इंडियन एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने कहा कि एक्सियम मिशन के तहत हम इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में दो हफ्ते रहे। मैं मिशन पायलट था, मैं कमांडर था मैं सिस्टम को कमांड कर रहा था।
ISS में दो हफ्ते के दौरान हमने कई एक्सपेरिमेंट किए। कुछ तस्वीरें लीं। इसके लिए हमने कई ट्रेनिंग ली। यह एक अलग ही अनुभव था।
दिल्ली में मीडिया सेंटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए शुभांशु ने कहा- अंतरिक्ष में शरीर 3-4 दिन में एडॉप्ट हो जाती है। ये मिशन कई मायनों में कामयाब रहा।
शुभांशु का अगला मिशन गगनयान होगा, इसकी तैयारी करेंगे शुभांशु ने गगनयान मिशन के बारे में भी बात की। गगनयान मिशन ISRO का ह्यूमन स्पेस मिशन है। इसके तहत 2027 में स्पेसक्राफ्ट से वायुसेना के तीन पायलट्स को स्पेस में भेजा जाएगा।
ये पायलट 400 किमी के ऑर्बिट पर 3 दिन रहेंगे, जिसके बाद हिंद महासागर में स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग कराई जाएगी। मिशन की लागत करीब 20,193 करोड़ रुपए है।
गगनयान मिशन के लिए अभी वायुसेना के चार पायलट्स को चुना गया है, जिनमें से एक ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला हैं। शुभांशु इसीलिए एक्सियम मिशन के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गए थे।
गगनयान के जरिए पायलट्स को स्पेस में भेजने से पहले इसरो दो खाली टेस्ट फ्लाइट भेजेगा। तीसरी फ्लाइट में रोबोट को भेजा जाएगा। इसकी सफलता के बाद चौथी फ्लाइट में इंसान स्पेस पर जा सकेंगे। पहली टेस्ट फ्लाइट इस साल के अंत तक भेजी जा सकती है।
गगनयान मिशन से भारत को क्या हासिल होगा
गगनयान मिशन से भारत को कई तरह से फायदा होगा…
- स्पेस एक बढ़ती हुई इकोनॉमी है, जो 2035 तक 1.8 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 154 लाख करोड़ रुपए की हो जाएगी। इसलिए भारत का इसमें बना रहना जरूरी है।
- रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत स्पेस में इंसान भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा।
- स्पेस के जरिए सोलर सिस्टम के अन्य पहलुओं की रिसर्च का रास्ता खुलेगा।
- भारत को खुद का स्पेस स्टेशन बनाने के प्रोजेक्ट में मदद मिलेगी।
- रिसर्च और डेवलपमेंट के क्षेत्र में नए रोजगार बनेंगे।
- निवेश बढ़ेगा जिससे इकोनॉमी को बूस्ट मिलेगा।
- स्पेस इंडस्ट्री में काम कर रहे दूसरे देशों के साथ मिलकर काम करने का मौका मिलेगा।