मांगरोल: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में मांगरोल नगर की चार बस्तियों में विजयादशमी उत्सव बुधवार को डोल मेला परिसर में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पंडित महेंद्र कौशिक ने की।
संघ की स्थापना और 100 वर्षों की साधना पर चर्चा
उत्सव में मुख्य वक्ता नितेस, जिला प्रचारक बारां ने संघ की स्थापना, उसके मूल उद्देश्य और राष्ट्र निर्माण में संघ के योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि संघ की स्थापना 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी और पिछले 100 वर्षों में संघ ने समाज को संगठित कर राष्ट्र जागरण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
संघ का ध्येय और उद्देश्य
मुख्य वक्ता ने संघ के ध्येय को स्पष्ट करते हुए कहा कि:
भारत को सशक्त, आत्मनिर्भर और सांस्कृतिक रूप से जागृत राष्ट्र के रूप में स्थापित करना संघ का प्रमुख उद्देश्य है।
जाति, प्रांत, भाषा और पंथ से ऊपर उठकर समरसता की भावना विकसित करना।
शिक्षा, ग्राम विकास, सेवा, पर्यावरण और संस्कृति के क्षेत्र में सकारात्मक दृष्टिकोण का प्रचार।
उन्होंने बताया कि संघ की शताब्दी यात्रा केवल संगठनात्मक उपलब्धियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन का प्रेरणास्रोत रही है।
उत्सव में शामिल कार्यक्रम और शस्त्र पूजन
इस अवसर पर मंच पर मांगरोल संघचालक हिम्मत सिंह भांकरोत और कस्बे की चारों बस्तियों के स्वयंसेवक उपस्थित रहे। रीती-नीति के अनुसार शस्त्र पूजन भी किया गया।
कार्यक्रम के दौरान संघ की स्थापना, उद्देश्य और 100 वर्षों की साधना पर चर्चा के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता और संगठन के योगदान को भी प्रमुखता दी गई।
मांगरोल में आयोजित यह विजयादशमी उत्सव न केवल संघ की शताब्दी को यादगार बनाने वाला रहा, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव और राष्ट्र जागरण का संदेश भी दिया। इस कार्यक्रम से यह स्पष्ट हुआ कि संघ की स्थापना और 100 वर्षों की साधना समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रेरणा स्रोत बनी हुई है।
संवाददाता | जय प्रकाश शर्मा