आसियान समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की संभावित मुलाकात नहीं होगी। पीएम मोदी मलेशिया का दौरा टाल चुके हैं। मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने सोशल मीडिया पर पुष्टि की कि मोदी समिट में ऑनलाइन हिस्सा लेंगे और भारत-मलेशिया संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा हुई।
कांग्रेस का दावा और राजनीति
कांग्रेस ने मोदी के मलेशिया न जाने के फैसले पर सवाल उठाया। नेता जयराम रमेश ने कहा कि मोदी ट्रम्प के सामने आमने-सामने नहीं आना चाहते। रमेश ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि सोशल मीडिया पर तारीफ करना आसान है, लेकिन ट्रम्प जैसी व्यक्तित्व वाले नेताओं के सामने होना जोखिम भरा हो सकता है।
आसियान समिट का इतिहास और भारत की भागीदारी
पीएम बनने के बाद मोदी अब तक 12 बार आसियान समिट में शामिल हो चुके हैं। 2020 और 2021 में वर्चुअल समिट हुआ था। इस बार पहली बार मोदी समिट में शारीरिक रूप से भाग नहीं लेंगे। आसियान समिट 26 से 28 अक्टूबर तक कुआलालंपुर में आयोजित होगा।
आसियान का गठन और सदस्य देश
आसियान की स्थापना 1967 में बैंकॉक में हुई थी। इस संगठन में 10 दक्षिण-पूर्व एशियाई देश शामिल हैं: इंडोनेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर, फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, म्यांमार, कंबोडिया, ब्रुनेई और लाओस। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय शांति, आर्थिक सहयोग और सामूहिक सुरक्षा को बढ़ावा देना है।
भारत-आसियान संबंध और CSP समझौता
भारत ने 2022 में आसियान देशों के साथ कॉम्प्रिहेंसिव स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप (CSP) साइन किया। इसके तहत रक्षा, आर्थिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया। भारत चीन को संतुलित करने के लिए आसियान देशों के साथ रणनीतिक और आर्थिक संबंध मजबूत कर रहा है।
आसियान और शीत युद्ध का इतिहास
1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों ने जापान और पश्चिमी देशों से आजादी प्राप्त की। अमेरिका और सोवियत यूनियन के बीच शीत युद्ध के दौरान क्षेत्रीय संघर्ष और विचारधारा के मतभेद रहे। 1967 में बैंकॉक में पांच देशों ने मिलकर आसियान की नींव रखी, ताकि वामपंथी विचारधारा के फैलाव को रोका जा सके और क्षेत्रीय विकास सुनिश्चित हो।
भारत और आसियान का आर्थिक संबंध
1990 के दशक में भारत ने एक्ट ईस्ट पॉलिसी शुरू की और 2010 में लगभग छह साल की बैठकों के बाद भारत और आसियान देशों के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) साइन किया गया। 2014 में BJP सरकार ने इसे अपग्रेड कर एक्ट ईस्ट पॉलिसी बनाया। इसके तहत भारत और आसियान के बीच आर्थिक और तकनीकी सहयोग को मजबूती दी गई।