाव सिर्फ राहत देने वाला नहीं, बल्कि व्यापारिक संबंधों को सुधारने वाला कदम होगा। इस खबर ने स्टॉक्स को भी प्रभावित किया—निफ्टी-50 जैसे सूचकांक में बढ़त दर्ज की गई क्योंकि निवेशकों ने अनुमान लगाया कि टैरिफ कम होने से निर्यात क्षेत्र में सुधार होगा।
इस वार्ता का महत्व इसलिए बढ़ गया क्योंकि इस टैरिफ ने भारत-USA व्यापार संतुलन पर असर डाला है। भारत के निर्यात वस्तुओं की लागत बढ़ गई है, अमेरिकी बाज़ार में प्रतिस्पर्धा में भारत की पकड़ कमजोर हुई है, और कुछ उद्योगों को नुकसान हुआ है। इस तरह की स्थिति ने व्यापारिक समुदाय, निर्यातकों और सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित किया है।
टैरिफ में कमी की उम्मीद ने उद्योग जगत और निर्यातकों में सकारात्मक उत्साह भर दिया है। अगर यह अतिरिक्त 25% पेनल्टी टैरिफ हटा दी जाती है, तो भारत के कई उद्योगों को राहत मिलेगी—खासतौर पर टेक्सटाइल, फार्मा, रासायनिक उत्पाद और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर। इन क्षेत्रों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी क्योंकि लागत कम होगी और उत्पादों को अमेरिका तक सस्ता पहुँचाने का मार्ग आसान होगा।
इसके अलावा, निर्यातकों ने कहा है कि पुरानी ऑर्डर या अनुबंध जिनसे अभी तक लागत दरों में बदलाव नहीं हुआ है, उन पर तुरंत असर नहीं पड़ेगा, लेकिन भविष्य की संभावनाएँ बेहतर होंगी। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि लॉजिस्टिक्स, सप्लाई चेन और निर्यातकों के लिए लागत दबाव (जैसे कच्चे माल, ट्रांसपोर्टेशन, विदेशी मुद्रा दर) भी नियंत्रित हों, ताकि कम टैरिफ का पूरा लाभ मिल सके।
लेकिन चुनौतियाँ भी बड़ी हैं। अमेरिका की नीति में स्थिरता नहीं है—राजनीतिक बदलाव, विदेश नीति के दबाव, रूस के साथ संबंध आदि कारकों से टैरिफ नीति अचानक बदल सकती है। भारत को सुनिश्चित करना होगा कि वार्ता में टैरिफ कमी के साथ-साथ निर्यात-उद्योगों की सुरक्षा हो, खासकर उन उत्पादों के लिए जिनकी निर्यात निर्भरता अधिक है। इसके अलावा, भारत को अमेरिकी मांगों—जैसे कृषि एवं डेयरी सेक्टर खोलने, कुछ कानूनी मानदंडों में छूट देने आदि—के मद्देनज़र अपनी सीमाएँ तय करनी होंगी।
भारत-यूएस व्यापार समझौतों के इतिहास में इस तरह की तनावपूर्ण स्थितियाँ नहीं नई हैं, लेकिन पिछली बार जब टैरिफ या व्यापार बाधाएँ बढ़ीं, तब बहुत समय लगा था उन्हें हटाने में। इस बार यह देखा जा रहा है कि क्या दोनों देशों के बीच बातचीत में यह इच्छाशक्ति है कि सिर्फ घोषणाएँ हों या वास्तविक कार्रवाई हो। भारत की सरकार और व्यापारिक प्रतिनिधियों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों, WTO के प्रावधानों, और घरेलू हितों के बीच संतुलन बनाने की चुनौती है।
अंततः, यदि इस पेनल्टी टैरिफ को हटा लिया गया, तो यह कदम दोनों देशों के संबंधों में एक महत्वपूर्ण सुधार होगा। इससे व्यापारिक भरोसा बढ़ेगा, अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की हिस्सेदारी मजबूत होगी, और भारतीय अर्थव्यवस्था को निर्यात-क्षेत्र में एक झटका लगेगा जो उसे तेजी से बढ़ने में मदद करेगा। लेकिन इसे लागू करने में समय लगेगा, और वार्ता के ज़रिए दोनों पक्षों को संतुलन और पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी।
विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 के मेन्स जेवलिन थ्रो में दो दिग्गजों की भिड़ंत की तैयारियाँ पूरी हो चुकी हैं। भारत के नीरज चोपड़ा, जो वर्तमान विश्व चैम्पियन हैं, और पाकिस्तान के ओलिंपिक चैम्पियन अरशद नदीम, दोनों ने क्वालीफाइंग राउंड में शानदार प्रदर्शन कर फाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली है। नरमगर्मी वाले माहौल और उत्साहित दर्शकों के बीच यह मुकाबला न सिर्फ़ भारत-पाकिस्तान के बीच की पारंपरिक प्रतिद्वंद्विता को और ताज़ा करेगा, बल्कि जेवलिन थ्रो की दुनिया का सर्वोत्तम प्रदर्शन देखने को मिलेगा। नीरज ने क्वालीफायर में पहले थ्रो में 84.85 मीटर की दूरी सेAutomatic क्वालीफिकेशन (84.50m स्तर) पास कर ली; दूसरी ओर अरशद को क्वालीफाइंग में अंतिम थ्रो में 85.28 मीटर से सफलता मिली। तीसरे भारतीय, सचिन यादव ने 83.67 मीटर की दूरी से टॉप-12 में आकर फाइनल में प्रवेश किया, जबकि रोहित यादव और यशवीर सिंह क्वालीफाइंग में पिछड़ गए।
यह मुकाबला टोक्यो के उसी स्टेडियम में होगा जहाँ नीरज ने अपने ओलिंपिक स्वर्ण पदक की शुरुआत की थी। इस बार नीरज के लिए यह मौका है कि वह विश्व चैम्पियनशिप में लगातार दूसरा स्वर्ण पदक जीते। इतिहास में अभी तक सिर्फ़ कुछ ही पुरुष जेवलिन थ्रो खिलाड़ी ये कारनामा कर पाए हैं—जैसे कि Jan Zelezny और Anderson Peters। अरशद नदीम के लिए यह मुकाबला है कि वह ओलिंपिक से प्राप्त स्वर्ण के बाद विश्व स्तर पर अपनी क्षमता को एक और बड़े मंच पर साबित कर सकें। फाइनल की घटना शाम के सत्र में होगी, जहाँ दुनिया भर के दर्शक टेलीविजन और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से लाइव देख सकेंगे कि कौन सी गति और किस थ्रो-तकनीक से यह प्रतियोगिता तय होगी।
नीरज चोपड़ा की क्वालीफाइंग में प्रथम थ्रो में सफलता यह दिखाती है कि उन्होंने तैयारी अच्छी की है और मानसिक रूप से स्थिर हैं। उनका अनुभव, विशेष तौर पर बड़े मुकाबलों में स्थिर प्रदर्शन देना, उनकी बड़ी ताकत है। नीरज का पहला थ्रो ही पर्याप्त था, यह संकेत है कि उन्होंने अपनी थ्रो-रन-अप, तकनीक, एवं फॉर्म को अच्छी तरह से संतुलित रखा है। इसके विपरीत, अरशद नदीम को क्वालीफाइंग में तीन थ्रो लेने पड़े; पहले दो इसमें उनसे अपेक्षित दूरी नहीं मिली लेकिन तीसरे थ्रो ने उन्हें फाइनल में भेजा। यह संघर्ष अरशद की लड़ाकू भावना और दबाव में सामर्थ्य को दिखाता है।
सचिन यादव की उपस्थिति भी भारत के लिए गर्व की बात है। उन्होंने दुनिया की चुनिंदा थ्रोअर्स के बीच टॉप-12 में जगह बनाई है और यह उनके करियर के लिए सीमित नहीं बल्कि बड़ी उपलब्धि है। हालांकि फाइनल में उनके थ्रो की लंबाई और प्रदर्शन की तुलना में नीरज और अरशद पर अधिक टिप्पणियाँ होंगी। लेकिन उनके लिए यह एक सुनहरा अवसर है कि वे इस मंच पर खुद को और बेहतर थ्रोअर के रूप में स्थापित करें।
दूसरी ओर, अन्य प्रतियोगी जैसे Julian Weber, Anderson Peters, Julius Yego आदि भी खतरनाक दावेदार हैं। ये वो खिलाड़ी हैं जो लीडरबोर्ड में ऊपर हैं और थ्रो दूरी की रफ्तार, हवा का असर, थ्रो के दौरान गति और रिलीज प्वाइंट जैसे तकनीकी पहलुओं पर नियंत्रण कर सकते हैं। फाइनल में मौसम, स्टेडियम की स्थितियाँ और दर्शकों का दबाव भी मायने रखेगा। दोनों खिलाड़ी, नीरज और अरशद, इन बाहरी तत्वों को नियंत्रित करने में सक्षम होंगे कि नहीं, यह फाइनल का परिणाम तय करेगा।
झारखंड के गिरिडीह जिले में पलमरुआ गांव की सड़क ने इस दिन एक दर्दनाक दृश्य देखा, जिसने पूरे इलाके को सुस्ती में ला दिया। एक मवेशी लदे पिकअप वैन ने दो-वर्ष के मासूम गुलाबचंद कनिया (नाम संभाल कर लिया गया है) को रौंद दिया, जो पलमरुआ का निवासी था। घटना उसी लोकल नयनपुर मुख्य मार्ग पर हुई, जहाँ यह वैन तेज रफ्तार में थी। जैसे ही परिवार और स्थानीय लोगों को ये हादसा पता चला, गुस्साए ग्रामीणों ने सड़क जाम कर दिया। सड़क पर दोनों दिशाओं में गाड़ियाँ रुकी रहीं और यातायात पूरी तरह बाधित हो गया। इस जाम की वजह से लगभग आठ घंटे तक आवाजाही ठप्प रही।
