अंता उपचुनाव में BJP ने मोरपाल सुमन को मैदान में उतारा है। प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने NDTV से बातचीत में बताया कि यह चयन किसी व्यक्ति की पसंद नहीं बल्कि वैज्ञानिक और संगठनात्मक प्रक्रिया का परिणाम है। पार्टी ने प्रत्येक बूथ का सर्वे कराया, कार्यकर्ताओं से राय ली और केंद्रीय नेतृत्व के सर्वे को भी ध्यान में रखा। राठौड़ का दावा है कि इस सर्वे के आधार पर मोरपाल सुमन की जीत तय है।
मोरपाल सुमन की छवि और स्थानीय पकड़
मोरपाल सुमन 54 वर्ष के हैं, स्वच्छ छवि वाले और सामान्य परिवार से आते हैं। उन पर किसी तरह का दाग नहीं है। सुमन आरएसएस से जुड़े रहे हैं और संगठनात्मक जिम्मेदारियों में अनुभव रखते हैं। उनके परिवार की स्थानीय सक्रियता भी उनकी पकड़ को मजबूत करती है। बारां के प्रधान और उनकी पत्नी नटी बाई का सरपंच होना यह दर्शाता है कि स्थानीय स्तर पर उन्हें समर्थन मिलेगा।
डेटा-आधारित राजनीति और माइक्रो मैनेजमेंट
BJP का दावा है कि पार्टी ने स्थानीय पहचान और साफ-सुथरी छवि के आधार पर मोरपाल सुमन को चुना है। पार्टी ‘माइक्रो-मैनेजमेंट’ और ‘डेटा-आधारित राजनीति’ पर भरोसा कर रही है। सर्वे से स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि जनता सुमन को स्वीकार करेगी और उन्हें पूर्ण समर्थन देगी। यह रणनीति BJP की चुनावी योजना को मजबूत कर रही है।
त्रिकोणीय मुकाबला और वोट बंटवारा
अंता उपचुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय है। BJP मोरपाल सुमन के साथ मैदान में है, कांग्रेस ने प्रमोद जैन भाया को उतारा है, जबकि नरेश मीणा निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं। यह वोट बंटवारा चुनाव के नतीजों को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में बूथ सर्वे और सुमन की स्वच्छ छवि ही BJP का आधार बनी हुई है।
भविष्य की चुनौतियां और संभावनाएं
BJP का दावा है कि सर्वे और संगठनात्मक आधार पर मोरपाल सुमन जीतेंगे। लेकिन चुनावी नतीजे आने तक अंता की जनता की अंतिम पसंद महत्वपूर्ण होगी। त्रिकोणीय मुकाबला और वोट बंटवारा चुनाव को रोचक बनाता है। मोरपाल सुमन की स्वच्छ छवि और स्थानीय समर्थन उनकी जीत की संभावना को बढ़ा रहे हैं।