दिवाली का त्योहार 2025 में 20 अक्टूबर को मुख्य दिन के रूप में मनाया जाएगा। यह दिन अमावस्या तिथि पर पड़ रहा है। दिवाली के दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं, दीपक जलाते हैं और माँ लक्ष्मी की पूजा करते हैं।
दिवाली से एक दिन पहले का महत्व
19 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली मनाई जाएगी। इस दिन लोग घर की सफाई करते हैं और पुराने बुरे कर्मों से मुक्ति के लिए राक्षसों का संहार करते हैं। इसके साथ ही दीपक जलाकर खुशहाली की शुरुआत करते हैं।
21 अक्टूबर का महत्व
21 अक्टूबर को दिवाली के अगले दिन का महत्व भी खास है। इस दिन गोवर्धन पूजा की तैयारी शुरू होती है। खासकर उत्तर भारत में इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग पितरों का ध्यान रखते हैं और यम देवता की पूजा करते हैं।
गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर
2025 में गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को है। इस दिन भक्त गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं। यह परंपरा भगवान कृष्ण और ब्रज की कहानी से जुड़ी है। गोवर्धन पूजा के दिन लोग गोवर्धन की छोटी मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा करते हैं और लड्डू या अन्य प्रसाद अर्पित करते हैं।
दिवाली और गोवर्धन पूजा के बीच का दिन
21 अक्टूबर को पंचम या प्रतिपदा तिथि के अनुसार कुछ स्थानों पर विशेष पूजा या उपवास किया जाता है। इसे दीपावली उत्सव का हिस्सा भी माना जाता है। इस दिन घरों में हल्की सजावट की जाती है और त्योहार की तैयारी पूरी होती है।
त्योहार के अन्य रीति-रिवाज
दिवाली और गोवर्धन पूजा के समय लोग नए कपड़े पहनते हैं, मिठाइयां बनाते हैं और घरों को साफ-सुथरा करते हैं। दीये, रंगोली और फूलों से सजावट की जाती है। परिवार के सदस्य और पड़ोसी एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं।
धार्मिक महत्व
दिवाली मां लक्ष्मी के आगमन का प्रतीक है। गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण की गोकुल में गोवर्धन पर्वत उठाने की कहानी से जुड़ी है। ये दिन आत्मसाक्षात्कार, प्रकृति पूजा और खुशहाली लाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
त्योहार मनाने के टिप्स
दिवाली और गोवर्धन पूजा में सुरक्षित पटाखों का इस्तेमाल करें, बिजली बचाएं और पर्यावरण को नुकसान न पहुँचाएं। मिट्टी के दीये और सोलर लाइट्स का प्रयोग करें। परिवार और मित्रों के साथ त्योहार की खुशियां साझा करें।
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