टोक्यो में बड़ा मुकाबला: नीरज चोपड़ा और अरशद नदीम की जेवलिन फाइनल की झलकियाँ

विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 के मेन्स जेवलिन थ्रो में दो दिग्गजों की भिड़ंत की तैयारियाँ पूरी हो चुकी हैं। भारत के नीरज चोपड़ा, जो वर्तमान विश्व चैम्पियन हैं, और पाकिस्तान के ओलिंपिक चैम्पियन अरशद नदीम, दोनों ने क्वालीफाइंग राउंड में शानदार प्रदर्शन कर फाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली है। नरमगर्मी वाले माहौल और उत्साहित दर्शकों के बीच यह मुकाबला न सिर्फ़ भारत-पाकिस्तान के बीच की पारंपरिक प्रतिद्वंद्विता को और ताज़ा करेगा, बल्कि जेवलिन थ्रो की दुनिया का सर्वोत्तम प्रदर्शन देखने को मिलेगा। नीरज ने क्वालीफायर में पहले थ्रो में 84.85 मीटर की दूरी सेAutomatic क्वालीफिकेशन (84.50m स्तर) पास कर ली; दूसरी ओर अरशद को क्वालीफाइंग में अंतिम थ्रो में 85.28 मीटर से सफलता मिली। तीसरे भारतीय, सचिन यादव ने 83.67 मीटर की दूरी से टॉप-12 में आकर फाइनल में प्रवेश किया, जबकि रोहित यादव और यशवीर सिंह क्वालीफाइंग में पिछड़ गए।

यह मुकाबला टोक्यो के उसी स्टेडियम में होगा जहाँ नीरज ने अपने ओलिंपिक स्वर्ण पदक की शुरुआत की थी। इस बार नीरज के लिए यह मौका है कि वह विश्व चैम्पियनशिप में लगातार दूसरा स्वर्ण पदक जीते। इतिहास में अभी तक सिर्फ़ कुछ ही पुरुष जेवलिन थ्रो खिलाड़ी ये कारनामा कर पाए हैं—जैसे कि Jan Zelezny और Anderson Peters। अरशद नदीम के लिए यह मुकाबला है कि वह ओलिंपिक से प्राप्त स्वर्ण के बाद विश्व स्तर पर अपनी क्षमता को एक और बड़े मंच पर साबित कर सकें। फाइनल की घटना शाम के सत्र में होगी, जहाँ दुनिया भर के दर्शक टेलीविजन और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से लाइव देख सकेंगे कि कौन सी गति और किस थ्रो-तकनीक से यह प्रतियोगिता तय होगी।

संभावित रणनीतियाँ और दबावों का संघर्ष

नीरज चोपड़ा की क्वालीफाइंग में प्रथम थ्रो में सफलता यह दिखाती है कि उन्होंने तैयारी अच्छी की है और मानसिक रूप से स्थिर हैं। उनका अनुभव, विशेष तौर पर बड़े मुकाबलों में स्थिर प्रदर्शन देना, उनकी बड़ी ताकत है। नीरज का पहला थ्रो ही पर्याप्त था, यह संकेत है कि उन्होंने अपनी थ्रो-रन-अप, तकनीक, एवं फॉर्म को अच्छी तरह से संतुलित रखा है। इसके विपरीत, अरशद नदीम को क्वालीफाइंग में तीन थ्रो लेने पड़े; पहले दो इसमें उनसे अपेक्षित दूरी नहीं मिली लेकिन तीसरे थ्रो ने उन्हें फाइनल में भेजा। यह संघर्ष अरशद की लड़ाकू भावना और दबाव में सामर्थ्य को दिखाता है।

सचिन यादव की उपस्थिति भी भारत के लिए गर्व की बात है। उन्होंने दुनिया की चुनिंदा थ्रोअर्स के बीच टॉप-12 में जगह बनाई है और यह उनके करियर के लिए सीमित नहीं बल्कि बड़ी उपलब्धि है। हालांकि फाइनल में उनके थ्रो की लंबाई और प्रदर्शन की तुलना में नीरज और अरशद पर अधिक टिप्पणियाँ होंगी। लेकिन उनके लिए यह एक सुनहरा अवसर है कि वे इस मंच पर खुद को और बेहतर थ्रोअर के रूप में स्थापित करें।

दूसरी ओर, अन्य प्रतियोगी जैसे Julian Weber, Anderson Peters, Julius Yego आदि भी खतरनाक दावेदार हैं। ये वो खिलाड़ी हैं जो लीडरबोर्ड में ऊपर हैं और थ्रो दूरी की रफ्तार, हवा का असर, थ्रो के दौरान गति और रिलीज प्वाइंट जैसे तकनीकी पहलुओं पर नियंत्रण कर सकते हैं। फाइनल में मौसम, स्टेडियम की स्थितियाँ और दर्शकों का दबाव भी मायने रखेगा। दोनों खिलाड़ी, नीरज और अरशद, इन बाहरी तत्वों को नियंत्रित करने में सक्षम होंगे कि नहीं, यह फाइनल का परिणाम तय करेगा।

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