छीपाबड़ौद (बारां)। हरनावदा शाहजी कस्बे की सहकारी समिति में शनिवार को बड़ा प्रशासनिक एक्शन देखने को मिला।
कुछ समय पहले गणेश स्थापना के पंडाल को हटवाने वाली यही समिति अब खुद भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोपों में घिर गई है।
समिति के अध्यक्ष एवं कांग्रेस के उपाध्यक्ष केदारलाल नागर सहित पूरे संचालक मंडल को भंग कर दिया गया है, और अब समिति के संचालन के लिए एक प्रशासक नियुक्त किया गया है।
“भगवान सब देखता है” — ग्रामीणों ने कहा, देर से मिला न्याय
स्थानीय लोगों ने कहा कि यह कार्रवाई यह साबित करती है कि “भगवान के घर देर है पर अंधेर नहीं।”
गणेश पंडाल हटवाने की घटना के बाद से ग्रामीणों में आक्रोश था।
अब जब समिति के खिलाफ कार्रवाई हुई है, तो लोगों ने इसे दैवी न्याय बताया है।
ग्रामीणों का कहना है कि जिन्होंने धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाई थी, उन्हें आज अपने कर्मों का फल मिल गया है।
क्या था पूरा मामला
26 अगस्त की शाम को हरनावदा शाहजी सहकारी समिति के बाहर गणेश स्थापना के लिए एक धार्मिक पंडाल लगाया गया था।
लेकिन उसी रात समिति के संचालक मंडल ने पंडाल को जबरन हटवा दिया, जिससे ग्रामीणों में नाराजगी फैल गई।
ग्रामीणों ने इस कार्रवाई का खुले तौर पर विरोध किया था, लेकिन तब समिति प्रशासन ने ग्रामीणों की एक न सुनी।
आज वही मंडल अपने कृत्यों के कारण पद से बाहर हो गया है।
इन आरोपों ने डुबोया मंडल का करियर
सहकारी समिति के अध्यक्ष केदारलाल नागर और संचालक मंडल पर लंबे समय से कई अनियमितताओं के आरोप लग रहे थे।
इनमें शामिल हैं —
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मिनी बैंक बकायादारों का भुगतान न करना
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बिना स्वीकृति तोड़फोड़ करना
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बिना नोटिस व्यवस्थापक को हटाना
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फर्जी यात्रा भत्ते उठाना
इन सभी आरोपों की जांच के बाद अतिरिक्त रजिस्ट्रार बलविंदर सिंह ने सहकारी सोसायटी अधिनियम के तहत मंडल को भंग कर दिया।
प्रशासक संभालेगा जिम्मेदारी
मंडल के भंग होने के बाद अब समिति के संचालन की जिम्मेदारी एक प्रशासक को सौंपी गई है।
यह प्रशासक समिति के वित्तीय लेनदेन, कार्यप्रणाली और शिकायतों की जांच करेगा।
अधिकारियों का कहना है कि समिति में पारदर्शिता लाने के लिए यह कदम जरूरी था।
ग्रामीणों ने जताया संतोष
इस कार्रवाई के बाद हरनावदा शाहजी के ग्रामीणों में संतोष की लहर है।
लोगों ने कहा कि गणेश स्थापना रोकने वालों को आज “भगवान गणेश” ने ही जवाब दिया है।
ग्रामीणों ने प्रशासनिक कार्रवाई को “न्याय की जीत” करार दिया है।
एक ग्रामीण ने कहा,
“जिन्होंने भगवान का अपमान किया, वे आज खुद जनता और कानून की नजरों में गिर गए। यह ईश्वर का न्याय है।”
हरनावदा शाहजी सहकारी समिति का यह मामला दिखाता है कि धार्मिक और प्रशासनिक जिम्मेदारी दोनों को निभाना जरूरी है।
जहां आस्था के साथ खिलवाड़ हुआ, वहीं प्रशासन ने देर से ही सही, लेकिन सख्त कदम उठाया।
अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि प्रशासक समिति में सुधार लाने के लिए क्या कदम उठाएंगे।
संवाददाता केशव शर्मा