लोकपाल कार्यालय द्वारा 7 BMW 330 Li लग्जरी कारों की खरीद के लिए 16 अक्टूबर को निकाले गए टेंडर ने राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। हर कार की कीमत 70 लाख रुपए से अधिक बताई जा रही है, जिससे कुल खर्च 5 करोड़ रुपए से ज्यादा होगा।
कांग्रेस नेताओं ने इस कदम को ‘विलासिता का प्रतीक’ बताते हुए सरकार पर हमला बोला है।
चिदंबरम ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के जज साधारण कारों से चलते हैं
पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने लोकपाल की कार खरीद योजना पर सवाल उठाते हुए कहा —
“जब सुप्रीम कोर्ट के जज साधारण सेडान में चलते हैं, तो लोकपाल अध्यक्ष और छह सदस्यों को बीएमडब्ल्यू जैसी महंगी कारों की क्या जरूरत है?”
उन्होंने इसे जनता के पैसे की फिजूलखर्ची बताते हुए कहा कि लोकपाल जैसी संस्था को सादगी और पारदर्शिता का उदाहरण बनना चाहिए।
सिंघवी बोले- ‘लोकपाल अब पालतू जानवर जैसा लगने लगा है’
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा —
“भ्रष्टाचार विरोधी संस्था अब अपने सदस्यों के लिए बीएमडब्ल्यू खरीद रही है, यह बेहद दुखद है। यह संस्था ईमानदारी की रखवाली नहीं, विलासिता की दीवानी लगती है।”
उन्होंने तंज कसते हुए कहा —
“70 लाख की बीएमडब्ल्यू कारें लेने वाली यह संस्था अब भ्रष्टाचार विरोधी प्रहरी नहीं, पालतू जानवर जैसी लगती है।”
सिंघवी ने बताया कि 1960 के दशक में उनके पिता डॉ. एल.एम. सिंघवी ने ही लोकपाल की अवधारणा दी थी और वह खुद लोकपाल पर संसदीय समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं।
लोकपाल के पास आईं हजारों शिकायतें, सिर्फ 24 की जांच
सिंघवी ने आंकड़ों के साथ लोकपाल की कार्यक्षमता पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि 2019 में गठन के बाद से लोकपाल को 8,703 शिकायतें मिलीं, जिनमें से सिर्फ 24 मामलों की जांच हुई और केवल 6 मामलों में मुकदमा चलाने की अनुमति दी गई।
BMW कारें और उनकी ट्रेनिंग योजना
टेंडर दस्तावेजों के अनुसार, कारें डिलीवर होने के बाद BMW कंपनी लोकपाल ड्राइवरों को सात दिन की ट्रेनिंग देगी, जिसमें कार के तकनीकी सिस्टम और संचालन की जानकारी दी जाएगी।
BMW 330Li M Sport कार भारतीय बाजार के लिए खासतौर पर डिजाइन की गई है, और इसका निर्माण कंपनी के चेन्नई प्लांट में होता है।
यह मॉडल अपनी लग्जरी, स्पेस और परफॉर्मेंस के लिए जाना जाता है, जिसमें 258 hp इंजन, बेहतरीन राइड क्वालिटी और रियर सीट कम्फर्ट मिलता है।
लोकपाल की भूमिका और विवाद
लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 में पारित हुआ और 2014 में लागू किया गया। इसका उद्देश्य सरकारी स्तर पर भ्रष्टाचार की जांच और जवाबदेही सुनिश्चित करना है।
लोकपाल में एक अध्यक्ष और अधिकतम 8 सदस्य होते हैं, जिनमें आधे न्यायिक पृष्ठभूमि से होते हैं।
वर्तमान अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस अजय मणिकराव खानविलकर हैं, जिन्हें फरवरी 2024 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नियुक्त किया था।
हालांकि, लोकपाल को लेकर राजनीतिक हस्तक्षेप और निष्पक्षता पर लगातार सवाल उठते रहे हैं।
2019 से लेकर अब तक इसे स्टाफ की कमी, सीमित बजट और धीमी जांच प्रक्रिया जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
कांग्रेस का आरोप – लोकपाल कमजोर और सत्ताधारी प्रभाव में
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि लोकपाल की चयन प्रक्रिया पर सत्तारूढ़ दल का वर्चस्व बना हुआ है, जिससे इसकी स्वतंत्रता प्रभावित होती है।
कई बार लोकपाल के गठन और नियुक्ति में देरी को लेकर भी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए गए हैं।