मृतक बच्चे को रौंदे जाने के बाद ग्रामीणों का गुस्सा फ़ूट पड़ा। दुर्घटना स्थल पर मौजूद लोग कहते हैं कि यह रास्ता अक्सर मवेशियों लदे वाहनों के लिए उपयोग होता है, लेकिन तेज रफ्तार और नियमों की अनदेखी आम बात है। इस घटना के बाद ग्रामीणों ने जिस पिकअप वैन के ड्राइवर को दबोचने की कोशिश की, उसे पुलिस ने मौके से हिरासत में लिया। घटना की खबर फैलते ही तीसरी थाना प्रभारी, नयनपुर थाना प्रभारी समेत अन्य पुलिस अधिकारी मौके पर पहुँचे। फिर परिवार वालों और आक्रोशित ग्रामीणों ने मासूम का शव सड़क पर रखकर जाम लगा दिया ताकि प्रशासन गंभीर हो और न्याय की बात हो।
परिवार वालों की भी चीखों और रोने-धोने से पूरा माहौल भारी हो गया। माँ-बाप अपने बचपन की हँसी-खेल और गुड़-गुड़ की मुस्कान याद करते रहे, जबकि गाँव में मातम की चादर फैल गई। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और स्थानीय प्रशासन ने मामला शांतिपूर्वक सुलझाने का प्रयास किया। एसडीपीओ राजेंद्र प्रसाद ने मौके पर आकर आश्वासन दिया कि मामले की जांच होगी और दोषियों को सज़ा मिलेगी। लेकिन ग्रामीणों में यह चिंता बनी कि कितनी देर में न्याय मिलेगा और क्या ऐसे हादसे आगे नहीं होंगे।
इस घटना ने एक बार फिर सड़क सुरक्षा और वाहनों की गति नियंत्रण जैसे विषयों को ताज़ा कर दिया। ग्रामीणों का कहना है कि मवेशियों लदे वाहनों की संख्या इस मार्ग पर दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है और उनके ड्राइवर अक्सर गति सीमा की अनदेखी करते हैं। बच्चों और बुज़ुर्गों के चलते गांव की सड़कें जीवन के लिए जोखिम बन चुकी हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या सरकार या स्थानीय प्रशासन ने कभी इस मार्ग की नियमित निगरानी या सड़क की मरम्मत के बारे में सोचा है।
प्रशासन की चुनौती यह है कि दुर्घटनाओं के बाद सिर्फ़ आश्वासन देना ही पर्याप्त नहीं है। सड़क की गुणवत्ता, मार्ग की चौड़ाई, गति नियंत्रण के संकेत, यातायात नियंत्रण और पुलिस की त्वरित प्रत्युत्तर व्यवस्था सभी सुधार की मांगें हैं। इस पूरे घटना ने यह भी दिखाया कि जब न्याय की उम्मीद टूटती है, तो आक्रोश सामाजिक रूप से व्यापक हो जाता है। स्थानीय लोगों ने कहा कि यदि पहले सड़क की मरम्मत होती और वाहन चालक को नियंत्रण में लाया जाता, तो शायद यह दुर्घटना न होती।
यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि मासूम ज़िंदगियों के लिए सड़क कितनी संवेदनशील जगह बन चुकी है। सुरक्षा नियमों का पालन, वाहन चालकों की जिम्मेदारी और प्रशासन की तत्परता—इन तीनों के बिना ऐसी घटनाएँ बार-बार दोहराई जाती रहेंगी। दोषियों को सज़ा मिलने से न्याय की आग बुझेगी नहीं, लेकिन यह कम से कम यह सुनिश्चित करेगा कि अन्य लोग सतर्क हों। पुलिस, प्रशासन और समाज—तीनों को मिलकर यह जिम्मेदारी निभानी होगी कि सड़कें सुरक्षा के लिहाज से सुरक्षित हों।
2025 में एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना घटित हो रही है, जिसे ‘षडाष्टक योग’ कहा जाता है। यह योग विशेष रूप से 20 सितंबर 2025 को शनि और मंगल के विशेष संयोग से बनेगा। षडाष्टक योग तब बनता है जब दो ग्रह एक-दूसरे से 6 और 8 राशियों की दूरी पर होते हैं, जिससे वे एक-दूसरे के छठे और आठवें भाव में होते हैं। यह योग सामान्यतः तनाव, मानसिक अशांति, और संघर्ष का संकेत देता है।
प्रभाव: इस समय व्यापार में सकारात्मक बदलाव की संभावना है। नए संपर्कों से लाभ मिल सकता है। शिक्षा और संतान से जुड़ी चिंताओं में कमी आएगी।
उपाय: मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करें और लाल रंग का दान करें।
