20 अक्टूबर, दिवाली के दिन, दिग्गज अभिनेता असरानी ने इस दुनिया को अलविदा कहा। उनकी आखिरी इच्छा थी कि उनकी मौत की खबर किसी को न दी जाए। इसी वजह से उनका अंतिम संस्कार बेहद निजी तरीके से किया गया, जिसमें केवल 15-20 परिजन ही मौजूद थे। अब अन्नू कपूर ने भी ऐसी ही इच्छा जताई है कि उनके निधन के बाद किसी को खबर न दी जाए और अंतिम संस्कार शांति से किया जाए।
जीवन और मृत्यु पर अन्नू कपूर का दृष्टिकोण
“मेरा संस्कार चुपचाप किया जाए”
अन्नू कपूर ने एएनआई से बातचीत में कहा,
“जब मेरा इस दुनिया नामक होटल से चेक आउट करने का समय आए, और वह दिन किसी त्योहार या राष्ट्रीय पर्व से जुड़ा हो — तो मेरा भी अंतिम संस्कार गुप्त रूप से किया जाए। मैं किसी को परेशान नहीं करना चाहता हूं और इस दुनिया पर बोझ बनकर नहीं जीना चाहता।”
उन्होंने आगे कहा कि वे अपने परिवार, समाज या देश के लिए बोझ नहीं बनना चाहते। उनका मानना है कि जिंदगी एक यात्रा है और हर व्यक्ति को शांति से अपनी विदाई लेनी चाहिए।
“दुनिया सराय है, चेक-इन किया है तो चेक-आउट भी होगा”
अन्नू कपूर ने जीवन को लेकर एक दार्शनिक दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने कहा कि यह दुनिया एक सराय है, जहां हर व्यक्ति मेहमान है।
“ग़ालिब का शेर है — ‘ग़म-ए-हस्ती का असद किससे हो जुज़ मर्ग इलाज, शम्मा हर हाल में जलती है सहर होने तक।’ जब तक जीवन है, संघर्ष चलता रहेगा, लेकिन जलकर किसी को तकलीफ नहीं देनी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि जब उनका समय आए, तो परिवार को चाहिए कि बिना किसी को बताए अंतिम संस्कार कर दे। यह जीवन का स्वाभाविक अंत है, और उसे सादगी से स्वीकार करना चाहिए।
असरानी की अंतिम इच्छा से प्रेरित
असरानी के मैनेजर बाबू भाई थिबा ने बताया था कि अभिनेता ने अपनी पत्नी मंजू बंसल से कहा था कि उनकी मौत के बाद कोई शोर न हो, कोई मीडिया कवरेज न हो। बस चुपचाप अंतिम संस्कार कर दिया जाए।
उनकी इसी इच्छा का सम्मान करते हुए परिवार ने मीडिया या इंडस्ट्री के किसी व्यक्ति को सूचना दिए बिना उनका अंतिम संस्कार किया।
बॉलीवुड में असरानी की कमी और अन्नू कपूर की सोच
असरानी के निधन से इंडस्ट्री में गहरा शोक है। अक्षय कुमार और प्रियदर्शन ने भी उन्हें याद करते हुए भावनात्मक श्रद्धांजलि दी। वहीं, अन्नू कपूर की यह भावना दिखाती है कि सच्चे कलाकार अपने जीवन के हर पड़ाव में सादगी और संवेदनशीलता को महत्व देते हैं।