रींगस रेलवे स्टेशन से खाटू श्याम जी के मंदिर तक जाने वाले मार्ग पर श्रद्धालुओं की यात्रा अब डर और तनाव का सामना कर रही है। राजस्थान के सीकर जिले में यह धार्मिक मार्ग, जो पहले भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक था, अब कुछ युवाओं के लिए लूट और धमकियों का अड्डा बन गया है। स्थानीय वाहन चालकों और यात्रियों के अनुसार, सड़क पर चलने वाले वाहनों से पैसे मांगे जाते हैं, और जो मना करता है, उसे गंभीर धमकियां दी जाती हैं। धमकियों में हाथ-पैर तोड़ने, वाहन फोड़ने और जान लेने जैसी चेतावनी शामिल होती है।
स्थानीय लोग बताते हैं कि इस समस्या का असर सीधे यात्रियों पर पड़ता है। खाटू मोड़ पर कई बार वाहन चालकों ने विरोध स्वरूप सड़क जाम किया। ड्राइवर विकास फोगावट और उम्मेद निठारावाल जैसे लोगों का कहना है कि कुछ युवक रोजाना ‘हफ्ता’ मांगते हैं, और प्रशासन मौन साधे हुए है। उनका कहना है कि पुलिस केवल नज़रअंदाज कर रही है, जबकि यात्रियों और वाहन चालकों को अपराधियों के डर में दिन-रात सावधान रहना पड़ता है।
रींगस रेलवे स्टेशन से खाटू तक हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। यह मार्ग धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व का है, लेकिन अब श्रद्धालु भय और असुरक्षा के माहौल में यात्रा करने को मजबूर हैं। लोग कहते हैं कि धार्मिक यात्रा अब लूट यात्रा में बदल गई है।
स्थानीय समाज और व्यापारी इस समस्या को गंभीर मान रहे हैं। उनका कहना है कि यदि प्रशासन ने जल्द कदम नहीं उठाया, तो यह गुंडागर्दी और बढ़ेगी। उन्होंने चेतावनी दी है कि मार्ग पर नियंत्रण की कमी से न केवल श्रद्धालुओं की सुरक्षा खतरे में है, बल्कि स्थानीय व्यापार और पर्यटन पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है।
स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने इस मुद्दे पर संज्ञान लिया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। पुलिस अधिकारीयों का कहना है कि जांच जारी है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, प्रभावित लोग इसे पर्याप्त नहीं मानते। उनका आरोप है कि पुलिस न केवल कार्रवाई में ढील देती है, बल्कि कभी-कभी कुछ स्थानीय अपराधियों के साथ सांठगांठ का भी शक होता है।
यात्रियों का कहना है कि धार्मिक स्थल पर आना उनके लिए मानसिक और शारीरिक शांति का अनुभव होना चाहिए, लेकिन अब डर और तनाव उनकी यात्रा का हिस्सा बन गया है। कई परिवार और बुजुर्ग श्रद्धालु अब अकेले यात्रा करने से डरते हैं, और कई बार तो लोग समूह में ही जाने की सलाह देते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि धार्मिक मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है। सुरक्षा उपायों में नियमित पुलिस पेट्रोलिंग, मार्ग पर सीसीटीवी कैमरे, और स्थानीय लोगों को सुरक्षा में सहयोग देने के कार्यक्रम शामिल होने चाहिए। इसके अलावा, प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी व्यक्ति या समूह को जनता से जबरन वसूली करने का मौका न मिले।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि मार्ग की सुरक्षा केवल कानून लागू करने तक सीमित नहीं होनी चाहिए। समाज और धर्मार्थ संस्थाओं को भी श्रद्धालुओं की सुरक्षा में भूमिका निभानी चाहिए। उनका कहना है कि यदि सामूहिक प्रयास और प्रशासनिक कार्रवाई नहीं हुई, तो भविष्य में यह मार्ग अपराधियों के लिए स्थायी अड्डा बन सकता है।
श्रद्धालु और वाहन चालक दोनों ही इस स्थिति से बेहद परेशान हैं। उन्हें डर है कि किसी भी समय किसी अप्रत्याशित घटना का सामना करना पड़ सकता है। स्थानीय ड्राइवर विकास फोगावट ने बताया कि कई बार उन्होंने विरोध किया, लेकिन कुछ युवकों ने खुलेआम धमकी दी कि अगर पैसे नहीं दिए तो गाड़ी को तोड़ दिया जाएगा। इस प्रकार की घटनाओं ने श्रद्धालुओं और चालकों के मन में भय पैदा कर दिया है।
अन्य ड्राइवर उम्मेद निठारावाल ने कहा कि यह समस्या केवल एक या दो युवकों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी तरह संगठित गिरोह की गतिविधि है। उनका कहना है कि यदि प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई नहीं की, तो यह गिरोह और अधिक हावी हो जाएगा।
स्थानीय समाज और व्यापारियों ने प्रशासन से मांग की है कि तुरंत प्रभावी कदम उठाए जाएं। उनका कहना है कि धार्मिक स्थल तक पहुंचने वाले मार्ग को सुरक्षित बनाने के लिए कड़ी निगरानी और सख्त कानून लागू होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो न केवल श्रद्धालुओं की सुरक्षा खतरे में है, बल्कि धार्मिक यात्रा की प्रतिष्ठा भी प्रभावित होगी।
इस समस्या का समाधान केवल पुलिस कार्रवाई और प्रशासनिक उपायों तक सीमित नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि समाज को भी सक्रिय भूमिका निभानी होगी। स्थानीय लोगों को मार्ग पर निगरानी रखने, संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देने और सुरक्षा उपायों में सहयोग करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, श्रद्धालुओं को भी मार्ग पर सतर्क रहने और अनावश्यक जोखिम न लेने की सलाह दी जाती है।
यह स्थिति दर्शाती है कि धार्मिक स्थल पर आस्था और श्रद्धा की जगह अब डर और असुरक्षा ने ले ली है। यदि इस दिशा में तुरंत प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो यह मार्ग अपराधियों के लिए स्थायी अड्डा बन सकता है। स्थानीय लोग और श्रद्धालु प्रशासन और पुलिस से गंभीर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
इस प्रकार रींगस रेलवे स्टेशन से खाटू श्याम जी के मंदिर तक का मार्ग अब केवल धार्मिक यात्रा का प्रतीक नहीं रहा। यह अब एक ऐसा मार्ग बन गया है, जहां श्रद्धालु और वाहन चालक भय और धमकियों के बीच अपनी यात्रा पूरी करने को मजबूर हैं। प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई के बिना यह समस्या और बढ़ती जाएगी, और लाखों श्रद्धालुओं के मन में धार्मिक आस्था के साथ-साथ डर और असुरक्षा की भावना भी गहरी होती जाएगी।