प्रभाव: आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। नौकरी में पदोन्नति के योग बन रहे हैं। स्वास्थ्य में भी सुधार होगा।
उपाय: शुक्रवार को देवी लक्ष्मी की पूजा करें और सफेद वस्त्रों का दान करें।
प्रभाव: घर में वाहन या महंगी वस्तु की प्राप्ति हो सकती है। शिक्षा के क्षेत्र में नई जानकारी मिलेगी। परिवार से मिलन का अवसर मिलेगा।
उपाय: बुधवार को गणेश जी की पूजा करें और हरे रंग का दान करें।
प्रभाव: स्वास्थ्य में कुछ समस्याएं आ सकती हैं। परिवार में तनाव बढ़ सकता है। आर्थिक मामलों में सतर्कता बरतें।
उपाय: सोमवार को शिव जी की पूजा करें और सफेद वस्त्रों का दान करें।
प्रभाव: स्वयं में आत्मविश्वास की वृद्धि होगी। नए अवसरों की प्राप्ति होगी। स्वास्थ्य में सुधार होगा।
उपाय: रविवार को सूर्य देव की पूजा करें और तांबे के बर्तन का दान करें।
प्रभाव: स्वास्थ्य में कुछ समस्याएं आ सकती हैं। परिवार में तनाव बढ़ सकता है। आर्थिक मामलों में सतर्कता बरतें।
उपाय: बुधवार को गणेश जी की पूजा करें और हरे रंग का दान करें।
प्रभाव: आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। नौकरी में पदोन्नति के योग बन रहे हैं। स्वास्थ्य में भी सुधार होगा।
उपाय: शुक्रवार को देवी लक्ष्मी की पूजा करें और सफेद वस्त्रों का दान करें।
प्रभाव: स्वास्थ्य में कुछ समस्याएं आ सकती हैं। परिवार में तनाव बढ़ सकता है। आर्थिक मामलों में सतर्कता बरतें।
उपाय: मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करें और लाल रंग का दान करें।
प्रभाव: स्वास्थ्य में कुछ समस्याएं आ सकती हैं। परिवार में तनाव बढ़ सकता है। आर्थिक मामलों में सतर्कता बरतें।
उपाय: गुरुवार को गुरु देव की पूजा करें और पीले वस्त्रों का दान करें।
प्रभाव: स्वास्थ्य में कुछ समस्याएं आ सकती हैं। परिवार में तनाव बढ़ सकता है। आर्थिक मामलों में सतर्कता बरतें।
उपाय: शनिवार को शनिदेव की पूजा करें और काले वस्त्रों का दान करें।
प्रभाव: स्वास्थ्य में कुछ समस्याएं आ सकती हैं। परिवार में तनाव बढ़ सकता है। आर्थिक मामलों में सतर्कता बरतें।
उपाय: शनिवार को शनिदेव की पूजा करें और काले वस्त्रों का दान करें।
प्रभाव: स्वास्थ्य में कुछ समस्याएं आ सकती हैं। परिवार में तनाव बढ़ सकता है। आर्थिक मामलों में सतर्कता बरतें।
उपाय: सोमवार को शिव जी की पूजा करें और सफेद वस्त्रों का दान करें।
षडाष्टक योग एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना है, जो प्रत्येक राशि पर विभिन्न प्रभाव डालती है। उपरोक्त उपायों को अपनाकर आप इस योग के प्रभावों को संतुलित कर सकते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
राजस्थान: भारतीय रेलवे समय-समय पर अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने और यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन करता है। इसी कड़ी में, राजस्थान के विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर यार्ड रिमॉडलिंग और पुनर्विकास कार्य किए जा रहे हैं। इन कार्यों के कारण कई रेलसेवाओं के मार्ग, ठहराव और संचालन में अस्थायी परिवर्तन किए गए हैं। इस लेख में हम इन परिवर्तनों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।
यार्ड रिमॉडलिंग और पुनर्विकास कार्यों का मुख्य उद्देश्य रेलवे नेटवर्क की क्षमता और सुरक्षा को बढ़ाना है। इन कार्यों से ट्रेनों की गति में सुधार, प्लेटफॉर्म की संख्या में वृद्धि, और यात्री सुविधाओं में सुधार होता है। इसके अतिरिक्त, इन कार्यों से रेलवे स्टेशन की संरचना में आधुनिकता आती है, जिससे यात्रियों को बेहतर अनुभव मिलता है।
