महाराष्ट्र में दीवाली से पहले सियासी पारा चढ़ गया है।
एनसीपी (अजित पवार गुट) के विधायक संग्राम जगताप द्वारा दिए गए एक विवादित बयान पर अब खुद डिप्टी सीएम अजित पवार ने कड़ा रुख अपनाया है।
विधायक संग्राम जगताप ने हाल ही में लोगों से अपील की थी कि इस दीवाली केवल हिंदू व्यापारियों से ही खरीदारी करें, जिससे ‘अपने समाज के लोग’ लाभान्वित हों।
इस बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में भूचाल आ गया और अब अजित पवार ने उनसे लिखित स्पष्टीकरण मांगा है।
क्या कहा था विधायक संग्राम जगताप ने?
अहमदनगर जिले के विधायक संग्राम जगताप ने हाल ही में एक सार्वजनिक मंच से कहा:
“दीवाली की खरीदारी करते समय सिर्फ हिंदू व्यापारियों से ही खरीदारी करें ताकि अपने समाज के लोग मजबूत हों।”
यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इसके खिलाफ राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
कई लोगों ने इसे धार्मिक आधार पर व्यापार को विभाजित करने की कोशिश बताया।
अजित पवार की सख्त प्रतिक्रिया
डिप्टी सीएम और एनसीपी नेता अजित पवार ने इस बयान से तुरंत दूरी बनाते हुए कहा कि:
“एनसीपी एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी है। इस तरह की बातें पार्टी की विचारधारा के खिलाफ हैं। हमने विधायक से जवाब मांगा है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी किसी भी धर्म, जाति या वर्ग के खिलाफ कोई भेदभाव नहीं करती और इस तरह के बयान समाज में दरार पैदा करते हैं।
धर्मनिरपेक्षता बनाम ध्रुवीकरण
विश्लेषकों के अनुसार, यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब महाराष्ट्र में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित गुट) मिलकर सरकार चला रहे हैं।
ऐसे में किसी भी पार्टी के नेता द्वारा धार्मिक ध्रुवीकरण जैसा बयान देना, गठबंधन की धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुँचा सकता है।
एनसीपी को हमेशा से एक मध्यमार्गी और धर्मनिरपेक्ष पार्टी के तौर पर देखा जाता रहा है।
इसलिए अजित पवार का तेज और सख्त रुख इस छवि को बनाए रखने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
क्या हो सकते हैं राजनीतिक नतीजे?
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विधायक को नोटिस जारी हो सकता है
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पार्टी स्तर पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है
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विरोधी दल इस मुद्दे को आगामी चुनावों में उठा सकते हैं
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मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक वोट बैंक में असर पड़ सकता है
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अजित पवार का यह कदम यह साफ दर्शाता है कि वे पार्टी की धर्मनिरपेक्ष नींव से कोई समझौता नहीं करना चाहते।
दीवाली जैसे पर्व पर जहां समरसता और मेलजोल की भावना होनी चाहिए, वहां इस तरह के बयान पार्टी और समाज दोनों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।अब देखना यह होगा कि एनसीपी इस मामले में क्या सख्त कदम उठाती है और संग्राम जगताप अपने बयान पर क्या सफाई देते हैं।