जयपुर :- 26 वर्षीय रवि नामा ने शुक्रवार को जहर खाकर अपनी जिंदगी खत्म कर ली। लेकिन इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि जब उसका परिवार उसे बचाने थाने पहुंचा, तो पुलिस ने जवाब दिया – “मर जाए तब आ जाना, पोस्टमॉर्टम करवा देंगे!”
आखिरी कॉल और परिवार की दौड़भाग
रवि ने अपने भाई को कॉल कर कहा – “मैं ज़हर खा चुका हूं, जा रहा हूं सब छोड़कर…” कॉल कटते ही परिजनों ने दौड़भाग शुरू कर दी, लेकिन पुलिस की संवेदनहीनता ने रवि की आखिरी उम्मीद भी खत्म कर दी।
पुलिस पर परिवार के आरोप
परिवारवालों का आरोप है कि सांगानेर सदर थाने के ड्यूटी ऑफिसर ASI रामावतार ने न तो रवि की लोकेशन ट्रेस की, न ही मदद की। उल्टा, उन्हें धमका कर भगा दिया गया। कुछ घंटों बाद रवि की लाश रेलवे ट्रैक के पास मिली, और उसकी बाइक थोड़ी दूरी पर खड़ी थी।
पुलिस की जांच और सफाई
पुलिस का कहना है कि उन्होंने लोकेशन ट्रेस करने की कोशिश की थी, लेकिन फोन स्विच ऑफ होने के कारण उन्हें सफलता नहीं मिली। अधिकारी यह भी बता रहे हैं कि मामले की जांच जारी है।
सवाल आम लोगों की सुरक्षा और संवेदनशीलता को लेकर
यह मामला कई सवाल खड़े करता है। जब एक जान बच सकती थी, तो पुलिस नियमों का बहाना लेकर मूकदर्शक क्यों बनी रही? क्या सिर्फ इतना कह देना कि ‘फोन स्विच ऑफ था’, एक जान बचाने की कोशिश को सही ठहरा सकता है? यह घटना प्रशासन और पुलिस की संवेदनशीलता की कमी को उजागर करती है और समाज के लिए चेतावनी भी है।