इन कार्यों के कारण निम्नलिखित रेलसेवाओं में अस्थायी परिवर्तन किए गए हैं:
प्रस्थान तिथि: 11 अक्टूबर 2025
परिवर्तित मार्ग: वसई रोड-कल्याण-इगतपुरी-मनमाड-दौंड
प्रभावित क्षेत्र: मध्य रेलवे क्षेत्र
प्रस्थान तिथि: 11 अक्टूबर 2025
परिवर्तित मार्ग: उधना-जलगांव-मनमाड-दौंड कॉर्ड लाइन
प्रभावित क्षेत्र: मध्य रेलवे क्षेत्र
प्रस्थान तिथि: 30 सितंबर 2025
रेगुलेशन: मध्य रेलवे पर 01 घंटे की देरी
प्रभावित क्षेत्र: मध्य रेलवे क्षेत्र
प्रस्थान तिथि: 12 अक्टूबर 2025
रेगुलेशन: लोनावला स्टेशन पर 02 घंटे 35 मिनट की देरी
प्रभावित क्षेत्र: मध्य रेलवे क्षेत्र
प्रस्थान तिथि: 12 अक्टूबर 2025
परिवर्तन: कर्जत स्टेशन पर ठहराव नहीं होगा
प्रभावित क्षेत्र: मध्य रेलवे क्षेत्र
पश्चिम मध्य रेलवे द्वारा कोटा स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या 2 पर पुनर्विकास कार्य किए जा रहे हैं। इस कार्य के कारण निम्नलिखित रेलसेवाओं में अस्थायी परिवर्तन किए गए हैं:
प्रस्थान तिथि: 10 सितंबर 2025 से 03 अक्टूबर 2025 तक (24 ट्रिप)
परिवर्तित मार्ग: सोगरिया-कोटा सी केबिन-गुडला
प्रभावित क्षेत्र: उत्तर पश्चिम रेलवे क्षेत्र
प्रस्थान तिथि: 10 सितंबर 2025 से 04 अक्टूबर 2025 तक (25 ट्रिप)
परिवर्तित मार्ग: गुडला-कोटा सी केबिन-सोगरिया
प्रभावित क्षेत्र: उत्तर पश्चिम रेलवे क्षेत्र
प्रस्थान तिथि: 10 सितंबर 2025 से 03 अक्टूबर 2025 तक (24 ट्रिप)
परिवर्तित मार्ग: सोगरिया-कोटा-कोटा सी केबिन-गुडला
प्रभावित क्षेत्र: उत्तर पश्चिम रेलवे क्षेत्र
प्रस्थान तिथि: 10 सितंबर 2025 से 04 अक्टूबर 2025 तक (25 ट्रिप)
परिवर्तित मार्ग: गुडला-कोटा सी केबिन-सोगरिया
प्रभावित क्षेत्र: उत्तर पश्चिम रेलवे क्षेत्र
यात्रा से पूर्व जानकारी प्राप्त करें: यात्रा की तिथि से पूर्व संबंधित रेलवे विभाग की आधिकारिक वेबसाइट या हेल्पलाइन से ट्रेन की स्थिति की जानकारी प्राप्त करें।
समय का ध्यान रखें: रेगुलेशन या मार्ग परिवर्तन के कारण ट्रेनों में देरी हो सकती है, अतः समय का ध्यान रखें।
वैकल्पिक मार्गों का चयन करें: यदि संभव हो तो प्रभावित मार्गों के वैकल्पिक मार्गों का चयन करें।
टिकट की पुनः बुकिंग: मार्ग परिवर्तन के कारण यदि यात्रा में असुविधा हो, तो टिकट की पुनः बुकिंग या रिफंड की प्रक्रिया के लिए रेलवे से संपर्क करें।
यार्ड रिमॉडलिंग और पुनर्विकास कार्य भारतीय रेलवे की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य यात्री सुविधाओं में सुधार और रेलवे नेटवर्क की क्षमता में वृद्धि करना है। हालांकि, इन कार्यों के कारण अस्थायी परिवर्तनों का सामना करना पड़ता है, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टिकोण से ये परिवर्तन यात्रियों के लिए लाभकारी सिद्ध होंगे। यात्रियों को इन परिवर्तनों के बारे में समय-समय पर जानकारी प्राप्त करनी चाहिए और अपनी यात्रा की योजना उसी के अनुसार बनानी चाहिए।
पुलिस ने अपराधियों की संपत्तियों की गहन जांच के लिए पांच विशेष टीमों का गठन किया था। इन टीमों ने खेतों की ढाणियों से लेकर शहर के मकानों तक की तलाशी ली। इस दौरान कई दस्तावेज और डिजिटल सबूत मिले हैं, जो अपराधियों की अवैध गतिविधियों को उजागर करने में सहायक होंगे।
पहली टीम ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रघुवीर प्रसाद शर्मा के नेतृत्व में दुतारांवाली गांव में दबिश दी। यहां अनमोल बिश्नोई पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित है। टीम ने उसके पैतृक मकान, ट्रैक्टर, स्कॉर्पियो, ट्रॉली और कृषि उपकरणों की जांच की। लगभग 100 बीघा जमीन का भी ब्यौरा लिया गया। डॉग स्क्वॉड और मेटल डिटेक्टर की मदद से घर की तलाशी ली गई।
