दीपावली से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ऑनलाइन जुआ और फैंटेसी गेम्स पर सख्त नियंत्रण की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है। चीफ जस्टिस की बेंच ने यह मामला आज के लिए सूचीबद्ध किया।
यह जनहित याचिका सेंटर फॉर एकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टेमिक चेंज और अधिवक्ता शौर्या तिवारी द्वारा दायर की गई है। याचिका में दावा किया गया कि ऑनलाइन बेटिंग और फैंटेसी गेम्स शगुन के खेल को लत, आर्थिक तबाही और साइबर अपराध में बदल रहे हैं।
देश में करीब 65 करोड़ लोग ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हैं और इनमें से अधिकांश रियल मनी गेम्स में दांव लगाते हैं। इसका सालाना कारोबार 1.8 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।
याचिका में लॉ कमीशन और महाभारत का हवाला
याचिकाकर्ताओं ने लॉ कमीशन की 276वीं रिपोर्ट का हवाला दिया। इसमें कहा गया कि यदि महाभारत के समय जुआ नियंत्रित होता, तो युधिष्ठिर अपनी पत्नी और भाइयों को दांव पर नहीं लगाते। याचिका में यह बताया गया कि यह सांस्कृतिक चेतावनी है कि अनियंत्रित जुआ समाज की नींव को हिला सकता है।
आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के संसद में दिए बयान का भी हवाला दिया गया कि ऑनलाइन मनी गेम्स ड्रग्स से बड़ा खतरा बन चुके हैं। मंत्रालय के अनुसार, इन एप्स के एल्गोरिद्म ऐसे होते हैं कि हार लगभग तय रहती है।
याचिका में किए गए मुख्य दावे
केंद्र का नया कानून और राज्यों के अधिकार
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि केंद्र का नया कानून राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप करता है। सातवीं अनुसूची के अनुसार जुआ राज्य का विषय है। नया कानून बेटिंग को विनियमित करने के बजाय वैधता देने का रास्ता खोलता है।
कर चोरी और राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा
डीजीजीआई ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों से जुड़े 81,875 करोड़ की कर चोरी पकड़ी है। 642 ऑफशोर कंपनियां देश में बिना टैक्स दिए जुआ चला रही हैं। अधिकांश विदेशी सर्वरों पर संचालित होने से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है।
बच्चों और युवाओं पर प्रभाव
फिल्मी सितारे और क्रिकेटर ऐसे एप्स का प्रचार कर रहे हैं, जो बच्चों को गलत दिशा में ले जा रहे हैं। अभिनेता अक्षय कुमार ने बताया कि उनकी 13 साल की बेटी को एक ऑनलाइन गेम के दौरान यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।
मानसिक स्वास्थ्य पर असर
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, ‘ऑनलाइन गेमिंग डिसऑर्डर’ अब एक मानसिक बीमारी के रूप में दर्ज है।
स्वदेशी गेमिंग और पारंपरिक खेलों का प्रस्ताव
याचिकाकर्ताओं ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि वह शैक्षणिक और सांस्कृतिक खेलों को बढ़ावा दे। भारत की पारंपरिक संस्कृति में खेल सहयोग और प्रतिस्पर्धा के संतुलन पर आधारित था। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि इसे आधुनिक गेमिंग में लागू किया जाना चाहिए, ताकि युवा आत्मनिर्भर और सुरक्षित वातावरण में खेल का अनुभव करें।