मांगरोल में रविवार की रात जो घाट बालाजी मंदिर परिसर में भजन संध्या का आयोजन भक्तिमय वातावरण में संपन्न हुआ। भजन संध्या का शुभारंभ रात्रि 8 बजे हुआ, जिसमें स्थानीय कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से सभी श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।
स्थानीय कलाकारों ने बांधा भक्ति का रंग
इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध भजन गायक किरण जोशी, भगवान जोशी और उनकी पूरी टीम ने भगवान श्री सांवरिया सेठ, हनुमान जी और विभिन्न देवी-देवताओं के भजन प्रस्तुत किए।
भजनों की मधुर धुन और वाद्ययंत्रों की ताल पर श्रद्धालु देर रात तक झूमते और नाचते नजर आए। मंदिर परिसर में “सांवरे के रंग में रंगा सारा संसार” और “श्री हनुमान चालीसा” जैसे भजनों पर भक्तों का उत्साह देखने लायक था।
श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
भजन संध्या में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। चौरसिया परिवार द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों ने समान उत्साह से भाग लिया।
भक्तगण बालाजी मंदिर परिसर में दीयों की रोशनी और फूलों की सजावट के बीच भक्ति में लीन दिखाई दिए। पूरे परिसर में “जय श्री राम” और “बालाजी महाराज की जय” के जयघोष गूंजते रहे।
बालाजी मंदिर परिसर का भव्य वातावरण
मांगरोल स्थित जो घाट बालाजी मंदिर लंबे समय से धार्मिक और सामाजिक आयोजनों का केंद्र रहा है। इस बार भी मंदिर प्रांगण को विशेष रूप से सजाया गया था।
दीपों और फूलों से सजे हुए मंदिर परिसर में आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्भुत अनुभव हो रहा था। श्रद्धालु मंदिर के आंगन में बैठकर भजनों का आनंद लेते रहे।
हरिओम अग्रवाल का विशेष योगदान
मंदिर परिसर की देखरेख और व्यवस्था का कार्य हरिओम अग्रवाल द्वारा लम्बे समय से किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि “ऐसे धार्मिक आयोजन समाज में भक्ति, सद्भाव और सकारात्मक ऊर्जा फैलाते हैं।”
उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे इन आयोजनों में अधिक से अधिक भाग लेकर धर्म और संस्कृति की परंपरा को बनाए रखें।
भक्ति में लीन रहा मांगरोल
कार्यक्रम के अंत में भगवान जोशी और उनकी टीम ने “आरती की ज्योत जलाओ” जैसे भजनों से माहौल को और भी अधिक भक्तिमय बना दिया।
भजनों की लय और भक्तों की आस्था के संगम ने इस रात को एक यादगार आध्यात्मिक अनुभव बना दिया। श्रद्धालुओं ने आयोजकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से मन को शांति और सकारात्मकता मिलती है।
भविष्य में भी होंगे ऐसे आयोजन
आयोजक परिवार ने बताया कि आने वाले महीनों में भी मंदिर परिसर में इस तरह की भजन संध्याओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
इनका उद्देश्य समाज में धार्मिक एकता और सांस्कृतिक समरसता को बढ़ावा देना है, ताकि मांगरोल की आध्यात्मिक परंपरा और अधिक सशक्त हो सके।
संवाददाता जय प्रकाश शर्मा
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