दूसरी टीम ने एएसपी सुरेंद्र कुमार के नेतृत्व में लूणकरणसर क्षेत्र में छापा मारा। आरोपी रोहित गोदारा पर बीकानेर पुलिस का एक लाख और एनआईए का छह लाख रुपये का इनाम घोषित है। टीम ने उसकी ढाणी में बने पक्के मकान और 21 बीघा खेत की जांच की। इसके अलावा गांव कपूरीसर में 18 बीघा जमीन की भी तलाशी ली गई।
तीसरी टीम ने वृत्ताधिकारी राहुल यादव के नेतृत्व में 15 जैड गांव में दबिश दी। यहां आरोपी अमित पंडित और योगेश स्वामी पर 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित है। पुलिस ने उनके पैतृक घरों की बारीकी से तलाशी ली। इस टीम में क्यूआरटी और जिला विशेष शाखा के जवान भी शामिल रहे।
चौथी टीम ने अनूपगढ़ वृताधिकारी प्रशांत कौशिक के नेतृत्व में ढाणी 1 केएलडी पर छापा मारा। आरोपी कार्तिक जाखड़ पर 25 हजार रुपये का इनाम है। पुलिस ने खेत में बनी कच्ची ढाणी और दादा के नाम पर पंजीकृत जमीन की जांच की।
इस अभियान में पुलिस ने ड्रोन की मदद से निगरानी की। इसके अलावा, मेटल डिटेक्टर और डॉग स्क्वॉड का भी उपयोग किया गया, जिससे तलाशी की प्रक्रिया और अधिक प्रभावी बनी। पुलिस ने फाइनेंशियल ट्रेल की जांच के लिए विशेष टीमों का गठन किया था, जिन्होंने अपराधियों की संपत्तियों की गहन पड़ताल की।
राजस्थान पुलिस ने इस अभियान के सफल संचालन के बाद भविष्य में भी इस तरह की कार्रवाइयों को जारी रखने का निर्णय लिया है। पुलिस अधीक्षक डॉ. अमृता दुहन ने बताया कि राज्य में संगठित अपराधियों के खिलाफ यह अभियान एक उदाहरण प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि पुलिस की यह कार्रवाई राज्य में कानून व्यवस्था को मजबूत बनाने और अपराधियों के खिलाफ सख्त संदेश देने के लिए है।
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर के पूर्व सांसद आजम खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उन्हें डूंगरपुर मामले में जमानत दे दी है, जिससे उनकी जेल से रिहाई संभव हो सकेगी। यह निर्णय न्यायमूर्ति समीर जैन की एकल पीठ ने 10 सितंबर 2025 को सुनाया। इससे पहले, 30 मई 2024 को रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें 10 साल की सजा सुनाई थी। आजम खान ने इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया।
डूंगरपुर मामला 2016 का है, जब रामपुर के डूंगरपुर क्षेत्र में सरकारी जमीन पर आसरा आवास बनाए जा रहे थे। इस दौरान कुछ लोगों के घरों को तोड़ा गया, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ। अबरार नामक व्यक्ति ने आरोप लगाया कि आजम खान, रिटायर्ड सीओ आले हसन खान और ठेकेदार बरकत अली ने मिलकर उसके घर को तोड़ा, मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी। अबरार ने 2019 में गंज थाने में मामला दर्ज कराया। इस मामले में अन्य पीड़ितों ने भी शिकायतें कीं, जिसके बाद कुल 12 मुकदमे दर्ज हुए।
रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 30 मई 2024 को आजम खान को 10 साल और बरकत अली को 7 साल की सजा सुनाई। इस फैसले के खिलाफ दोनों ने हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने दोनों की जमानत अर्जी स्वीकार कर ली है।
हाईकोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि अपील लंबित रहने तक सजा पर विचार किया जाएगा। कोर्ट ने यह भी माना कि जमानत देने से अभियोजन पक्ष को कोई नुकसान नहीं होगा। इससे पहले, 12 अगस्त 2025 को दोनों पक्षों की बहस पूरी हुई थी, जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब यह फैसला आजम खान के पक्ष में आया है।
