राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS): भारतीय समाज और राजनीति में अपनी अलग पहचान रखता है। साल 1925 में डॉ. हेडगेवार द्वारा नागपुर में इसकी नींव रखी गई थी। अब संघ अपने 100 साल पूरे करने जा रहा है। इस सफर में कई लोग और परिवार जुड़े, लेकिन संघ प्रमुख मोहन भागवत के परिवार का योगदान विशेष रूप से याद किया जाता है।
दादा ने रखा था नींव का पत्थर
मोहन भागवत के दादा संघ की स्थापना के शुरुआती समय से जुड़े थे। माना जाता है कि उन्होंने संगठन की बुनियाद मजबूत करने में अहम योगदान दिया। उस दौर में संघ का काम बहुत सीमित था, लेकिन उन्होंने इसे सामाजिक चेतना का रूप देने की शुरुआत की। यह वही नींव थी, जिस पर आगे चलकर संघ खड़ा हुआ और पूरे देश में फैला।
पिता का विस्तार में योगदान
मोहन भागवत के पिता माधव भागवत भी संघ से गहराई से जुड़े रहे। वे प्रचारक के रूप में संघ को गाँव-गाँव और शहर-शहर तक ले जाने में अहम कड़ी बने। उन्होंने युवाओं को संगठन से जोड़ने और शिक्षा क्षेत्र में संघ की गतिविधियों को विस्तार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
100 साल की उपलब्धियाँ
पिछले एक शताब्दी में संघ न केवल सामाजिक संगठन के रूप में खड़ा हुआ बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, सेवा और राष्ट्र निर्माण में भी इसकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है। प्राकृतिक आपदाओं से लेकर सामाजिक आंदोलनों तक, संघ के स्वयंसेवक हर जगह सक्रिय रहे हैं।
संघ के 100 साल के इतिहास में मोहन भागवत का परिवार एक मजबूत स्तंभ की तरह सामने आता है। उनके दादा ने नींव रखी, पिता ने विस्तार किया और अब मोहन भागवत इस संगठन को नई ऊँचाइयों तक ले जा रहे हैं। यह एक ऐसा परिवार है जिसकी तीन पीढ़ियों ने संघ के विकास में लगातार योगदान दिया।