हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने महाराष्ट्र के नासिक में तीसरी LCA मार्क 1A प्रोडक्शन लाइन शुरू की है। इस लाइन का उद्देश्य भारतीय वायुसेना को तेजस MARK-1A विमानों की सप्लाई तेज करना है। नासिक के ओझर स्थित इस प्रोडक्शन लाइन में बना पहला विमान आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को दिखाया जाएगा।
इस नई प्रोडक्शन लाइन के जरिए वायुसेना को 2032-33 तक 180 तेजस विमानों की आपूर्ति में मदद मिलेगी। वर्तमान में इस लाइन से प्रति वर्ष 8 विमान बनाए जा रहे हैं, जिन्हें भविष्य में 10 विमानों तक बढ़ाया जा सकता है।
तेजस LCA मार्क 1A की तकनीकी विशेषताएँ
MARK-1A में कुल 40 तकनीकी सुधार किए गए हैं। इसमें अपग्रेडेड एवियॉनिक्स और रडार सिस्टम शामिल हैं, जिससे इसके मेंटेनेंस और संचालन में आसानी होगी। तेजस के विंग्स में 9 जगह मिसाइल और बम फिट किए जा सकते हैं, जिससे यह कठिन मुकाबले में भी प्रभावी रूप से काम कर सके।
इसका सिंगल इंजन वाला हल्का फाइटर जेट चौथी पीढ़ी का विमान है और इसकी अधिकतम गति 2205 किमी/घंटा है, जो ध्वनि की गति से लगभग दोगुनी है। यह हल्का और बेहद फुर्तीला विमान जटिल युद्ध परिस्थितियों में अपने टारगेट पर सटीक हमले करने में सक्षम है।
स्वदेशी उत्पादन और लागत
तेजस का निर्माण भारत की 500 से अधिक घरेलू कंपनियों के सहयोग से किया गया है। इसकी औसत कीमत 600 करोड़ रुपए है। HAL ने सितंबर में अमेरिका से इसका चौथा इंजन मंगवाया था।
MARK-1A विमान मिग-21 बेड़े का रिप्लेसमेंट है, जो 26 सितंबर को रिटायर हो चुका है। मिग-21 ने 62 साल की सेवा में 1971 के युद्ध, कारगिल और कई बड़े मिशनों में अहम भूमिका निभाई थी।
रणनीति और तैनाती
तेजस विमान को राजस्थान के बीकानेर स्थित नाल एयरबेस पर तैनात करने की योजना है। इसमें आधुनिक रक्षा कवच और कंट्रोल एक्चुएटर लगे हैं। MARK-1A के 65% से अधिक उपकरण भारत में निर्मित हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 नवंबर 2022 को बेंगलुरु में तेजस में उड़ान भरी थी। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की फाइटर जेट में पहली उड़ान थी।
केंद्र सरकार की मंजूरी और कॉन्ट्रैक्ट
केंद्र ने 19 अगस्त को वायुसेना के लिए 97 तेजस MARK-1A फाइटर जेट खरीदने की मंजूरी दी थी। इसके बाद 25 सितंबर को HAL के साथ ₹62,370 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया गया।
इस विमान के जरिए भारत का रक्षा उद्योग मजबूत होगा और स्वदेशी विमान निर्माण क्षमता बढ़ेगी। तेजस LCA MARK-1A हल्का, फुर्तीला और अत्याधुनिक तकनीक से लैस है, जो भारतीय वायुसेना को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करता है।