आजम खान की जमानत से समाजवादी पार्टी को एक बड़ी राजनीतिक जीत मिली है। पार्टी के नेता और कार्यकर्ता इसे अपनी संघर्ष की सफलता मान रहे हैं। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे लोकतंत्र की जीत बताया है। उन्होंने कहा कि यह साबित करता है कि न्याय की कोई ताकत नहीं रोक सकती।
आजम खान के समर्थकों ने भी खुशी जाहिर की है। उन्होंने इसे उनके संघर्ष और सत्य की जीत बताया है। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है और इसे पार्टी की न्यायिक लड़ाई की सफलता माना है।
हालांकि आजम खान को जमानत मिल गई है, लेकिन डूंगरपुर मामले में उनकी अपील लंबित रहेगी। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख तय नहीं की है, लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही सुनवाई शुरू होगी। इसके अलावा, आजम खान के खिलाफ अन्य मामलों में भी कानूनी प्रक्रिया जारी है। उनके खिलाफ कुल 89 से अधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से कुछ में सजा हो चुकी है और कुछ में सुनवाई चल रही है।
आजम खान को डूंगरपुर मामले में हाईकोर्ट से जमानत मिलना उनके लिए एक बड़ी कानूनी राहत है। यह निर्णय उनके समर्थकों के लिए खुशी का कारण बना है और समाजवादी पार्टी के लिए एक राजनीतिक जीत है। हालांकि, यह मामला अभी समाप्त नहीं हुआ है और आगे की कानूनी प्रक्रिया जारी रहेगी। अब यह देखना होगा कि हाईकोर्ट में उनकी अपील का क्या परिणाम आता है और अन्य मामलों में क्या निर्णय होते हैं।
हमारे दैनिक आहार में चीनी, नमक और तेल का महत्वपूर्ण स्थान है। ये स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करते हैं। लेकिन इनका अत्यधिक सेवन स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इस लेख में हम इन तीनों के सेवन की सही मात्रा, इनके स्वास्थ्य पर प्रभाव और विशेषज्ञों की सलाह पर चर्चा करेंगे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, एक वयस्क व्यक्ति को दिनभर में 50 ग्राम से अधिक चीनी का सेवन नहीं करना चाहिए। यह मात्रा कुल कैलोरी का लगभग 10% होती है।
अत्यधिक चीनी का सेवन निम्नलिखित समस्याओं का कारण बन सकता है:
मधुमेह (Diabetes): अधिक चीनी से रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ता है, जिससे इंसुलिन प्रतिरोध उत्पन्न होता है।
मोटापा (Obesity): अतिरिक्त कैलोरी शरीर में वसा के रूप में जमा होती है।
हृदय रोग (Heart Disease): उच्च रक्तचाप और सूजन के कारण हृदय रोग का खतरा बढ़ता है।
दांतों की समस्याएँ (Dental Issues): चीनी बैक्टीरिया के लिए खाद्य स्रोत प्रदान करती है, जिससे दांतों में सड़न होती है।
डॉ. मुकेश बत्रा, डॉ. बत्रा हेल्थकेयर के संस्थापक और अध्यक्ष, का कहना है, “घर का बना खाना जिसमें कम तेल, नमक और चीनी हो, और अधिक फाइबर युक्त आहार हो, स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।”
WHO के अनुसार, एक व्यक्ति को दिनभर में 5 ग्राम से अधिक नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। भारतीय संदर्भ में, औसतन भारतीय नागरिक 12 ग्राम नमक का सेवन करते हैं, जो WHO की सिफारिश से दोगुना है।
अत्यधिक नमक का सेवन निम्नलिखित समस्याओं का कारण बन सकता है:
उच्च रक्तचाप (Hypertension): अधिक सोडियम रक्तचाप को बढ़ाता है, जिससे हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।
गुर्दे की समस्याएँ (Kidney Issues): अधिक नमक से गुर्दे पर दबाव बढ़ता है, जिससे गुर्दे की कार्यक्षमता प्रभावित होती है।
हड्डियों की समस्याएँ (Bone Issues): अधिक नमक से कैल्शियम की हानि होती है, जिससे हड्डियाँ कमजोर होती हैं।
पेट का कैंसर (Stomach Cancer): अत्यधिक नमक से पेट में सूजन और कैंसर का खतरा बढ़ता है।
