रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय रिफाइनर्स आने वाले महीनों में रूसी तेल का आयात घटा सकते हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार अपनी रूसी तेल परचेजिंग को एडजस्ट करना शुरू कर दिया है। सरकारी कंपनियां भी अपने शिपमेंट डॉक्यूमेंट्स की जांच कर रही हैं ताकि रूस की सैंक्शन की गई कंपनियों से सीधा सौदा न हो।
ट्रम्प ने भारत पर डाला दबाव
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में दावा किया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है और भारत जल्द ही रूस से कच्चे तेल की खरीद बंद कर देगा। उन्होंने 22 अक्टूबर को रूसी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर भी प्रतिबंध लगाए हैं। यह फैसला यूरोपीय संघ द्वारा रूसी LNG पर बैन लगाने के बाद लिया गया।
सरकारी रिफाइनर्स की जांच प्रक्रिया शुरू
इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी कंपनियां अपने नवंबर 21 के बाद आने वाले सभी शिपमेंट्स के बिल चेक कर रही हैं। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसी प्रतिबंधित रूसी कंपनी से डिलीवरी न हो। सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार ने कंपनियों को निजी तौर पर रूसी तेल आयात कम करने के निर्देश दिए हैं।
21 नवंबर से लागू होंगे अमेरिकी सैंक्शंस
अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने 21 नवंबर 2025 तक का समय दिया है ताकि वैश्विक कंपनियां रोसनेफ्ट और लुकोइल के साथ अपने सौदे खत्म कर सकें। इसके बाद भी लेन-देन जारी रहा तो कंपनियों पर जुर्माना, ब्लैकलिस्टिंग या व्यापार प्रतिबंध लग सकते हैं।
महंगे तेल से पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने की आशंका
रूसी तेल भारत के लिए सस्ता विकल्प था। अब भारत को मध्य पूर्व या अमेरिका से तेल लेना होगा, जो महंगा पड़ सकता है। इससे रिफाइनिंग लागत बढ़ेगी और आने वाले महीनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर असर देखने को मिल सकता है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद बढ़ा था रूसी तेल आयात
2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस ने तेल सस्ते दामों पर बेचना शुरू किया। भारत ने इसी अवसर का लाभ उठाते हुए लगभग 140 अरब डॉलर का डिस्काउंटेड रूसी तेल खरीदा। रिलायंस और अन्य कंपनियों ने इसे प्रोसेस कर घरेलू और विदेशी बाजारों में बेचा।
ट्रम्प का सख्त रुख और आर्थिक दबाव
ट्रम्प ने कहा कि “भारत जल्द ही रूसी तेल की खरीद को जीरो पर लाएगा।” उन्होंने अगस्त में रूस से तेल खरीदने के कारण भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ भी लगाया था। अब भारत पर कुल 50% शुल्क लागू है, जिसमें आधा रेसिप्रोकल टैक्स और आधा रूस से आयात पर पेनल्टी है।
भारत की ऊर्जा नीति पर असर
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है। ऐसे में रूस से सप्लाई कम होने पर भारत को अपने ऊर्जा स्रोतों का विविधीकरण करना पड़ेगा। सरकार वैकल्पिक तेल आपूर्तिकर्ताओं और नवीकरणीय ऊर्जा पर ज्यादा ध्यान दे सकती है।