डॉ. आलोक चोपड़ा, वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ, का कहना है, “रिफाइंड तेलों का अधिक सेवन हृदय के लिए हानिकारक है। इनसे खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) बढ़ता है, जिससे मोटापा, मधुमेह और हृदय रोग का खतरा बढ़ता है।”
तेल का सेवन व्यक्ति की शारीरिक गतिविधि और स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। सामान्यतः, एक वयस्क व्यक्ति को दिनभर में 20-30 ग्राम तेल का सेवन करना चाहिए।
अत्यधिक तेल का सेवन निम्नलिखित समस्याओं का कारण बन सकता है:
मोटापा (Obesity): अतिरिक्त कैलोरी शरीर में वसा के रूप में जमा होती है।
मधुमेह (Diabetes): अधिक वसा से इंसुलिन प्रतिरोध उत्पन्न होता है।
हृदय रोग (Heart Disease): अधिक वसा से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ता है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ता है।
डॉ. चोपड़ा का कहना है, “रिफाइंड तेलों का अधिक सेवन हृदय के लिए हानिकारक है। इनसे खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) बढ़ता है, जिससे मोटापा, मधुमेह और हृदय रोग का खतरा बढ़ता है।”
9 सितंबर 2025 को इज़राइल ने क़तर की राजधानी दोहा में हमास के वरिष्ठ नेताओं पर हवाई हमला किया। इस हमले में छह लोगों की मौत हुई, जिनमें एक क़तरी सुरक्षा अधिकारी भी शामिल था। यह हमला उस समय हुआ जब क़तर गाज़ा संघर्ष विराम के लिए मध्यस्थता की कोशिश कर रहा था, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता और आक्रोश फैल गया।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले पर अपनी असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि वह “इस स्थिति से खुश नहीं हैं” और “बहुत दुखी” हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह हमला अमेरिकी और इज़राइली दोनों के हितों के खिलाफ है। ट्रंप ने कहा कि उन्होंने क़तर को हमले के बारे में चेतावनी देने का आदेश दिया था, लेकिन हमले के समय तक यह जानकारी नहीं पहुँच पाई।
इस हमले ने क़तर और अमेरिका के रिश्तों को तनावपूर्ण बना दिया है। क़तर ने इस हमले को “विश्वासघात” करार दिया और कहा कि यह उसकी संप्रभुता का उल्लंघन है। क़तर के प्रधानमंत्री ने इस हमले के बाद कहा कि क़तर अब गाज़ा संघर्ष विराम वार्ता में अपनी मध्यस्थता की भूमिका पर पुनर्विचार करेगा।
इज़राइल ने इस हमले को “आतंकी गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई” बताया और कहा कि यह हमास के नेताओं को निशाना बनाने के लिए किया गया था। इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले का बचाव करते हुए कहा कि यह गाज़ा संघर्ष विराम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था।
इस हमले की अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने व्यापक निंदा की है। रूस ने इसे “संप्रभुता का उल्लंघन और अंतरराष्ट्रीय कानून का हनन” बताया। यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र ने भी इस हमले की आलोचना की है और सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है।
क़तर पर इज़राइल का हमला और डोनाल्ड ट्रंप की प्रतिक्रिया ने मध्य पूर्व में कूटनीतिक संकट को जन्म दिया है। यह घटना दिखाती है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में विश्वास और संप्रभुता की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आने वाले समय में यह देखना होगा कि अमेरिका, क़तर और इज़राइल इस स्थिति से कैसे निपटते हैं और क्या गाज़ा संघर्ष विराम के प्रयासों को फिर से गति मिलती है या नहीं।